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प्रदेश में बाघों की तर्ज पर शेरों को भी बसाने की योजना बना रहा वन विभाग - world lion day

प्रदेश का जंगलात महकमा बाघों की तर्ज पर शेरों को भी जंगलात में बसाने की योजना बना रहा है. सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से हुआ तो प्रदेश में चुनिंदा वन क्षेत्र में अब शेर भी वितरण करते नजर आएंगे. इसके अलावा बीकानेर और अजमेर में बायोलॉजिकल पार्क पर भी काम शुरू होने जा रहा है.

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शेरों को भी जंगलात में बसाने की बन रही योजना
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Published : Aug 10, 2020, 8:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने सोमवार को 'वर्ल्ड लॉयन डे' पर वन्यजीव प्रेमियों को शुभकामनाएं दी है. साथ ही शेरों को लेकर विभाग की योजना पर भी विस्तार से चर्चा की. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने वर्ल्ड लॉयन डे की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत में एशियाटिक लायन ज्यादातर गुजरात में पाए जाते हैं. लॉयन संरक्षण में काफी सफलता भी मिली है. राजस्थान में भी पहले लॉयन पाए जाते थे और अन्य प्रदेशों में भी सिंह यानि शेर पाया जाता था.

शेरों को भी जंगलात में बसाने की बन रही योजना

उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि भविष्य में राजस्थान में भी शेरों को जंगलों में स्थापित किया जाए. राजस्थान में बायोलॉजिकल पार्क में एशियाटिक लायन हैं. प्रदेश के बायोलॉजिकल पार्क में भी कोशिश की जा रही है, कि लायन की सफल ब्रीडिंग हो. राजस्थान में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए फीमेल एशियाटिक लायन लाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास नर शेर तो हैं, लेकिन मादा की कमी है. इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि आने वाले समय में शेरों का कुनबा बढ़ सके. कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द सेंट्रल जू अथॉरिटी से स्वीकृति प्राप्त करके फीमेल लॉयन लाई जा सके. मादा शेर आने के बाद राजस्थान में भी ब्रीडिंग करके अन्य बायोलॉजिकल पार्क को में भी शेरों को रखा जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः बब्बर शेर सिद्धार्थ का किया गया अंतिम संस्कार, Leptospirosis को माना जा रहा मौत की वजह

उन्होंने कहा कि मरुधरा बीकानेर में भी बायोलॉजिकल पार्क बनाने की तैयारी की जा रही है. इसके अलावा अजमेर में भी बायोलॉजिकल पार्क बनाने का काम शुरू होने जा रहा है. इन बायोलॉजिकल पार्को के लिए शेरों की आवश्यकता होगी, जिसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद शेरों को लाने का प्रयास किया जाएगा और पर्यटकों को दिखाया जा सकेगा. शेरों को वन क्षेत्रों में भी छोड़ा जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बब्बर शेर सिद्धार्थ की मौत

राजस्थान में एक मात्र लायन सफारी है, जो कि राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में है. इसके अलावा प्रदेश में अन्य जगहों पर भी लॉयन सफारी शुरू करने का प्रयास किया जा सकता है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने कहा कि अगर पर्याप्त मात्रा में शेर मिलते हैं, तो अन्य जगहों पर भी लॉयन सफारी शुरू की जा सकती है. ताकि पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को लॉयन देखने का सौभाग्य प्राप्त हो सके.

यह भी पढ़ेंः दुनिया को अलविदा कह गया 'सिद्धार्थ'...नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बब्बर शेर की मौत

देश में शेरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, सबसे ज्यादा शेर गिर वन क्षेत्र में हैं. मई 2015 में गणना के अनुसार गिर वन क्षेत्र में एशियाईटिक शेरों की संख्या 523 थी. साल 2010 से 2015 के बीच इनकी संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीं साल 2020 में यहां पर शेरों की संख्या बढ़कर 674 बताई गई है, जिसमें 161 नर शेर, 260 शेरनी, 116 वयस्क शावक और 137 शावक बताए गए हैं. शेरों की संख्या को लेकर कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जानकारी साझा की थी.

यह भी पढ़ेंः नाहरगढ़ लॉयन सफारी के शेर तेजस और त्रिपुर फिर से बनेंगे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र, दोनों के स्वास्थ्य में सुधार

जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और जोधपुर के माचिया बायोलॉजिकल पार्क में करीब 7 एशियाईटिक और एक हाइब्रिड लॉयन हैं. जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक हाइब्रिड शेरनी सुवासिनी है, जिसे बेंगलुरु से लाया गया था. वहीं एशियाटिक शेर लायन सफारी में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जिनमें एक मादा शेरनी और तीन नर शेर हैं. नर शेरों में तेजस, त्रिपुर और कैलाश हैं और मादा शेरनी का नाम तारा है. तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों भाई बहन हैं. नर शेर कैलाश को जोधपुर के माचिया बायोलॉजिकल पार्क से जयपुर लाया गया था. नाहरगढ़ लॉयन सफारी में शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश को भी छोड़ा जा रहा है.

यह भी पढ़ें: SPECIAL: मुकुंदरा रिजर्व रहा बाघ-बाघिन के प्रेम का साक्षी, साथ जिए और साथ ही कह गए दुनिया को अलविदा

बता दें कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एशियाटिक नर शेर सिद्धार्थ, शेरनी तेजिका और सूजेन की मौत हो चुकी है. साल 2016 में पहला एशियाटिक लायन का जोड़ा सिद्धार्थ और तेजिका को जयपुर लाया गया था. तेजिका की मौत जनवरी 2018 में हुई थी. इसके बाद सक्करबाग जू से लाई गई शेरनी सुजैन की मृत्यु सितंबर 2019 में हो गई. वहीं बब्बर शेर सिद्धार्थ की मौत जून 2020 में हो गई थी. तीनों एशियाटिक लायन की मौत के बाद अब और शेर लाने की तैयारी की जा रही है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की स्वीकृति के बाद शेर लाए जाएंगे.

जयपुर. राजस्थान वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने सोमवार को 'वर्ल्ड लॉयन डे' पर वन्यजीव प्रेमियों को शुभकामनाएं दी है. साथ ही शेरों को लेकर विभाग की योजना पर भी विस्तार से चर्चा की. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने वर्ल्ड लॉयन डे की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत में एशियाटिक लायन ज्यादातर गुजरात में पाए जाते हैं. लॉयन संरक्षण में काफी सफलता भी मिली है. राजस्थान में भी पहले लॉयन पाए जाते थे और अन्य प्रदेशों में भी सिंह यानि शेर पाया जाता था.

शेरों को भी जंगलात में बसाने की बन रही योजना

उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि भविष्य में राजस्थान में भी शेरों को जंगलों में स्थापित किया जाए. राजस्थान में बायोलॉजिकल पार्क में एशियाटिक लायन हैं. प्रदेश के बायोलॉजिकल पार्क में भी कोशिश की जा रही है, कि लायन की सफल ब्रीडिंग हो. राजस्थान में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए फीमेल एशियाटिक लायन लाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास नर शेर तो हैं, लेकिन मादा की कमी है. इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि आने वाले समय में शेरों का कुनबा बढ़ सके. कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द सेंट्रल जू अथॉरिटी से स्वीकृति प्राप्त करके फीमेल लॉयन लाई जा सके. मादा शेर आने के बाद राजस्थान में भी ब्रीडिंग करके अन्य बायोलॉजिकल पार्क को में भी शेरों को रखा जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि मरुधरा बीकानेर में भी बायोलॉजिकल पार्क बनाने की तैयारी की जा रही है. इसके अलावा अजमेर में भी बायोलॉजिकल पार्क बनाने का काम शुरू होने जा रहा है. इन बायोलॉजिकल पार्को के लिए शेरों की आवश्यकता होगी, जिसके लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी की परमिशन के बाद शेरों को लाने का प्रयास किया जाएगा और पर्यटकों को दिखाया जा सकेगा. शेरों को वन क्षेत्रों में भी छोड़ा जा सकता है.

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राजस्थान में एक मात्र लायन सफारी है, जो कि राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में है. इसके अलावा प्रदेश में अन्य जगहों पर भी लॉयन सफारी शुरू करने का प्रयास किया जा सकता है. मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर ने कहा कि अगर पर्याप्त मात्रा में शेर मिलते हैं, तो अन्य जगहों पर भी लॉयन सफारी शुरू की जा सकती है. ताकि पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को लॉयन देखने का सौभाग्य प्राप्त हो सके.

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देश में शेरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, सबसे ज्यादा शेर गिर वन क्षेत्र में हैं. मई 2015 में गणना के अनुसार गिर वन क्षेत्र में एशियाईटिक शेरों की संख्या 523 थी. साल 2010 से 2015 के बीच इनकी संख्या में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई. वहीं साल 2020 में यहां पर शेरों की संख्या बढ़कर 674 बताई गई है, जिसमें 161 नर शेर, 260 शेरनी, 116 वयस्क शावक और 137 शावक बताए गए हैं. शेरों की संख्या को लेकर कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जानकारी साझा की थी.

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जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क और जोधपुर के माचिया बायोलॉजिकल पार्क में करीब 7 एशियाईटिक और एक हाइब्रिड लॉयन हैं. जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक हाइब्रिड शेरनी सुवासिनी है, जिसे बेंगलुरु से लाया गया था. वहीं एशियाटिक शेर लायन सफारी में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, जिनमें एक मादा शेरनी और तीन नर शेर हैं. नर शेरों में तेजस, त्रिपुर और कैलाश हैं और मादा शेरनी का नाम तारा है. तेजस, त्रिपुर और तारा तीनों भाई बहन हैं. नर शेर कैलाश को जोधपुर के माचिया बायोलॉजिकल पार्क से जयपुर लाया गया था. नाहरगढ़ लॉयन सफारी में शेरनी तारा के साथ शेर कैलाश को भी छोड़ा जा रहा है.

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बता दें कि नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एशियाटिक नर शेर सिद्धार्थ, शेरनी तेजिका और सूजेन की मौत हो चुकी है. साल 2016 में पहला एशियाटिक लायन का जोड़ा सिद्धार्थ और तेजिका को जयपुर लाया गया था. तेजिका की मौत जनवरी 2018 में हुई थी. इसके बाद सक्करबाग जू से लाई गई शेरनी सुजैन की मृत्यु सितंबर 2019 में हो गई. वहीं बब्बर शेर सिद्धार्थ की मौत जून 2020 में हो गई थी. तीनों एशियाटिक लायन की मौत के बाद अब और शेर लाने की तैयारी की जा रही है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की स्वीकृति के बाद शेर लाए जाएंगे.

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