जयपुर. राजस्थान विधानसभा सत्र में शुक्रवार को प्रदेश सरकार सदन में विश्वास मत रखेगी. उससे पहले पायलट कैंप के विधायक इंद्राज गुर्जर ने कहा कि पद कोई महत्व नहीं रखता है. हम CM पद के लिए नहीं कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान दिलवाने, विधायकों की सुनवाई के साथ ही प्रदेश में ब्यूरोक्रेट हावी ना हो, इन सब मांगों को लेकर आलाकमान के सामने रखने गए थे.
राजस्थान में पायलट कैंप और गहलोत कैंप के विधायकों के बीच बीते 34 दिनों से चला आ रहा गतिरोध अब लगभग समाप्त हो गया है. राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र आज से आहूत होने जा रहा है. विधानसभा में पायलट कैंप के विधायक सरकार के साथ वोट कर कांग्रेस सरकार के प्रति अपना सम्मान प्रकट भी कर देंगे लेकिन पायलट कैंप के विधायक होटल की बाड़ाबंदी में नहीं गए हैं.
अपनी मांगें आलाकमान के सामने रखने गए
पायलट के समर्थक विधायक इंद्राज गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बात करते हुए कहा कि वह दिल्ली कांग्रेस आलाकमान से बात करने गए थे. गुर्जर का कहना है कि जिन कार्यकर्ताओं ने 5 साल मेहनत करके कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाई और हम सबको दिन-रात एक कर चुनाव जिताने का काम किया, उन कार्यकर्ताओं के उचित सम्मान दिलवाने, उनके काम होने और विधायकों की सुनवाई के साथ ही प्रदेश में ब्यूरोक्रेट हावी ना हो, इन सब मांगों को लेकर हम आलाकमान के सामने अपनी बात रखने गए थे. अब आलाकमान ने हमारी बात पर उचित समाधान करने का भरोसा दिया है तो हम लोग वापस लौट आए.
BJP संपर्क को बताया मीडिया ट्रायल
वहीं उन्होंने बगावत और BJP के संपर्क में होने के सवाल पर कहा कि यह केवल मीडिया ट्रायल था. हम विधायकों में से एक भी विधायक ने कभी कांग्रेस के खिलाफ कोई बात नहीं की बल्कि वीडियो जारी करके हमेशा यह कहा कि हम कांग्रेस के विधायक हैं, कांग्रेस में रहेंगे और कांग्रेस में ही अपनी बात रखने के लिए आए हैं.
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हमने उसी समय बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि हम BJP में नहीं जाएंगे. कांग्रेस हमारा परिवार है और परिवार में बात रखना हमारा अधिकार है. हमने इंटरनल डेमोक्रेसी के तहत परिवार में अपने आलाकमान के सामने हमारी बातें रखी और आलाकमान ने हमारी बात सुनी.
परिवार में होते हैं छोटे-मोटे मनमुटाव
बीते 1 महीने में हुए घटनाक्रम को लेकर गुर्जर का कहना है कि परिवार में छोटे-मोटे मनमुटाव होते हैं. अब उन बातों को भूलकर आगे बढ़ने की ही सोच हम रखेंगे. वहीं पद को लेकर उन्होंने कहा कि पद कोई बड़ी चीज नहीं होती है. हर नेता के लिए महत्वपूर्ण यह होता है कि उसके कार्यकर्ताओं की सुनवाई कितनी हो रही है. कार्यकर्ताओं को सरकार में रहते हुए क्या दिया जा रहा है. जब प्रदेश में डेढ़ साल में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हुई, बोर्ड निगम नहीं बने तो कार्यकर्ताओं का सम्मान भी नहीं मिला. अगर शुरू के 6 महीने में राजनीतिक नियुक्तियां हो जाती तो उनको सम्मान मिलना शुरू हो चुका होता.
'हमने कभी CM पद की डिमांड नहीं की'
साथ ही इंद्राज गुर्जर का कहना है कि हमने कभी मुख्यमंत्री पद की डिमांड नहीं की. हमने केवल कार्यकर्ताओं की सुनवाई की बात कही थी मुख्यमंत्री कौन होगा, प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, यह सब बातें सोचने का विषय कांग्रेस आलाकमान का है और आलाकमान ही इसके फैसले करता है.