ETV Bharat / city

गहलोत और पायलट कैंप में अभी भी हैं दूरियां...जन्मदिन के आयोजनों ने खोले पोल

राजस्थान का सियासी घमासान सचिन पायलट की वापसी के बाद थम चुका है, लेकिन पायलट के 43वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम कुछ और ही कहानी कह रहे हैं. भले ही कांग्रेस के नेता एक होने के दावा कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट कैंप की दूरी अभी भी उतनी ही है, जितनी सियासी घमासान के समय थी.

सचिन पायलट का जन्मदिन, Gehlot and Pilot Camp
पायलट और गहलोत में अभी है दूरी
author img

By

Published : Sep 8, 2020, 2:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान में सियासी संकट थम चुका है. वहीं, पायलट बगावत के बाद कांग्रेस में लौट आए हैं, लेकिन सियासी गलियारों में बगावत के बाद गहलोत Vs पायलट कैंप का जो दो गुट बना था, वह अभी बरकरार है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के जन्मदिन पर हुए आयोजनों ने एक तरफ पायलट की पार्टी में शक्ति प्रदर्शन को दिखाया, लेकिन इन आयोजनों ने राजस्थान कांग्रेस के दो गुटों में होने की पोल भी खोल दी.

पायलट और गहलोत में अभी है दूरी...

राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट का 43वां जन्मदिन सोमवार को जोर-शोर से मनाया गया. पूरे राजस्थान में 45 हजार यूनिट ब्लड डोनेशन भी किया गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. ऐसे करके एक तरफ पायलट समर्थकों ने समाज सेवा भी किया और पायलट का शक्ति प्रदर्शन भी डोनेशन के माध्यम से दिखाया गया. पायलट समर्थकों में अपने लीडर के जन्मदिन का खासा उत्साह देखा गया. जिसके तहत उन्होंने कई जगह जन्मदिन की पूर्व संध्या से ही रक्तदान शिविर का आयोजन किया.

यह भी पढ़ें. सचिन पायलट के जन्मदिन पर रिकॉर्ड रक्तदान, 45 हजार यूनिट ब्लड एकत्र

वहीं, सचिन पायलट के जन्मदिन पर भले ही कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं, लेकिन सोमवार के पायलट के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में विधायक अब दो गुटों में बांट चुके हैं. एक गुट सचिन पायलट का है, जिनके साथ भंवर लाल शर्मा को छोड़कर सभी 17 विधायक शामिल हैं, जो उनके साथ दिल्ली गए थे. हालांकि, अब पायलट के में के विधायकों में दातारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह का भी नाम जुड़ गया है. दूसरा गुट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है, जिनके साथ बाड़ेबंदी में शामिल रहे विधायक हैं.

गहलोत कैंप के विधायकों ने नहीं लिया हिस्सा...

पूर्व उप मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर रक्तदान शिविर ने उनके शक्ति प्रदर्शन को दिखा तो दिया, लेकिन इस बात को साफ तौर पर जाहिर कर दिया कि अब राजस्थान सियासी ड्रामे के बाद पायलट और गहलोत का दो खेमा है. पायलट कैंप के साथ जितने भी विधायक थे, उनके जन्मदिन पर उन सभी विधायकों ने अपनी विधानसभा में रक्तदान शिविर आयोजित करवाए. साथ ही उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को रक्तदान के लिए प्रेरित भी किया, लेकिन इन विधायकों के अलावा बाकी किसी भी कांग्रेस विधायक ने न तो रक्तदान करवाया, ना ही रक्तदान के लिए अपने विधानसभा में लोगों को आने की अपील की. हालांकि, बधाई देने में राजस्थान के नेता पीछे नहीं थे, लेकिन जिस तरीके से पायलट के जन्मदिन पर उनके खेमे के विधायकों ने ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाए.

यह भी पढ़ें. पूर्व डिप्टी CM के जन्मदिन पर अनोखा शक्ति प्रदर्शन...पायलट के एक तीर, कई निशाने

पायलट कैंप के विधायक की उनसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिले, उससे यह साफ होता है कि अब राजस्थान में कांग्रेस के विधायक खेमों में बांट चुके हैं. भले ही कांग्रेस में एकता की बात की जा रही हो, लेकिन इन दोनों खेमों में अभी दूरियां बनी हुई हैं. विधायक खुद को अलग-अलग गुटों में बांट चुके हैं.

अजमेर संभाग में माकन का दौरा होगा चुनौतियों से भरा...

ऐसे में बुधवार से शुरू हो रहा प्रभारी अजय माकन का दौरा काफी चुनौतियों वाला होगा, क्योंकि एक तो अजमेर संभाग में गुटबाजी ज्यादा है. दूसरा राजस्थान पंचायत चुनाव 2020 की घोषणा की जा चुकी है. इन चुनाव के नतीजे नए प्रभारी की स्ट्रेटजी को भी सामने लाएगी. अब अजय माकन का पहला टारगेट कांग्रेस पार्टी के विधायकों को मन से एक करने का होगा.

जयपुर. राजस्थान में सियासी संकट थम चुका है. वहीं, पायलट बगावत के बाद कांग्रेस में लौट आए हैं, लेकिन सियासी गलियारों में बगावत के बाद गहलोत Vs पायलट कैंप का जो दो गुट बना था, वह अभी बरकरार है. पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के जन्मदिन पर हुए आयोजनों ने एक तरफ पायलट की पार्टी में शक्ति प्रदर्शन को दिखाया, लेकिन इन आयोजनों ने राजस्थान कांग्रेस के दो गुटों में होने की पोल भी खोल दी.

पायलट और गहलोत में अभी है दूरी...

राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट का 43वां जन्मदिन सोमवार को जोर-शोर से मनाया गया. पूरे राजस्थान में 45 हजार यूनिट ब्लड डोनेशन भी किया गया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. ऐसे करके एक तरफ पायलट समर्थकों ने समाज सेवा भी किया और पायलट का शक्ति प्रदर्शन भी डोनेशन के माध्यम से दिखाया गया. पायलट समर्थकों में अपने लीडर के जन्मदिन का खासा उत्साह देखा गया. जिसके तहत उन्होंने कई जगह जन्मदिन की पूर्व संध्या से ही रक्तदान शिविर का आयोजन किया.

यह भी पढ़ें. सचिन पायलट के जन्मदिन पर रिकॉर्ड रक्तदान, 45 हजार यूनिट ब्लड एकत्र

वहीं, सचिन पायलट के जन्मदिन पर भले ही कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने शुभकामनाएं दी हैं, लेकिन सोमवार के पायलट के जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में विधायक अब दो गुटों में बांट चुके हैं. एक गुट सचिन पायलट का है, जिनके साथ भंवर लाल शर्मा को छोड़कर सभी 17 विधायक शामिल हैं, जो उनके साथ दिल्ली गए थे. हालांकि, अब पायलट के में के विधायकों में दातारामगढ़ विधायक वीरेंद्र सिंह का भी नाम जुड़ गया है. दूसरा गुट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है, जिनके साथ बाड़ेबंदी में शामिल रहे विधायक हैं.

गहलोत कैंप के विधायकों ने नहीं लिया हिस्सा...

पूर्व उप मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर रक्तदान शिविर ने उनके शक्ति प्रदर्शन को दिखा तो दिया, लेकिन इस बात को साफ तौर पर जाहिर कर दिया कि अब राजस्थान सियासी ड्रामे के बाद पायलट और गहलोत का दो खेमा है. पायलट कैंप के साथ जितने भी विधायक थे, उनके जन्मदिन पर उन सभी विधायकों ने अपनी विधानसभा में रक्तदान शिविर आयोजित करवाए. साथ ही उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को रक्तदान के लिए प्रेरित भी किया, लेकिन इन विधायकों के अलावा बाकी किसी भी कांग्रेस विधायक ने न तो रक्तदान करवाया, ना ही रक्तदान के लिए अपने विधानसभा में लोगों को आने की अपील की. हालांकि, बधाई देने में राजस्थान के नेता पीछे नहीं थे, लेकिन जिस तरीके से पायलट के जन्मदिन पर उनके खेमे के विधायकों ने ही ब्लड डोनेशन कैंप लगाए.

यह भी पढ़ें. पूर्व डिप्टी CM के जन्मदिन पर अनोखा शक्ति प्रदर्शन...पायलट के एक तीर, कई निशाने

पायलट कैंप के विधायक की उनसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिले, उससे यह साफ होता है कि अब राजस्थान में कांग्रेस के विधायक खेमों में बांट चुके हैं. भले ही कांग्रेस में एकता की बात की जा रही हो, लेकिन इन दोनों खेमों में अभी दूरियां बनी हुई हैं. विधायक खुद को अलग-अलग गुटों में बांट चुके हैं.

अजमेर संभाग में माकन का दौरा होगा चुनौतियों से भरा...

ऐसे में बुधवार से शुरू हो रहा प्रभारी अजय माकन का दौरा काफी चुनौतियों वाला होगा, क्योंकि एक तो अजमेर संभाग में गुटबाजी ज्यादा है. दूसरा राजस्थान पंचायत चुनाव 2020 की घोषणा की जा चुकी है. इन चुनाव के नतीजे नए प्रभारी की स्ट्रेटजी को भी सामने लाएगी. अब अजय माकन का पहला टारगेट कांग्रेस पार्टी के विधायकों को मन से एक करने का होगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.