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Ground Report : आफत की बारिश ने दी सीख, लेकिन जिम्मेदारों ने नहीं बदली लापरवाही की तस्वीर

आसमान से बरसने वाली बरसात की खुशी लापरवाही की वजह से कई बार मातम का कारण बन जाती है. राजधानी के नालों के पास बने रैंप और सड़कें अतिवृष्टि में पानी से लबालब हो जाती हैं, जो ना सिर्फ वाहनों की आवाजाही को अवरुद्ध करते हैं, बल्कि दुर्घटना का सबब भी बनते हैं. ऐसी परिस्थियों से रू-ब-रू होने के बावजूद राजधानी की तस्वीर नहीं बदली है. देखिये जयपुर से ईटीवी भारत की Ground Report...

infrastructure in jaipur
जिम्मेदारों ने नहीं बदली लापरवाही की तस्वीर
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Published : Jun 28, 2021, 2:25 PM IST

जयपुर. बीते साल 14 अगस्त और इससे पहले भी कई बरसात सीवरेज और नालों की सफाई के दावों की पोल खोल चुकी है और कुछ लोगों को वाहन सहित निगल भी चुकी है. लेकिन प्रशासन ने इन हादसों (Accidents) से कोई सीख नहीं ली. इस बार भी अतिवृष्टि की स्थिति में द्रव्यवती नदी (Dravyavati River) और करतारपुरा नाले के नजदीक गुजरने वाली सड़कें हादसों को न्योता दे रही हैं.

राजधानी में जब भी मानसून मेहरबान होता है, तब अपने साथ आफत की तस्वीरें भी साथ लेकर आता है. कहीं सड़कों पर कागज की नाव की तरह बहती हुई कारें नजर आती हैं तो कहीं घर पानी में डूब जाते हैं. यही नहीं, शहर के कुछ पॉइंट तो ऐसे हैं जहां सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. द्रव्यवती नदी से लगते हुए शहर में कई ऐसे लिंक रोड हैं, जिन्हें अनदेखी के चलते आज तक मुख्य सड़क के समानांतर ऊंचा नहीं किया गया.

ईटीवी भारत Ground Report, Part-1

यही वजह है कि बारिश के समय यहां यातायात पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है. और तो और ये हालात दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. इसके साथ ही शहर का करतारपुरा नाला तो कभी अपने साथ कार को बहा ले जाता है, तो कभी मोटरसाइकिल को. इन हादसों के बावजूद प्रशासन सीख नहीं लेता. ईटीवी भारत ने राजधानी के कुछ ऐसे ही पॉइंट का जायजा लिया, जहां बरसात अपने साथ आफत लेकर आती है.

दुर्गापुरा से मानसरोवर जाने वाला महारानी फार्म लिंक रोड...

यहां कुछ घंटों की बारिश में ही द्रव्यवती नदी पर पानी की चादर चलने लगती है और यही पानी महारानी फार्म लिंक पुलिया पर आ जाता है. जिसकी वजह से मानसरोवर से दुर्गापुरा आने-जाने वाले मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है. हालांकि, यहां चेतावनी बोर्ड जरूर लगा रखा है, लेकिन उसे फुटपाथ पर इस कदर लगाया गया है कि वाहन चालकों को नजर तक नहीं आता. यहां चाय की थड़ी लगाने वाले युवक ने बताया कि बीते साल बारिश में करीब 4 घंटे तक यहां जलजमाव की स्थिति रही और पानी बहने के बाद भी गरीब 2 से 3 फुट कीचड़ इकट्ठा हो गया. जिससे वाहन यहां से गुजर नहीं सके.

ईटीवी भारत Ground Report, Part-2

सहकार मार्ग से लगता हुआ करतारपुरा नाला...

साल 2017 हो या 2020, जब भी राजधानी में अतिवृष्टि होती है तो करतारपुरा नाले में कार और मोटरसाइकिल बहने की घटनाएं सामने आई हैं. इन वाहनों के साथ उनके चालक भी इन नालों में बहकर काल का ग्रास बन चुके हैं. आलम ये है कि यहां करीब 5 से 7 फुट तक पानी बहता है, जो क्षेत्रीय घरों में भी जा पहुंचता है. क्षेत्रीय लोगों के अनुसार यहां लगे चेतावनी बोर्ड तक इस पानी के साथ बह चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें दोबारा लगाने की जहमत नहीं उठाई. यही नहीं, कार बहने के हादसे के बाद यहां रेलिंग लगाई गई है. यहां अतिवृष्टि के दौरान अमूमन क्षेत्रीय लोगों को ही स्वयंसेवक बनकर लोगों की मदद के लिए आगे आना पड़ता है.

status of drains in jaipur
जयपुर में नालों की स्थिति...

पढ़ें : Corona ने समझाया पौधों का महत्व, वन विभाग करने जा रहा ये बड़ा काम...50 से ज्यादा वैरायटी तैयार

हसनपुरा क्षेत्र में द्रव्यवती नदी का मुहाना...

इस क्षेत्र में भी पारंपारिक पुलिया ही बनी हुई है, जिस पर तेज बारिश में पानी की चादर चलती है. रेलवे स्टेशन से सिरसी रोड जाने वाली इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही बहुत अधिक रहती है, लेकिन बारिश के दौरान इस पुलिया को पार करना मुश्किल हो जाता है. यही नहीं, जागरूकता के अभाव में कुछ लोग द्रव्यवती में नहाने के लिए भी कूद जाते हैं, जो लापरवाही का शिकार (Victim of Negligence) भी हो चुके हैं.

roadside instruction boards...
सड़क किनारे लगे बोर्ड...

अनदेखी क्यों...

हालांकि, इस बार मानसून से पूर्व आपदा प्रबंधन की तैयारी की जा रही है. मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से जयपुर के दोनों निगम हेरिटेज और ग्रेटर में 6 से 7 बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने की प्लानिंग की जा रही है, जहां तमाम संसाधन मौजूद रहेंगे. लेकिन सवाल यही उठता है कि जब शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिया जाता है तो फिर इन नालों और पुलिया का विकास अनदेखी का शिकार क्यों हो रहा है.

जयपुर. बीते साल 14 अगस्त और इससे पहले भी कई बरसात सीवरेज और नालों की सफाई के दावों की पोल खोल चुकी है और कुछ लोगों को वाहन सहित निगल भी चुकी है. लेकिन प्रशासन ने इन हादसों (Accidents) से कोई सीख नहीं ली. इस बार भी अतिवृष्टि की स्थिति में द्रव्यवती नदी (Dravyavati River) और करतारपुरा नाले के नजदीक गुजरने वाली सड़कें हादसों को न्योता दे रही हैं.

राजधानी में जब भी मानसून मेहरबान होता है, तब अपने साथ आफत की तस्वीरें भी साथ लेकर आता है. कहीं सड़कों पर कागज की नाव की तरह बहती हुई कारें नजर आती हैं तो कहीं घर पानी में डूब जाते हैं. यही नहीं, शहर के कुछ पॉइंट तो ऐसे हैं जहां सड़कें नदियों में तब्दील हो जाती हैं. द्रव्यवती नदी से लगते हुए शहर में कई ऐसे लिंक रोड हैं, जिन्हें अनदेखी के चलते आज तक मुख्य सड़क के समानांतर ऊंचा नहीं किया गया.

ईटीवी भारत Ground Report, Part-1

यही वजह है कि बारिश के समय यहां यातायात पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता है. और तो और ये हालात दुर्घटनाओं को न्योता देते हैं. इसके साथ ही शहर का करतारपुरा नाला तो कभी अपने साथ कार को बहा ले जाता है, तो कभी मोटरसाइकिल को. इन हादसों के बावजूद प्रशासन सीख नहीं लेता. ईटीवी भारत ने राजधानी के कुछ ऐसे ही पॉइंट का जायजा लिया, जहां बरसात अपने साथ आफत लेकर आती है.

दुर्गापुरा से मानसरोवर जाने वाला महारानी फार्म लिंक रोड...

यहां कुछ घंटों की बारिश में ही द्रव्यवती नदी पर पानी की चादर चलने लगती है और यही पानी महारानी फार्म लिंक पुलिया पर आ जाता है. जिसकी वजह से मानसरोवर से दुर्गापुरा आने-जाने वाले मार्ग पूरी तरह बाधित हो जाता है. हालांकि, यहां चेतावनी बोर्ड जरूर लगा रखा है, लेकिन उसे फुटपाथ पर इस कदर लगाया गया है कि वाहन चालकों को नजर तक नहीं आता. यहां चाय की थड़ी लगाने वाले युवक ने बताया कि बीते साल बारिश में करीब 4 घंटे तक यहां जलजमाव की स्थिति रही और पानी बहने के बाद भी गरीब 2 से 3 फुट कीचड़ इकट्ठा हो गया. जिससे वाहन यहां से गुजर नहीं सके.

ईटीवी भारत Ground Report, Part-2

सहकार मार्ग से लगता हुआ करतारपुरा नाला...

साल 2017 हो या 2020, जब भी राजधानी में अतिवृष्टि होती है तो करतारपुरा नाले में कार और मोटरसाइकिल बहने की घटनाएं सामने आई हैं. इन वाहनों के साथ उनके चालक भी इन नालों में बहकर काल का ग्रास बन चुके हैं. आलम ये है कि यहां करीब 5 से 7 फुट तक पानी बहता है, जो क्षेत्रीय घरों में भी जा पहुंचता है. क्षेत्रीय लोगों के अनुसार यहां लगे चेतावनी बोर्ड तक इस पानी के साथ बह चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें दोबारा लगाने की जहमत नहीं उठाई. यही नहीं, कार बहने के हादसे के बाद यहां रेलिंग लगाई गई है. यहां अतिवृष्टि के दौरान अमूमन क्षेत्रीय लोगों को ही स्वयंसेवक बनकर लोगों की मदद के लिए आगे आना पड़ता है.

status of drains in jaipur
जयपुर में नालों की स्थिति...

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हसनपुरा क्षेत्र में द्रव्यवती नदी का मुहाना...

इस क्षेत्र में भी पारंपारिक पुलिया ही बनी हुई है, जिस पर तेज बारिश में पानी की चादर चलती है. रेलवे स्टेशन से सिरसी रोड जाने वाली इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही बहुत अधिक रहती है, लेकिन बारिश के दौरान इस पुलिया को पार करना मुश्किल हो जाता है. यही नहीं, जागरूकता के अभाव में कुछ लोग द्रव्यवती में नहाने के लिए भी कूद जाते हैं, जो लापरवाही का शिकार (Victim of Negligence) भी हो चुके हैं.

roadside instruction boards...
सड़क किनारे लगे बोर्ड...

अनदेखी क्यों...

हालांकि, इस बार मानसून से पूर्व आपदा प्रबंधन की तैयारी की जा रही है. मानसून के दौरान राहत और बचाव की दृष्टि से जयपुर के दोनों निगम हेरिटेज और ग्रेटर में 6 से 7 बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित करने की प्लानिंग की जा रही है, जहां तमाम संसाधन मौजूद रहेंगे. लेकिन सवाल यही उठता है कि जब शहर के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर दिया जाता है तो फिर इन नालों और पुलिया का विकास अनदेखी का शिकार क्यों हो रहा है.

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