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जयपुरः एसएमएस हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने रचा इतिहास, बिना हड्डी काटे दिल के ऑपरेशन को दिया अंजाम

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Published : Nov 17, 2020, 1:23 AM IST

सवाईमान सिंह हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ दिल की बीमारी के ऑपरेशन को अंजाम दिया. हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक विभाग के चिकित्सकों द्वारा हृदय की जन्मजात विकृति-कंपलीट एवी कैनाल डिफेक्ट विद केंद्रिक्यलर सेप्टल डिफेक्ट विद वाल्व रिपेयर का ऑपरेशन छोटे चीरे द्वारा बिना छाती की हड्डी काटे किया.

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एसएमएस हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने रचा इतिहास

जयपुर. सवाईमान सिंह हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ दिल की बीमारी के ऑपरेशन को अंजाम दिया. हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक विभाग के चिकित्सकों द्वारा हृदय की जन्मजात विकृति-कंपलीट एवी कैनाल डिफेक्ट विद केंद्रिक्यलर सेप्टल डिफेक्ट विद वाल्व रिपेयर का ऑपरेशन छोटे चीरे द्वारा बिना छाती की हड्डी काटे किया.

CTVS विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा ने बताया कि अभी तक हृदय के जो मिनिमल इनवेसिव ऑपरेशन होते हैं. उनमें छाती पर चार अलग अलग छोटे चीरे लगाये जाते है ताकि उपकरण आसानी से छाती में प्रवेश कर सके और उनके अलावा एक चीरा जांच में लगाया जाता है. जिसके द्वारा जांच की फेमोरल धमनी और शिरा (आर्टरी एवं वेन) के द्वारा रक्त संचार प्रणाली को ऑपरेशन के दौरान नियंत्रित किया जा सके.

इस प्रकार की सर्जरी के लिए विशिष्ट प्रकार का ऑपरेशन थिएटर, विशेष ट्रेंड स्टाफ और उपकरणों की आवश्यकता होती है. डॉ. शर्मा और उनकी टीम द्वारा बिना छाती की हड्डी काटे एक ही थीरे द्वारा जन्मजात विकृति की यह सफल सर्जरी अपने आप में एक विश्वस्तरीय उपलब्धी है. डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि 19 वर्षीय मरीज ममता जन्म से ही सांस फूलने, छाती में दर्द और अत्यधिक थकान की शिकायत थी.

पढ़ेंः पालीः सुमेरपुर के हास्पिटल में दिन-दहाड़े डॉक्टर पर जानलेवा हमला, हास्पिटल में भी तोड़-फोड़...पूरी घटना CCTV में कैद

मरीज की जांच करने पर पाया गया कि मरीज को एवी कैनाल डिफेक्ट विद वेंट्रिकूलर सेप्टल डिफेक्ट विद सिवियर माईट्रल एण्ड ट्राईकस्पिड लीक विद पल्मोनरी आर्टिरियल हाईपरटेन्शन की बीमारी थी. जोकि लगभग 1 हजार में से मात्र 1 या उससे भी कम लोगों में होती है. जो वयस्कों में भी पाई जा सकती है. ममता के मिट्रल वाल्व की कोई और ट्राईकस्पिड वाल्व की कोई आपस में उलझी हुई थी, जिसका रिपेयर कर पाना काफी मुश्किल था. सामान्यत ये ऑपरेशन छाती की हड्डी काट कर किये जाते है और जानकारी का मानना है कि ऐसा ऑपरेशन करना बिना छाती की हइडी काटे भी संभव नहीं है.

मरीज की उम्र 19 वर्षीय एवं लड़की होने की वजह से यह प्लान किया गया और करीब 3 घटे के विचार विमर्श के बाद डॉ. अनिल शर्मा की टीम ने इसका पूरा प्लान चार्ट किया और इस मुश्किल ऑपरेशन को बिना छाती की हड्डी काटे सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया. यह ऑपरेशन करीब 9 सेमी के धीरे से मरीज की छाती के दाई तरफ से सिर्फ एक ही चीरे से किया गया.

जयपुर. सवाईमान सिंह हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ दिल की बीमारी के ऑपरेशन को अंजाम दिया. हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक विभाग के चिकित्सकों द्वारा हृदय की जन्मजात विकृति-कंपलीट एवी कैनाल डिफेक्ट विद केंद्रिक्यलर सेप्टल डिफेक्ट विद वाल्व रिपेयर का ऑपरेशन छोटे चीरे द्वारा बिना छाती की हड्डी काटे किया.

CTVS विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा ने बताया कि अभी तक हृदय के जो मिनिमल इनवेसिव ऑपरेशन होते हैं. उनमें छाती पर चार अलग अलग छोटे चीरे लगाये जाते है ताकि उपकरण आसानी से छाती में प्रवेश कर सके और उनके अलावा एक चीरा जांच में लगाया जाता है. जिसके द्वारा जांच की फेमोरल धमनी और शिरा (आर्टरी एवं वेन) के द्वारा रक्त संचार प्रणाली को ऑपरेशन के दौरान नियंत्रित किया जा सके.

इस प्रकार की सर्जरी के लिए विशिष्ट प्रकार का ऑपरेशन थिएटर, विशेष ट्रेंड स्टाफ और उपकरणों की आवश्यकता होती है. डॉ. शर्मा और उनकी टीम द्वारा बिना छाती की हड्डी काटे एक ही थीरे द्वारा जन्मजात विकृति की यह सफल सर्जरी अपने आप में एक विश्वस्तरीय उपलब्धी है. डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि 19 वर्षीय मरीज ममता जन्म से ही सांस फूलने, छाती में दर्द और अत्यधिक थकान की शिकायत थी.

पढ़ेंः पालीः सुमेरपुर के हास्पिटल में दिन-दहाड़े डॉक्टर पर जानलेवा हमला, हास्पिटल में भी तोड़-फोड़...पूरी घटना CCTV में कैद

मरीज की जांच करने पर पाया गया कि मरीज को एवी कैनाल डिफेक्ट विद वेंट्रिकूलर सेप्टल डिफेक्ट विद सिवियर माईट्रल एण्ड ट्राईकस्पिड लीक विद पल्मोनरी आर्टिरियल हाईपरटेन्शन की बीमारी थी. जोकि लगभग 1 हजार में से मात्र 1 या उससे भी कम लोगों में होती है. जो वयस्कों में भी पाई जा सकती है. ममता के मिट्रल वाल्व की कोई और ट्राईकस्पिड वाल्व की कोई आपस में उलझी हुई थी, जिसका रिपेयर कर पाना काफी मुश्किल था. सामान्यत ये ऑपरेशन छाती की हड्डी काट कर किये जाते है और जानकारी का मानना है कि ऐसा ऑपरेशन करना बिना छाती की हइडी काटे भी संभव नहीं है.

मरीज की उम्र 19 वर्षीय एवं लड़की होने की वजह से यह प्लान किया गया और करीब 3 घटे के विचार विमर्श के बाद डॉ. अनिल शर्मा की टीम ने इसका पूरा प्लान चार्ट किया और इस मुश्किल ऑपरेशन को बिना छाती की हड्डी काटे सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया. यह ऑपरेशन करीब 9 सेमी के धीरे से मरीज की छाती के दाई तरफ से सिर्फ एक ही चीरे से किया गया.

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