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Rajasthan Rajya Sabha Election: लागू नहीं होता पार्टी का व्हिप, इस गलती पर खारिज हो सकता है निर्दलीयों का वोट!

सभी राजनीतिक दलों के विधायकों को मतदान स्थल पर मौजूद अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट को वोट दिखाकर ही वोट देने का नियम है. इन चुनावों में पार्टी का व्हिप (Party whip does not apply in Rajya Sabha Election) भी नहीं लागू होता यह चुनाव निर्दलीय पर बहुत कुछ निर्भर है इसलिए वो कौन सी गलती है, जिसके चलते निर्दलीयों का वोट भी खारिज हो सकता है...

Rajasthan Rajya Sabha Election
लागू नहीं होता पार्टी का व्हिप
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Published : Jun 3, 2022, 3:58 PM IST

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों पर 10 जून को मतदान (Rajasthan Rajya Sabha Election ) होगा. 4 सीटों पर पांच उम्मीदवारों के उतरने से इस बार मुकाबला रोचक हो गया है और चौथी सीट पर जीत के लिए निर्दलीयों की भूमिका भी अहम हो गई है. खास बात यह है कि इन चुनावों में पार्टी का व्हिप (Party whip does not apply in Rajya Sabha Election) भी नहीं लागू होता और नियमों के विपरीत आचरण से वोट निरस्त व खारिज भी हो सकता है.

राजनीतिक दल के विधायक एजेंट को दिखाएंगे वोट - सभी राजनीतिक दलों के विधायकों को मतदान स्थल पर मौजूद अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट (MLA will show votes to Party agent) को वोट दिखाकर ही वोट देने का नियम है. विधायक अपना वोट किसी भी प्रत्याशी को वरीयता अनुसार दे सकता है और इसके लिए मतपत्र पर निर्धारित श्याही के पेन का ही उपयोग होगा. मतलब यदि किसी दल के विधायक ने पार्टी के विरोधी दल के प्रत्याशी को भी वोट दे दिया तो वह खारिज नहीं होगा बशर्ते एजेंट को वह वोट दिखाना होगा. हालांकि वोट खारिज भले ही ना हो लेकिन इस गलती पर संबंधित पार्टी अपने विधायक के खिलाफ संगठनात्मक स्तर पर कार्रवाई कर सकती है. अब निर्दलीय विधायकों के वोट की बात की जाए तो मतदान स्थल पर उन्हें वोट दिखाकर देने का कोई नियम नहीं है. निर्दलीय किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं होते और न ही उनका कोई एजेंट होता है. मतलब निर्दलीय विधायक को जिसे भी वोट देना होगा वह अपनी स्वेच्छा से दे सकता है.

पढ़ें- Unhappy Guda On Congress: मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा बोले- सीएम गहलोत बोलते ज्यादा हैं...माकन ने की वादाखिलाफी

इस गलती पर निरस्त हो सकता है निर्दलीय विधायकों का वोट - राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक ने यदि मतदान स्थल पर वोट देने से पहल अपना मतपत्र किसी अन्य एजेंट या विधायक को दिखा दिया तो उसका वोट निरस्त हो सकता है. पूर्व में हरियाणा एक विधायक ने अपने साथी विधायक को अपना मत पत्र दिखा दिया था, इस वजह से विधायक का वोट खारिज कर दिया गया था. यही नियम राज्यसभा के चुनाव में सभी जगह लागू होता है.

पार्टी का व्हिप लागू नहीं लेकिन पार्टी कर सकती है कार्रवाई - राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक दलों का व्हिप भी लागू नहीं होता, लेकिन यदि किसी दल का विधायक अपने एजेंट को अपना मतपत्र दिखाए बिना वोट दे देता है तो एजेंट की शिकायत पर वह वोट खारिज हो सकता है. इसी तरह यदि विधायक अपना मतपत्र दिखाकर वोट देता है और उसमें पार्टी प्रत्याशी के अलावा किसी अन्य का वोट दिया जाता है तो भी वो खारिज नहीं होगा. हालांकि पार्टी प्रत्याशी या पार्टी के निर्णय के विपरीत किसी अन्य प्रत्याशी को वोट देने पर की एजेंट द्वारा पार्टी में शिकायत करने पर संबंधित राजनीतिक दल ऐसे विधायक के खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

पढ़ें- Congress leaders in Udaipur: उदयपुर में फिर सियासी जमघट, बाड़ेबंदी के लिए सरकार के कई विधायक पहुंचे होटल ताज अरावली

राजस्थान राज्यसभा चुनाव में ये है विधायकों की संख्या गणित- राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं मतलब इन चुनाव में 200 विधायक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. इनमें कांग्रेस के खुद के विधायक 108 हैं, जबकि आरएलडी के एक विधायक डॉ सुभाष गर्ग सरकार में मंत्री हैं, इस तरह कांग्रेस के 109 विधायक हुए. इसी तरह भाजपा के 71 विधायक, आरएलपी के 3 विधायक, बीटीपी के 2 माकपा के 2 और 13 निर्दलीय विधायक हैं. राज्यसभा चुनाव में उतरे प्रत्याशियों को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. कांग्रेस ने 3 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. इनमें रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवाड़ी शामिल हैं, जबकि भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी के रूप में एक और डॉ सुभाष चंद्रा के रूप में भाजपा निर्दलीय समर्थित उम्मीदवार मैदान में हैं.

जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों पर 10 जून को मतदान (Rajasthan Rajya Sabha Election ) होगा. 4 सीटों पर पांच उम्मीदवारों के उतरने से इस बार मुकाबला रोचक हो गया है और चौथी सीट पर जीत के लिए निर्दलीयों की भूमिका भी अहम हो गई है. खास बात यह है कि इन चुनावों में पार्टी का व्हिप (Party whip does not apply in Rajya Sabha Election) भी नहीं लागू होता और नियमों के विपरीत आचरण से वोट निरस्त व खारिज भी हो सकता है.

राजनीतिक दल के विधायक एजेंट को दिखाएंगे वोट - सभी राजनीतिक दलों के विधायकों को मतदान स्थल पर मौजूद अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट (MLA will show votes to Party agent) को वोट दिखाकर ही वोट देने का नियम है. विधायक अपना वोट किसी भी प्रत्याशी को वरीयता अनुसार दे सकता है और इसके लिए मतपत्र पर निर्धारित श्याही के पेन का ही उपयोग होगा. मतलब यदि किसी दल के विधायक ने पार्टी के विरोधी दल के प्रत्याशी को भी वोट दे दिया तो वह खारिज नहीं होगा बशर्ते एजेंट को वह वोट दिखाना होगा. हालांकि वोट खारिज भले ही ना हो लेकिन इस गलती पर संबंधित पार्टी अपने विधायक के खिलाफ संगठनात्मक स्तर पर कार्रवाई कर सकती है. अब निर्दलीय विधायकों के वोट की बात की जाए तो मतदान स्थल पर उन्हें वोट दिखाकर देने का कोई नियम नहीं है. निर्दलीय किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं होते और न ही उनका कोई एजेंट होता है. मतलब निर्दलीय विधायक को जिसे भी वोट देना होगा वह अपनी स्वेच्छा से दे सकता है.

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इस गलती पर निरस्त हो सकता है निर्दलीय विधायकों का वोट - राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय विधायक ने यदि मतदान स्थल पर वोट देने से पहल अपना मतपत्र किसी अन्य एजेंट या विधायक को दिखा दिया तो उसका वोट निरस्त हो सकता है. पूर्व में हरियाणा एक विधायक ने अपने साथी विधायक को अपना मत पत्र दिखा दिया था, इस वजह से विधायक का वोट खारिज कर दिया गया था. यही नियम राज्यसभा के चुनाव में सभी जगह लागू होता है.

पार्टी का व्हिप लागू नहीं लेकिन पार्टी कर सकती है कार्रवाई - राज्यसभा चुनाव में राजनीतिक दलों का व्हिप भी लागू नहीं होता, लेकिन यदि किसी दल का विधायक अपने एजेंट को अपना मतपत्र दिखाए बिना वोट दे देता है तो एजेंट की शिकायत पर वह वोट खारिज हो सकता है. इसी तरह यदि विधायक अपना मतपत्र दिखाकर वोट देता है और उसमें पार्टी प्रत्याशी के अलावा किसी अन्य का वोट दिया जाता है तो भी वो खारिज नहीं होगा. हालांकि पार्टी प्रत्याशी या पार्टी के निर्णय के विपरीत किसी अन्य प्रत्याशी को वोट देने पर की एजेंट द्वारा पार्टी में शिकायत करने पर संबंधित राजनीतिक दल ऐसे विधायक के खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई कर सकती है.

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राजस्थान राज्यसभा चुनाव में ये है विधायकों की संख्या गणित- राजस्थान विधानसभा में कुल 200 विधायक हैं मतलब इन चुनाव में 200 विधायक अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. इनमें कांग्रेस के खुद के विधायक 108 हैं, जबकि आरएलडी के एक विधायक डॉ सुभाष गर्ग सरकार में मंत्री हैं, इस तरह कांग्रेस के 109 विधायक हुए. इसी तरह भाजपा के 71 विधायक, आरएलपी के 3 विधायक, बीटीपी के 2 माकपा के 2 और 13 निर्दलीय विधायक हैं. राज्यसभा चुनाव में उतरे प्रत्याशियों को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. कांग्रेस ने 3 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. इनमें रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवाड़ी शामिल हैं, जबकि भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी के रूप में एक और डॉ सुभाष चंद्रा के रूप में भाजपा निर्दलीय समर्थित उम्मीदवार मैदान में हैं.

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