जयपुर. देश में एक बार फिर कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ (increasing case of Corona) रहे हैं, जिस कारण लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी है. अपने बच्चों को स्कूल भेज कर खुश हुए परिजनों को फिर से चिंता सता रही है. राजस्थान से सटे दिल्ली, यूपी के अलावा महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच राज्य सरकार से प्रदेश के नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर अपेक्षाएं हैं. उम्मीद की जा रही है कि कोरोना महामारी को लेकर बरती जा रही लापरवाहियों पर लगाम लगाई जाए और स्कूलों, सार्वजनिक, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों पर सख्त एडवाइजरी जारी किए जाए, जिससे बढ़ते कोरोना के मामलों को रोकने के प्रयास किए जा सके.
बढ़ते कोरोना के मामलों को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्ती बरतते हुए दिल्ली में मास्क की अनिर्वायता को पुनः लागू (Mask mandatory in Delhi) कर दिया है और मास्क नहीं लगाने पर जुर्माना निर्धारित किया है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग सहित स्कूलों को लेकर भी सख्त एडवाइजरी जारी की है. ऐसे में लापरवाही रही तो प्रदेश में हालात बिगड़ने पर गंभीर परिस्थितियों के दौर से गुजरना पड़ेगा, जिसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही राज्य सरकार की होगी.
देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामले (increasing case of Corona) बता रहे हैं कि हम एक बार फिर से संकट में हैं. कोरोना की चौथी लहर आने के प्रबल संकेतों के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या एक बार फिर से सबकुछ बंद हो जाएगा, हम फिर से घरों में कैद हो जाएंगे. तमाम चिंताओं के बीच छात्रों को निशाना बनाते हुए कोरोना वायरस चौथी लहर की तरफ बढ़ रहा है. इस बार कोरोना का सीधा हमला मासूमों पर हो रहा है, इससे अपने बच्चों को लेकर माता-पिता काफी चिंतित दिख रहे हैं. वहीं, करीब 2 साल बाद खुले स्कूलों में कोरोना के बढ़ रहे लगातार केसों की वजह से सन्नाटा छा गया है. बच्चों पर हमला करते हुए कोरोना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत गाजियाबाद, नोएड़ा और गुरुग्राम से दूसरे प्रदेशों की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में देश में कई हिस्सों में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है और कोरोना से निपटने के लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी है.
सख्त एडवाइजरी जारी करे सरकार: प्रदेश में एक बार फिर कोरोना महामारी की आहट (Corona Cases in Rajasthan) सुनाई दे रही है. बुधवार को राजधानी जयपुर के एसएमएस स्कूल में 1 छात्र कोरोना संक्रमित पाए जाने से अभिभावकों में हड़कंप मचा हुआ है. बीते दिनों गाजियाबाद, नोएडा और दिल्ली के स्कूलों में बड़ी संख्या में छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए थे. संयुक्त अभिभावक संघ ने 15 अप्रैल को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्कूलों, सार्वजनिक और राजनीतिक आयोजनों को लेकर सख्त एडवाइजरी जारी करने की मांग की थी. अभिभावक संघ का आरोप है कि राज्य सरकार ने कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों पर बिल्कुल भी गंभीरता नही दर्शाई.
अब जब बुधवार को राजधानी जयपुर के स्कूल में 1 छात्र सहित दो दर्जन से अधिक मामले (Corona Cases in Jaipur School) सामने आए, तो संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन की लापरवाही अभिभावकों और प्रदेश के नागरिकों पर भारी पड़ सकती है. पिछले सात दिनों में संघ ने लगातार दूसरी बार राज्य सरकार से स्कूलों, सार्वजनिक, धार्मिक और राजनीतिक आयोजनों पर सख्ती बरतते हुए सख्त एडवाइजरी जारी करने की मांग की. प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन कोरोना महामारी के मामलों पर बिल्कुल भी गंभीरता नही दिखा रहा है. आज पूरे प्रदेश में न मास्क का उपयोग हो रहा है, न सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है.
सतर्क और सावधान स्कूल परिवार: चौथी लहर की आशंका के बीच निजी स्कूल संस्थान भी सतर्क है. गुरुवार को एक बैठक में स्कूल संचालकों ने प्रार्थना सभाओं को रद्द कर कक्षा में ही प्रोटोकॉल के हिसाब से बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया. इस दौरान सैनिटाइजेशन और बच्चों की एंट्री के दौरान उनकी सेहत पर करीब से निगरानी रखना भी तय किया गया. स्कूल संचालकों ने कहा कि प्रोटोकॉल के हिसाब से वे लोग कोरोना महामारी को लेकर सतर्क हैं, हालांकि उन्होंने इस बात पर भी भरोसा जताया कि आईसीएमआर ने जो सर्वे में दावा किया है, उसके मुताबिक बच्चों में हार्ड इम्यूनिटी डिवेलप हो चुकी है और यह बात बच्चों की पढ़ाई में बाधा बनने की जगह उन्हें स्कूल भेजने की प्रेरणा दे रही है.
मानसिक तनाव की जगह सावधानी रखें : वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अनीत गौतम ने भी कहा कि जून तक कोरोना महामारी की चौथी लहर (Fourth Wave of Corona) के पीक पर पहुंचने के आसार जताए जा रहे हैं. ऐसे में स्कूल संचालक एक तरफ मैनेजमेंट की चिंता से घिरने लगे हैं, तो दूसरी तरफ अभिभावक इस बात को लेकर परेशान हैं कि क्या बच्चों की पढ़ाई एक बार फिर अधर में लटक जाएगी? ऐसे में डॉक्टर अनीता की सलाह है कि किसी भी सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली खबर की पूरी पड़ताल जाने बिना तनाव लेना बेकार है.
अगर बच्चों को इस महामारी से बचाना है, तो जरूरी है कि बच्चों को सतर्कता बरतने के लिए जरूरी अहम बातों को सिखाया जाए. बच्चों के सैनिटाइजेशन और हाइजीन पर पूरा ध्यान दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि न सिर्फ खाने की जरूरत है, बल्कि मानसिक रूप से भी बच्चों का स्वस्थ रहना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि अगर सावधानी के साथ बच्चे ऑफलाइन क्लासेज में जाते हैं, तो यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से खासा बेहतर होगा. इसलिए सिर्फ अफवाहों के आधार पर परिजन चिंतित होकर बच्चों की स्कूल न छुड़वाए.