जयपुर. जिला कलेक्ट्रेट में शुक्रवार को 18 पाक विस्थापितों को जिला कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने भारतीय नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपा. इन 18 लोगों में 2 परिवारों के 9 सदस्य भी शामिल थे. इन दोनों ही परिवारों के सदस्यों ने कहा कि अब उनके देखे गए सपने जरूर पूरे होंगे. एक परिवार की सकीना माई सरकारी नौकरी कर अपने परिवार के सपने पूरा करना चाहती है, तो वहीं दूसरे परिवार का राजाभाट मुंबई जाकर अभिनय क्षेत्र में नाम कमाना चाहता है.
जयपुर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में हसन मेघवाल अपने बच्चों के साथ आए थे. इनके 5 बच्चों को शुक्रवार को भारतीय नागरिकता मिली. हसन मेघवाल ने कहा कि 20 साल के संघर्ष के बाद हमें भारतीय नागरिकता मिली है और हम भारत माता को प्रणाम करते हैं. हम अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए भारत आए थे. जब हसन मेघवाल से पाकिस्तान के माहौल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो जैसा करता है वैसा ही भरता है, गलत काम करने वाले को भगवान सद्बुद्धि दे.
प्रतियोगी परीक्षाएं देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था..
एमए फाइनल की पढ़ाई करने वाली हसन मेघवाल की बेटी सकीना माई भारतीय नागरिकता मिलने पर काफी खुश नजर आई और यह खुशी उनकी आंखों में साफ नजर आ रही थी. उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिकता मिलने से पहले उन्हें प्रतियोगी परीक्षाएं देने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था और वह किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाई, लेकिन अब भारतीय नागरिकता मिलने के बाद वह प्रतियोगिता परीक्षा दे सकेगी और सरकारी नौकरी करेगी, यही उसका सपना भी है.
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हसन मेघवाल ने बताया कि उसके परिवार में उसकी बेटियों हसीना माई, सकीना माई, बेटे सुंदर, वशन राम और नारूराम को आज भारतीय नागरिकता मिली है. पाकिस्तान के रहमीयार जिले से भारत आए थे.
दूसरा परिवार पाकिस्तान के सिंध से परिवार के साथ भारत आए थे. इनमें एक बहन और तीन भाइयों को भारतीय नागरिकता मिली. इस परिवार में राजा, अमर, सोना और गीता को भारतीय नागरिकता दी गई. गीता की आंखों से खुशी के आंसू भी छलक गए.
गीता ने बताया कि 15 साल बाद हमें भारतीय नागरिकता मिली है. बिना नागरिकता के मकान मिलने सहित कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता को भी दो साल पहले ही भारतीय नागरिकता मिली है. गीता ने खुशी जताई कि भारतीय नागरिकता मिलने के बाद वे अपनी मर्जी से काम कर सकेंगे. इससे पहले जयपुर से बाहर भी जाना नहीं हो पाता था. गीता ने उम्मीद जताई कि भारतीय नागरिकता मिलने के बाद जल्द ही शायद उन्हें प्लॉट भी मिल जाए.
पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के चलते वे भारत आ गए: गीता
गीता ने बताया कि पाकिस्तान छोड़ते वक्त भारत में अपनी नई शुरुआत करने के लिए वहां अपना घर और बिजनेस भी बेच दिया. भारत में आम लोगों की जिंदगी से प्रभावित थे और यहां आकर नागरिकता के लिए आवेदन किया. उसने कहा कि भारत के मुकाबले पाकिस्तान में अपराध ज्यादा होते हैं. पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद के चलते वे भारत आ गए.
गीता का भाई राजा भाट भी भारतीय नागरिकता मिलने के बाद ज्यादा खुश नजर आया. उन्होंने कहा कि 15 साल के इंतजार के बाद उन्हें यह खुशी हासिल हुई है. अब वह मुंबई जाकर सिनेमा जगत में अपना नाम कमाना चाहता है और यही उसका सपना भी है. बिना नागरिकता होने वाली समस्याओं के बारे में राजा भाट ने कहा कि यदि वह समस्याएं गिनाने लगा तो समस्याएं खत्म ही नहीं होगी.
हिंदुस्तान में बहुत प्यारे लोग हैं: राजा भाट
उन्होंने कहा कि शुरुआत में भाषा को लेकर समस्या आई, लेकिन धीरे-धीरे आदत हो गई. हिंदुस्तान में बहुत प्यारे लोग हैं और सहयोग भी करते हैं. यहां पाकिस्तान से ज्यादा आजादी है. राजा भाट ने कहा कि यही से पढ़ाई कर रंगमंच शुरू किया था. अब मैं मुंबई जाकर सिनेमा जगत में काम करना चाहता हूं. पाकिस्तान के माहौल में के बारे में उसने कहा कि वह उस समय बच्चा था लेकिन इतना जरूर याद है कि जब शाम हो जाती थी तो वे लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे.