जयपुर. कोरोना संकट का सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूर और प्रवासी राजस्थानियों पर पड़ा. काम के लिए दूसरे देश, प्रदेश में रह रहे प्रवासी राजस्थानी अपने राज्य में आने के लिए आतुर तो हुए. लेकिन यहां आशियाना नहीं होने के चलते खुद को असहाय समझा.
हालांकि राजधानी जयपुर में ऐसे प्रवासियों के लिए राज्य सरकार के इक्का-दुक्का प्रोजेक्ट तेज धूप में पेड़ की छांव साबित हुआ. बिल्डर और डेवलपर सुरेंद्र खंडेलवाल ने बताया कि प्रवासी राजस्थानियों की 2 कैटेगरी हैं. एक वो जो इसी देश में दूसरे प्रदेश में रहते हैं और दूसरे वो जो दूसरे देश में रह रहे हैं.
जो लोग देश से बाहर चले गए वो कोविड-19 के बाद दोबारा अपने देश में आशियाने तलाश रहे हैं. बीते दिनों राज्य सरकार ने ऐसे एनआरआई के लिए राज आनंद एक प्रोजेक्ट बनाया. वहीं अब राज्य सरकार फागी रोड पर एक नया प्रोजेक्ट लाने जा रही है. उसके लिए सरकार ने जमीन भी रिजर्व कर दी है.
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प्रवासी मजदूर जो ईडब्ल्यूएस-एलआईजी कैटेगरी के हैं, उनके राज्य में जाने का एक कारण ये भी था कि उनके पास यहां मकान नहीं थे. अब मुख्यमंत्री जन आवास योजना में एक प्रावधान है. जिसके तहत यदि प्रवासी मजदूर 1 साल से राजस्थान में रह रहा है तो वो मुख्यमंत्री जन आवास योजना में आवास लेने का हकदार होगा.
वो प्रवासी राजस्थानी जो 1 साल पहले तक राजस्थान में रहते थे, वो भी अफॉर्डेबल हाउसिंग में अपना आवास ले सकते हैं. इस संबंध में अफोर्डेबल हाउसिंग से जुड़े मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि प्रवासी राजस्थानी हो और प्रवासी मजदूरों की अफॉर्डेबल हाउसिंग में बड़ी डिमांड आई है.
जिससे ये माना जा सकता है कि कोरोना काल में जिन लोगों के साथ आवास से संबंधित समस्या आई थी, वो दूर होगी. सरकार ने भी इस पर विशेष फोकस किया है. हालांकि अभी अवेयरनेस की कुछ कमी है.
बहरहाल, कोरोना काल में प्रवासी मजदूर और प्रवासी राजस्थानियों की मुश्किलों को सबके सामने ला दिया. इसके साथ ही सरकारों को भी इस तरफ सोचने को मजबूर किया है.