जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने परीवीक्षा काल में बिना जांच किए ही एक महिला परिचलाक की सेवा खत्म करने की कार्रवाई को गलत बताते हुए 24 जून 2015 के आदेश को रद्द कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को एक माह में पुन: बहाली के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सुमन कुमारी की अपील पर दिए.
हालांकि खंडपीठ ने रोडवेज को कहा है कि यदि वह चाहे तो अपीलार्थी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है. अपील में एकलपीठ के 6 मार्च 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर गई थी. मामले के अनुसार याचिकाकर्ता की नियुक्ति परिचालक पद पर वर्ष 2013 में हुई थी.
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इस दौरान उसके खिलाफ बिना टिकट बस में यात्री पाए जाने की शिकायत मिली. जिस पर रोडवेज ने बिना जांच किए ही उसकी सेवाएं खत्म कर दीं. इसे याचिकाकर्ता ने एकलपीठ में यह कहते हुए चुनौती दी कि उसे बिना जांच कार्रवाई के ही हटाया है, जो गलत है. इसलिए उसके सेवा समाप्ति आदेश को रद्द कर, उसे सेवा में पुन: बहाल किया जाए. लेकिन एकलपीठ ने प्रार्थिया की याचिका खारिज कर दी. जिसे उसने खंडपीठ में चुनौती दी थी.