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BJP Targets Congress : दुष्कर्म, जमीन नीलामी और अब रीट पर फंसी प्रदेश सरकार, सड़क के बाद सदन में घेरने की तैयारी में विपक्ष

दुष्कर्म, किसान जमीन नीलामी और रीट मामले में फंसी सरकार को विपक्ष जनवरी में सड़क के बाद फरवरी में विधानसभा में घेरने की तैयारी कर रहा है. सरकार इन सभी मामलों में विपक्ष के निशाने पर रही. खास बात यह है कि विपक्ष जब लगातार गहलोत सरकार पर हमला कर रहा है तब सीएम को संगठन का साथ नहीं मिल सका. वे खुद ही मोर्चा संभालते नजर आए.

Opposition targeted the Gehlot government
गहलोत सरकार को सदन में घेरने की तैयारी में विपक्ष
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Published : Jan 29, 2022, 9:01 PM IST

जयपुर. नए साल का पहला महीना राजस्थान की गहलोत सरकार पर भारी पड़ रहा है. भले ही इस बार सरकार पर कोई अपनों की वजह से राजनीतिक संकट में नहीं हो. लेकिन प्रदेश में लगातार बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं, किसानों की जमीन नीलामी और रीट परीक्षा पेपर लीक मामले में भाजपा सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरने (Opposition targeted the Gehlot government) में कामयाब हुआ है.

चाहे अलवर में मूक बधिर के साथ हुई बर्बरता का मामला हो, भीलवाड़ा में मूक बधिर के साथ दुष्कर्म का मामला हो या फिर उदयपुर के जनजाति क्षेत्र में दुष्कर्म के मामले. इन सभी मामलों में सरकार को विपक्ष ने जमकर घेरा है. दुष्कर्म ही नही इसी महीने जब अलवर और दौसा में किसानों की जमीन नीलामी का मामला आया तो विपक्ष फिर एक बड़ा मुद्दा मिल गया.

गहलोत सरकार को सदन में घेरने की तैयारी में विपक्ष

संगठन का बचाव नहीं मिलाः इसके बाद रीट पेपर लीक प्रकरण में अब तक हुए खुलासे के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर (BJP Targets Congress In Rajasthan) आ गई है. खास बात यह है कि विपक्ष अब जनवरी में सड़क पर सरकार को घेरने के बाद फरवरी में सदन में इस लड़ाई को ले जाने की तैयारी में जुट गया है. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसमें अपने संगठन का कोई बचाव नहीं मिल रहा है.

यहां तक कि संगठन के नेता तो किसी भी मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं. न तो संगठन दुष्कर्म के मामलों में सरकार का बचाव कर सका, ना ही किसानों की जमीन नीलामी के बारे में और अब रीट पेपर लीक मामले में तो संगठन के मुखिया गोविंद डोटासरा ही विपक्ष के सीधे निशाने पर आ गए हैं. लेकिन संगठन ने इन सभी मामलों पर चुप्पी साध रखी है. इसके चलते मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों को ही सरकार के बचाव के लिए आगे आना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें- Corona Cases in Rajasthan : 24 घंटे में कोविड-19 संक्रमण के 10437 नए मामले, 22 मरीजों की मौत

संगठन मौन तो मुख्यमंत्री ने ही निकाला रास्ताः विपक्षी पार्टी भाजपा जब सरकार को लगातार घेरने में लगी रही तो संगठन केवल विपक्ष के 3 साल की नाकामियों गिनवाता रहा. लेकिन हकीकत यह है कि विपक्ष इस बार सरकार को दबाव में लाने में कामयाब रहा है. जब अपने संगठन का सहयोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नहीं मिला, तो मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभालते हुए पहले अलवर मूक बधिर बालिका के मामले को सीबीआई के सुपुर्द किया. फिर अलवर और दौसा में किसानों की जमीन नीलामी के मामले पर तुरंत रोक लगा दी.

यह भी पढ़ें - REET Paper Leak Case 2021: नकल और पेपर लीक रोक के लिए गहलोत सरकार बजट सत्र में लाएगी कठोर प्रावधानों वाला बिल

इसी तरीके से जब रीट परीक्षा पेपर लीक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर जारोली की भूमिका संदिग्ध मिली तो उन्हें मुख्यमंत्री ने तुरंत बर्खास्त कर दिया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा में नकल और पेपर लीक मामले में कानून लाने की घोषणा कर दी. ऐसे में मुख्यमंत्री जहां खुद अपनी सरकार का बचाव निर्णय के माध्यम से कर रहे हैं तो उनके मंत्री बयानों के जरिए सरकार का बचाव कर रहे हैं. लेकिन सरकार का साथ देने के मामले में अबकी बार संगठन मोह नहीं दिखा रहा है.

जयपुर. नए साल का पहला महीना राजस्थान की गहलोत सरकार पर भारी पड़ रहा है. भले ही इस बार सरकार पर कोई अपनों की वजह से राजनीतिक संकट में नहीं हो. लेकिन प्रदेश में लगातार बढ़ती दुष्कर्म की घटनाओं, किसानों की जमीन नीलामी और रीट परीक्षा पेपर लीक मामले में भाजपा सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरने (Opposition targeted the Gehlot government) में कामयाब हुआ है.

चाहे अलवर में मूक बधिर के साथ हुई बर्बरता का मामला हो, भीलवाड़ा में मूक बधिर के साथ दुष्कर्म का मामला हो या फिर उदयपुर के जनजाति क्षेत्र में दुष्कर्म के मामले. इन सभी मामलों में सरकार को विपक्ष ने जमकर घेरा है. दुष्कर्म ही नही इसी महीने जब अलवर और दौसा में किसानों की जमीन नीलामी का मामला आया तो विपक्ष फिर एक बड़ा मुद्दा मिल गया.

गहलोत सरकार को सदन में घेरने की तैयारी में विपक्ष

संगठन का बचाव नहीं मिलाः इसके बाद रीट पेपर लीक प्रकरण में अब तक हुए खुलासे के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर (BJP Targets Congress In Rajasthan) आ गई है. खास बात यह है कि विपक्ष अब जनवरी में सड़क पर सरकार को घेरने के बाद फरवरी में सदन में इस लड़ाई को ले जाने की तैयारी में जुट गया है. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इसमें अपने संगठन का कोई बचाव नहीं मिल रहा है.

यहां तक कि संगठन के नेता तो किसी भी मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं. न तो संगठन दुष्कर्म के मामलों में सरकार का बचाव कर सका, ना ही किसानों की जमीन नीलामी के बारे में और अब रीट पेपर लीक मामले में तो संगठन के मुखिया गोविंद डोटासरा ही विपक्ष के सीधे निशाने पर आ गए हैं. लेकिन संगठन ने इन सभी मामलों पर चुप्पी साध रखी है. इसके चलते मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्रियों को ही सरकार के बचाव के लिए आगे आना पड़ रहा है.

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संगठन मौन तो मुख्यमंत्री ने ही निकाला रास्ताः विपक्षी पार्टी भाजपा जब सरकार को लगातार घेरने में लगी रही तो संगठन केवल विपक्ष के 3 साल की नाकामियों गिनवाता रहा. लेकिन हकीकत यह है कि विपक्ष इस बार सरकार को दबाव में लाने में कामयाब रहा है. जब अपने संगठन का सहयोग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नहीं मिला, तो मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभालते हुए पहले अलवर मूक बधिर बालिका के मामले को सीबीआई के सुपुर्द किया. फिर अलवर और दौसा में किसानों की जमीन नीलामी के मामले पर तुरंत रोक लगा दी.

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इसी तरीके से जब रीट परीक्षा पेपर लीक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर जारोली की भूमिका संदिग्ध मिली तो उन्हें मुख्यमंत्री ने तुरंत बर्खास्त कर दिया. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने विधानसभा में नकल और पेपर लीक मामले में कानून लाने की घोषणा कर दी. ऐसे में मुख्यमंत्री जहां खुद अपनी सरकार का बचाव निर्णय के माध्यम से कर रहे हैं तो उनके मंत्री बयानों के जरिए सरकार का बचाव कर रहे हैं. लेकिन सरकार का साथ देने के मामले में अबकी बार संगठन मोह नहीं दिखा रहा है.

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