जयपुर. धारा 69ए के तहत प्रदेश में महज 53 हज़ार 598 आवेदन ही प्राप्त हो सके हैं. इनमें भी जारी पट्टों की संख्या 31 हज़ार 158 ही है. जबकि 3 हज़ार 950 पट्टे स्वीकृत नहीं किए गए. राज्य सरकार के सामने आया कि कई आवेदकों को 69ए के प्रकरणों में गूगल मैप पर प्रॉपर्टी चिन्हित करने में समस्या आ रही है. जिससे पट्टे देने में कठिनाई आती है.
आवेदकों की पट्टों को लेकर दुविधा दूर करने के लिए अब राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया है. इसमें स्पष्ट किया है कि 69ए के प्रकरणों में मौका रिपोर्ट के साथ संबंधित कर्मचारी की ओर से गूगल लोकेशन अंकित कर पार्ट प्रति पत्रावली में ही जोड़ी जाए. आदेशों में सरकार ने पट्टों को गति देने के उद्देश्य से कम से कम औपचारिकताएं रखने के निर्देश दिए हैं.
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आपको बता दें कि नगरपालिका अधिनियम की धारा 69-ए (Magical Section 69A in Rajasthan), जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) अधिनियम की धारा 54-ई, अजमेर और जोधपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 50-बी और नगर सुधार अधिनियम की धारा 60-सी के अंतर्गत कृषि भूमि के स्वामित्व अधिकार को समर्पण कर पट्टा दिए जाने का प्रावधान है.
क्या है धारा 69ए ?
राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 69ए (Magical Section 69A in Rajasthan) के अंतर्गत जमीनों को पारित करने वाले व्यक्ति की ओर से अपने अधिकार निकाय को सरेंडर करके उसे फ्री होल्ड पट्टा निर्धारित राशि जमा करके जारी करने का प्रावधान है. धारा 69ए में पट्टा जारी करने के लिए स्टेट पीरियड के राजा की ओर से जारी किए गए पट्टे और रजिस्ट्री, कस्टोडियन के पट्टे और पुराने दस्तावेजों को स्वामित्व दस्तावेज के रूप में अनुमति दी जाएगी. ऐसे दस्तावेज धारक व्यक्तियों को पट्टे जारी करने का प्रावधान किया गया है.
इससे पहले राज्य सरकार ने प्राधिकरण और यूआईटी के अधिकार कम करते हुए ग्राम पंचायतों के आबादी क्षेत्र से लगती ऐसी भूमि जिस पर आबादी बस चुकी है, वहां आवंटन करने के लिए कलेक्टर को अधिकृत किया था. इस संबंध में नगरीय विकास, आवासन और स्वायत्त शासन विभाग ने अधिसूचना भी जारी की थी.