जयपुर. अयोध्या में बुधवार को होने जा रहे भूमि पूजन समारोह के साथ रामलला से जुड़ी कई रोचक बातें सामने आ रहे है. इसी कड़ी में जयपुर के भी तार अयोध्या से जुड़े होने का भी प्रमाण है. जहां आज भी जयपुर के सिटी पैलेस में अयोध्या और वहां की राम जन्म भूमि का अति पौराणिक मानचित्र कपड़द्वारा में सुरक्षित है.
जयपुर रियासत में राम के अयोध्या की परंपराओं का पालन किया जाता रहा है. सिटी पैलेस में सीताराम द्वारा मूर्तियों को युद्ध में सबसे आगे रखा जाता था. वहीं, जौहरी बाजार में श्रीराम के बाल स्वरूप की वजह से रास्ते का नाम रामलला का रास्ता रखा गया है. साथ ही राजा मानसिंह प्रथम तक रियासत का ध्वज भी सफेद रहा जिसमें कचनार के झाड़ का चिन्ह था. वाल्मिकी ने रामायण में राम राज्य के सफेद झंडे में कचनार का पेड़ बताया है. बाद में पांच रंगों का पचरंगा झंडा कायम किया गया.
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दरअसल ढूंढाड़ के कछवाहा महाराज खुद को अयोध्या के राजा भगवान राम के ज्येष्ठ पुत्र कुश की 309 वीं पीढ़ी का वंशज मानते हैं. आमेर और बाद में कायम हुई नई राजधानी की सारी परंपराएं अयोध्या से जोड़ी गई. वहीं, 1992 में राम जन्म भूमि विवाद के समय इतिहासकार गोपाल नारायण और चंद्रमणि सिंह ने सिटी पैलेस में सुरक्षित अयोध्या और राम मंदिर के मानचित्र आम जनता को दिखाने के लिए रखे थे.
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जिसके बाद पिछले साल अयोध्या के मानचित्रों पर विचार विमर्श करने के लिहाज से पद्यनीदेवी और दीयाकुमारी ने विद्वानों को सिटी पैलेस बुलाया था. सवाई जयसिंह ने जयपुर बसाने पर सबसे पहले एक भाग में राम का विशाल मंदिर बनवाकर चौकड़ी रामचंद्र जी कायम की गई. वहीं, अब जयपुर में रामलला सहित राम के 268 मंदिर हैं.