जयपुर. प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना का असर पटवारियों के आंदोलन पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है. वहीं, राजस्थान पटवार संघ ने शहीद स्मारक पर चल रहे धरने में पटवारियों की संख्या में कटौती करने का निर्णय किया है, लेकिन शहीद स्मारक पर चल रहा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा.
दूसरी तरफ राजस्थान पटवार संघ ने आरोप लगाया कि नेताओं की सभाओं और रैलियों में कोरोना नहीं है. लेकिन शहीद स्मारक पर चल रहे पटवारियों के धरने में सरकार को कोरोना दिखाई दे रहा है.
राजस्थान पटवार संघ के बैनर तले प्रदेश के पटवारी पिछले 15 महीने से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और 15 फरवरी से पटवारी शहीद स्मारक पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. लगातार दो जिलों के पटवारी यहां सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर आक्रोश जाता रहे हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर लगातार बढ़ रही है.
इसके चलते सरकार ने धरना प्रदर्शन पर भी रोक लगा दी है. पटवारियों को भी कोरोना गाइडलाइन की पालना करने के निर्देश दिए गए हैं. राजस्थान पटवार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र कुमार निमिवाल ने कहा कि कोरोना को देखते हुए अब शहीद स्मारक पर पटवारी की संख्या में कटौती की जाएगी. ताकि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए धरने को जारी रखा जाए.
पढ़ें: डोटासरा-शिक्षक विवाद : कालीचरण सराफ का बयान...शिक्षा मंत्री के पद को किया शर्मसार
निमिवाल ने कहा कि अब 2 जिलों की कार्यकारिणी ही शहीद स्मारक पर धरना प्रदर्शन में शामिल होगी. उन्होंने कहा कि सरकार धरना प्रदर्शन समाप्त करने के लिए दबाव बना रही है और यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है. साथ ही प्रशासन की ओर से पटवारियों को टेंट हटाने के निर्देश भी दे दिए गए हैं. धरना स्थल से टेंट को हटा लिया गया है.
इसके अलावा निमिवाल ने कहा कि सरकार को उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में कोरोना नहीं दिखाई दे रहा. जबकि शहीद स्मारक पर उन्हें कोरोना दिख रहा है. पटवारियों ने वैक्सीन भी लगवा लिया है, सरकार को वहम है कि पटवारी कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करेंगे लेकिन ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि कल प्रशासन के अधिकारियों से मिलकर धरना स्थल पर छाया की व्यवस्था के लिए आग्रह किया जाएगा.
सरकार से वार्ता को लेकर राजेंद्र निमिवाल ने कहा कि हमारी तीन सूत्री मांग पत्र है लेकिन सरकार इस मांग पत्र से इतर बात कर रही है. सरकार की ओर से कमेटी बनाने की बात कही गई है लेकिन इससे पहले भी कई बार कमेटियां बन चुकी है, जिसका परिणाम शून्य रहा. इससे पहले सरकार ने सामंत कमेटी बनाई थी. जिसकी रिपोर्ट आज तक सरकार दबा कर बैठी है.