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गार्बेज फ्री सिटी की सूची में राजस्थान का एक भी शहर नहीं - स्वायत्त शासन निदेशक उज्ज्वल सिंह राठौड़

प्रदेश के 7 शहरों ने गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग के लिए अप्लाई किया था. लेकिन प्रदेश का एक भी शहर इस सूची में अपनी जगह नहीं बना पाया. वहीं अब इससे राजस्थान की स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग भी प्रभावित होगी. वहीं इस सूची में महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा शहर शामिल हुए.

कचरा मुक्त शहर सूची, garbage free city lis
गार्बेज फ्री सिटी की सूची में प्रदेश का एक भी शहर नहीं
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Published : May 22, 2020, 6:37 PM IST

जयपुर. जयपुर सहित प्रदेश के 7 शहरों ने गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग के लिए अप्लाई किया था. लेकिन आवास और शहरी मामलात मंत्रालय की ओर से जारी सूची में प्रदेश का कोई भी शहर अपनी जगह नहीं बना पाया. इस सूची में महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा शहर शामिल हुए. वहीं अब इससे राजस्थान की स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग भी प्रभावित होगी.

गार्बेज फ्री सिटी की सूची में प्रदेश का एक भी शहर नहीं

केंद्रीय आवास और शहरी मामलात मंत्रालय की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग से पहले गार्बेज फ्री सिटी रैंकिंग जारी की गई. 141 शहरों की सूची में 6 शहरों को 5 स्टार रेटिंग मिली. जबकि 65 को 3 स्टार और 70 को 1 स्टार रेटिंग मिली. इनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के शहर शामिल हैं. जानकारी के अनुसार देश के 1 हजार 435 शहरों ने स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया था. जिनमें से 658 शहर ही मानदंडों को पूरा करने में सक्षम थे. वहीं राजस्थान का कोई शहर स्टार रेटिंग में अपनी जगह नहीं बना पाया. प्रदेश के सात जिले जयपुर, उदयपुर, डूंगरपुर, जोधपुर, अजमेर, पाली और पुष्कर ने गार्बेज फ्री रेटिंग के लिए आवेदन किया था.

पढ़ेंः चाकसू: अधिकारी-कर्मचारियों की लेटलतीफी की वजह से आम जनता को हो रही परेशान

प्रदेश के हाथ लगी इस नाकामी पर स्वायत्त शासन निदेशक उज्ज्वल सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत सरकार ने जिस स्टार रेटिंग का प्रावधान तय किया था, उसके आवेदन में एक लंबी प्रक्रिया है. जो बिना किसी कंसलटेंट के पूरी नहीं की जा सकती थी. नगरीय निकायों ने अपने स्तर पर इस प्रक्रिया को पूरा किया था, लेकिन अगली बार एक्सपर्ट को नियुक्त किया जाएगा.

पढ़ेंः कोरोना को रोकने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर्स पर चाकचौबंद व्यवस्था की गई हैः रघु शर्मा

बता दें की 7 स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए किसी भी शहर को 12 शर्तें पूरी करनी होती हैं. जिसमें डोर टू डोर कचरा संग्रहण, सार्वजनिक स्थानों की सफाई, लिटरबिन, स्टोरेज बिन, वेस्ट सेग्रीगेशन, नालों की स्क्रीनिंग, वेस्ट प्रोसेसिंग और शिकायत निवारण शामिल है. लेकिन इस बार किसी भी शहर को 7 स्टार रेटिंग नहीं मिली. वहीं इस स्टार रेटिंग का सीधा फायदा स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों में मिलता है. जो इस बार प्रदेश के शहरों की रैंकिंग को प्रभावित करेगा.

जयपुर. जयपुर सहित प्रदेश के 7 शहरों ने गार्बेज फ्री सिटी स्टार रेटिंग के लिए अप्लाई किया था. लेकिन आवास और शहरी मामलात मंत्रालय की ओर से जारी सूची में प्रदेश का कोई भी शहर अपनी जगह नहीं बना पाया. इस सूची में महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा शहर शामिल हुए. वहीं अब इससे राजस्थान की स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग भी प्रभावित होगी.

गार्बेज फ्री सिटी की सूची में प्रदेश का एक भी शहर नहीं

केंद्रीय आवास और शहरी मामलात मंत्रालय की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 की रैंकिंग से पहले गार्बेज फ्री सिटी रैंकिंग जारी की गई. 141 शहरों की सूची में 6 शहरों को 5 स्टार रेटिंग मिली. जबकि 65 को 3 स्टार और 70 को 1 स्टार रेटिंग मिली. इनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के शहर शामिल हैं. जानकारी के अनुसार देश के 1 हजार 435 शहरों ने स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया था. जिनमें से 658 शहर ही मानदंडों को पूरा करने में सक्षम थे. वहीं राजस्थान का कोई शहर स्टार रेटिंग में अपनी जगह नहीं बना पाया. प्रदेश के सात जिले जयपुर, उदयपुर, डूंगरपुर, जोधपुर, अजमेर, पाली और पुष्कर ने गार्बेज फ्री रेटिंग के लिए आवेदन किया था.

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प्रदेश के हाथ लगी इस नाकामी पर स्वायत्त शासन निदेशक उज्ज्वल सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत सरकार ने जिस स्टार रेटिंग का प्रावधान तय किया था, उसके आवेदन में एक लंबी प्रक्रिया है. जो बिना किसी कंसलटेंट के पूरी नहीं की जा सकती थी. नगरीय निकायों ने अपने स्तर पर इस प्रक्रिया को पूरा किया था, लेकिन अगली बार एक्सपर्ट को नियुक्त किया जाएगा.

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बता दें की 7 स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिए किसी भी शहर को 12 शर्तें पूरी करनी होती हैं. जिसमें डोर टू डोर कचरा संग्रहण, सार्वजनिक स्थानों की सफाई, लिटरबिन, स्टोरेज बिन, वेस्ट सेग्रीगेशन, नालों की स्क्रीनिंग, वेस्ट प्रोसेसिंग और शिकायत निवारण शामिल है. लेकिन इस बार किसी भी शहर को 7 स्टार रेटिंग नहीं मिली. वहीं इस स्टार रेटिंग का सीधा फायदा स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणामों में मिलता है. जो इस बार प्रदेश के शहरों की रैंकिंग को प्रभावित करेगा.

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