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दो जून की रोटी के लिए जिंदगी दांव पर लगाकर नालों की सफाई कर रहे कर्मचारी...न सुरक्षा उपकरण और न मेडिकल जांच की सुविधा

दो जून की रोटी के लिए बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सफाई कर्मचारी जिंदगी (No safety measures to sewer cleaner) दांव पर लगा रहे हैं. पेट की खातिर तमाम खतरों के बावजूद सफाई में जुटे कर्मचारी हंसते हुए इस काम को कर रहे हैं. इन कर्मचारियों को न तो कोई सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाया जाता है और न ही इनकी मेडिकल जांच होती है.

No safety measures to sewer cleaner
सफाई कर्मी के पास नहीं सुरक्षा इंतजाम
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Published : Jun 1, 2022, 10:54 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 7:22 AM IST

जयपुर. दो जून की रोटी मिलना कितना मुश्किल होता है, जयपुर के नालों की सफाई कर रहे कर्मचारियों को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. महज 300 से 400 रुपए के लिए गंदे नालों में उतर कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने वाले इन कर्मचारियों को न तो सुरक्षा संसाधन (No safety measures to sewer cleaner) उपलब्ध कराए जा रहे हैं और ना ही कोई मेडिकल सुविधा. क्योंकि सवाल पेट का है, ऐसे में ये कर्मचारी भी हंसते हुए इस काम को करने को मजबूर हैं.

बिना कपड़ों के गंदे नाले में उतर कर उसकी सफाई में जुटा विशाल महज 24 साल का है. पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण पेट की आग बुझाने के लिए हंसते हुए इस काम को कर रहा है. बदले में उसे दो जून की रोटी नसीब हो जाती है. कुछ यही हाल जयपुर के नालों में सफाई के लिए उतरे राहुल और जितेंद्र का है. जिन्हें न तो कोई सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए गए, न ही कोई हेल्थ इंश्योरेंस हो रखा है. साथ ही न ही कोई मेडिकल जांच होती है. इनका भी दो टूक जवाब है कि भले ही ये काम गंदा है, पर ये ही उनका धंधा है.

सफाई कर्मी के पास नहीं सुरक्षा इंतजाम

पढ़ें. श्रीगंगानगर: सफाई कर्मचारियों ने की समस्याओं के निराकरण की मांग, 18 जनवरी को हड़ताल की दी चेतावनी

सुरक्षा उपकरण भी नहींः हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार के लाख दावों के बावजूद आज भी विशाल, राहुल और जितेंद्र जैसे सैकड़ों नालों की सफाई करने वाले सफाई कर्मचारी बिना संसाधनों और सुरक्षा उपकरण के सफाई कार्य में जुटे हुए हैं. इन नालों में कई जहरीली गैस मौजूद होती हैं और बिना संसाधनों के सफाई करना इन सफाई कर्मचारियों की मौत का कारण बनता है. जबकि नालों में उतरने वाले कर्मचारी को मास्क, हेलमेट, गम बूट, ग्लव्स, सेफ्टी बेल्ट उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है.

No safety measures to sewer cleaner
जान जोखिम में

यहीं नहीं मौके पर ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूदगी भी सुनिश्चित करना होता है, लेकिन इन सब के विपरीत महज एक अन्य कर्मचारी को साथ लगाकर इतिश्री कर ली जाती है. वो भी उस कंडीशन पर कि अगले राउंड में दूसरा नाले में उतर कर सफाई करेगा. अचरज इस बात का है कि निगम प्रशासन के पास तमाम संसाधन होने के बावजूद आज भी नालों की सफाई का काम मैनुअल हो रहा है वह भी सुरक्षा उपकरणों के बगैर.

जयपुर. दो जून की रोटी मिलना कितना मुश्किल होता है, जयपुर के नालों की सफाई कर रहे कर्मचारियों को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. महज 300 से 400 रुपए के लिए गंदे नालों में उतर कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने वाले इन कर्मचारियों को न तो सुरक्षा संसाधन (No safety measures to sewer cleaner) उपलब्ध कराए जा रहे हैं और ना ही कोई मेडिकल सुविधा. क्योंकि सवाल पेट का है, ऐसे में ये कर्मचारी भी हंसते हुए इस काम को करने को मजबूर हैं.

बिना कपड़ों के गंदे नाले में उतर कर उसकी सफाई में जुटा विशाल महज 24 साल का है. पढ़ा-लिखा नहीं होने के कारण पेट की आग बुझाने के लिए हंसते हुए इस काम को कर रहा है. बदले में उसे दो जून की रोटी नसीब हो जाती है. कुछ यही हाल जयपुर के नालों में सफाई के लिए उतरे राहुल और जितेंद्र का है. जिन्हें न तो कोई सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए गए, न ही कोई हेल्थ इंश्योरेंस हो रखा है. साथ ही न ही कोई मेडिकल जांच होती है. इनका भी दो टूक जवाब है कि भले ही ये काम गंदा है, पर ये ही उनका धंधा है.

सफाई कर्मी के पास नहीं सुरक्षा इंतजाम

पढ़ें. श्रीगंगानगर: सफाई कर्मचारियों ने की समस्याओं के निराकरण की मांग, 18 जनवरी को हड़ताल की दी चेतावनी

सुरक्षा उपकरण भी नहींः हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार के लाख दावों के बावजूद आज भी विशाल, राहुल और जितेंद्र जैसे सैकड़ों नालों की सफाई करने वाले सफाई कर्मचारी बिना संसाधनों और सुरक्षा उपकरण के सफाई कार्य में जुटे हुए हैं. इन नालों में कई जहरीली गैस मौजूद होती हैं और बिना संसाधनों के सफाई करना इन सफाई कर्मचारियों की मौत का कारण बनता है. जबकि नालों में उतरने वाले कर्मचारी को मास्क, हेलमेट, गम बूट, ग्लव्स, सेफ्टी बेल्ट उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है.

No safety measures to sewer cleaner
जान जोखिम में

यहीं नहीं मौके पर ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूदगी भी सुनिश्चित करना होता है, लेकिन इन सब के विपरीत महज एक अन्य कर्मचारी को साथ लगाकर इतिश्री कर ली जाती है. वो भी उस कंडीशन पर कि अगले राउंड में दूसरा नाले में उतर कर सफाई करेगा. अचरज इस बात का है कि निगम प्रशासन के पास तमाम संसाधन होने के बावजूद आज भी नालों की सफाई का काम मैनुअल हो रहा है वह भी सुरक्षा उपकरणों के बगैर.

Last Updated : Jun 2, 2022, 7:22 AM IST
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