जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में हालात यह है कि सत्ताधारी दल होने के बाद भी चाहे निगम चुनाव हो, पंचायत चुनाव रहे हो या फिर अब 50 निकायों में चुनाव. सभी चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बागियों ने जमकर अपनी ही पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा है. इससे भी खासबात यह है कि किसी नेता के खिलाफ कांग्रेस पार्टी ने कार्रवाई भी नहीं की है और कांग्रेस पार्टी के सामने दुविधा यह है कि ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने वाली अनुशासन कमेटी ही राजस्थान में नहीं है. ऐसे में बागियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है.
दरअसल, सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने के बाद कांग्रेस की अनुशासन कमेटी को भी भंग कर दिया गया था, जिसके चलते अनुशासनहीनता के मामले देखने के लिए कांग्रेस में कोई पदाधिकारी नहीं है. हालात यह है कि प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता ही अनुशासनहीनता करते हुए दिखाई दे रहे हैं. कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के परिवार के सदस्य कांग्रेस पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में खड़े हैं और मंत्री उनका प्रचार खुलेआम कर रहे हैं. वहीं भरतपुर में तो निकाय चुनाव में पार्टी डीग और कुम्हेर में 65 जगह अपने सिंबल भी नहीं दे पाई. लेकिन इस अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने आंखें बंद कर रखी है, जिसका फायदा कांग्रेस के नेता जमकर उठा रहे हैं.
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स्थानीय नेता तो प्रदेश कांग्रेस को लगातार इस बात की शिकायत भेज रहे हैं कि अनुशासनहीनता कर रहे नेताओं पर कार्रवाई की जाए. लेकिन अनुशासन समिति नहीं होने के चलते अभी कांग्रेसियों पर कार्रवाई करने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है. राजस्थान कांग्रेस में अनुशासन समिति डॉ. चंद्रभान के प्रदेश अध्यक्ष रहते बनी थी, जिसमें पूर्व मंत्री हीरालाल इंदौरा को अनुशासन समिति का चेयरमैन बनाया गया था और इसमें आधा दर्जन सदस्य भी थे. इसी समिति को सचिन पायलट ने भी बरकरार रखा था. लेकिन अब इस समिति के भंग होने के बाद अनुशासनहीनता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कमेटी राजस्थान कांग्रेस में नहीं है. जब तक इस कमेटी का गठन नहीं हो जाता है, बागियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकेगी.