जयपुर. प्रताप नगर थाना पुलिस की ओर से दशहरे के दिन दहन से पहले रावण के पुतले को थाने ले जाने के मामले में प्रताप नगर थानाधिकारी निचली अदालत में पेश नहीं हुए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 9 नवंबर को तय की है. सुनवाई के दौरान शुक्रवार को थानाधिकारी की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर अदालत में उपस्थित होने के लिए छूट देने की पेशकश की गई.
थानाधिकारी ने कहा कि प्रदेश में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा चल रही हैं, जिसके चलते उनकी सुरक्षा व्यवस्था में व्यस्तता रहेगी. ऐसे में उन्हें अदालत में उपस्थित होने से छूट दी जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 9 नवंबर को तय करते हुए थानाधिकारी को पेश होने को कहा है.
पढ़ें: रावण की रिहाई के लिए लोगों ने कोर्ट से लगाई गुहार
गौरतलब है कि प्रताप नगर केंद्रीय विकास समिति की ओर से दशहरे पर 15 फीट का रावण दहन किया जाना था. दहन से पहले ही प्रताप नगर थाना पुलिस ने मौके पर पहुंची और रावण के पुतले को थाने ले आई. इस पर विकास समिति की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र भेजकर रावण को छुड़वाने की गुहार लगाई गई है. वहीं, अदालती आदेश की पालना में प्रताप नगर थाना अधिकारी ने जवाब पेश कर अदालत को बताया था कि उन्होंने न तो रावण को जब्त किया है और ना ही वहां मौजूद लोगों से अभद्रता की है.
पुलिस ने कहा कि सिर्फ कोरोना प्रोटोकॉल की पालना करते हुए रावण को थाने लाकर सुरक्षार्थ रखा था. जवाब का विरोध करते हुए समिति के वकील विकास सोमानी ने कहा कि बड़े मैदान में पांच लोगों की मौजूदगी से महामारी कानून कैसे टूट सकता है. पुलिस ने यदि रावण को जब्त नहीं किया तो किस कानून के तहत उसे थाने लेकर गए. इस पर कोर्ट ने थानाधिकारी को 6 नवंबर को पेश होकर जवाब देने को कहा था.