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हाइब्रिड फार्मूले पर गजब की स्थिति ना पायलट जीते, ना धारीवाल हारे..यह है वजह

निकाय चुनाव को हाइब्रिड सिस्टम से करवाने के मामले में ना विरोध करने वाले पायलट जीते और ना नियम लगाने वाले धारीवाल हारे. धारीवाल ने शुक्रवार को प्रेस नोट जारी कर कहा कि विशेष परिस्थितियों में ही बाहर से मेयर और सभापति चुने जाएंगे. लेकिन राजनीतिक पार्टी को यह अधिकार होगा कि अगर उस वर्ग के व्यक्ति नहीं जीते तो वह अपनी तरफ से बाहर से प्रत्याशी चुन सकते हैं.

पार्षद ही बन सकेंगे निकाय प्रमुख , Councilors will be able to become body chief
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Published : Oct 25, 2019, 11:10 PM IST

जयपुर. राजस्थान के निकाय और निगम चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर 'ना जीत और ना हार' वाली स्थिति दिखाई दे रही है. इस मुद्दे पर हुए अंतिम फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गरम हो गया है.

दरअसल, स्वायत शासन विभाग की ओर से स्थानीय निकायों में हाइब्रिड सिस्टम से चुनाव करवाने का निर्णय लिया गया था. जिसके तहत चुने हुए पार्षदों के बाहर से भी मेयर सभापति या चेयरमैन बनाए जा सकते थे. इस निर्णय का कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही खुद राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने विरोध कर दिया. विरोध भी इतना कड़ा कि उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक तक करार दे दिया. ऐसे में शुक्रवार को जब आचार संहिता लागू हुई उससे ठीक पहले पायलट ने फिर कहा कि संगठन ने सरकार बनाई है, जो साफ तौर पर संकेत था कि संगठन की कही बात को पायलट मनवाना चाह रहे थे.

हाइब्रिड फार्मूले पर गजब की स्थिति

पढे़ं- हाइब्रिड मॉडल पर राज्य सरकार का यू टर्न, पार्षद ही बन सकेंगे निकाय प्रमुख

ऐसे में शांति धारीवाल की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें यह लिखा गया कि भाजपा जनता के बीच यह भ्रम फैला रही है. लेकिन, हकीकत यह है कि निकाय ने जो प्रावधान किया है उसमें पार्षदों के बाहर से किसी को मेयर, सभापति या चेयरमैन नहीं बनाकर केवल विशेष परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल करेगी. अगर उस वर्ग का कोई प्रतिनिधि उस पार्टी का जीतकर नहीं पहुंचा तो ही इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

धारीवाल ने अपने प्रेस नोट में कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उस कैटेगरी के नेता के नहीं जीतने की स्थिति में यह अधिकार दिया गया है कि वह पार्षदों के बाहर से भी नेता का चुनाव कर सके. लेकिन, इस प्रेस नोट में नीचे साफ तौर पर यह भी लिखा गया है अभी भी किसी बाहरी व्यक्ति को नगर पालिका परिषद निगम, सभापति, अध्यक्ष और महापौर चुने जाने पर कोई संवैधानिक प्रतिबंध नहीं होगा. हालांकि, अब यह बात साफ हो गई है कि अगर ऐसी कोई विशेष परिस्थिति बनती है तो पार्टी के पास ही अधिकार होगा कि वह बाहर के किसी व्यक्ति को इन पदों पर चुन सकें. ऐसे में कांग्रेस पार्टी में अगर ऐसी परिस्थिति बनती है तो खुद सचिन पायलट के पास ही कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते यह अधिकार होगा कि वह किसे चुनते हैं.

पढे़ं- हाइब्रिड फॉर्मूले पर कटारिया ने कहा- समय आने पर देखेंगे पार्टी के भीतर इसका तिरस्कार करना है या नहीं

वहीं, इस प्रेस नोट के सामने आने के बाद पायलट की ओर से भी इस पर खुशी जताई गई. उन्होंने कहा कि पार्षद चुने बगैर अगर कोई व्यक्ति सभापति, पालिका अध्यक्ष या चेयरमैन बनता है तो यह अलोकतांत्रिक होता. उन्होंने खुशी जताई कि सरकार की ओर से इस फैसले पर पुनर्विचार किया गया. इस निर्णय के बीच राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा भी बनी रही कि इस मुद्दे पर ना पायलट की जीत हुई है और ना ही धारीवाल की हार. इस मुद्दे पर निकले अंतिम निष्कर्ष को लेकर जहां सियासी चर्चाओं का बाजार गरम है वहीं, कई कयास भी लगाए जा रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान के निकाय और निगम चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर 'ना जीत और ना हार' वाली स्थिति दिखाई दे रही है. इस मुद्दे पर हुए अंतिम फैसले को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गरम हो गया है.

दरअसल, स्वायत शासन विभाग की ओर से स्थानीय निकायों में हाइब्रिड सिस्टम से चुनाव करवाने का निर्णय लिया गया था. जिसके तहत चुने हुए पार्षदों के बाहर से भी मेयर सभापति या चेयरमैन बनाए जा सकते थे. इस निर्णय का कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही खुद राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने विरोध कर दिया. विरोध भी इतना कड़ा कि उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक तक करार दे दिया. ऐसे में शुक्रवार को जब आचार संहिता लागू हुई उससे ठीक पहले पायलट ने फिर कहा कि संगठन ने सरकार बनाई है, जो साफ तौर पर संकेत था कि संगठन की कही बात को पायलट मनवाना चाह रहे थे.

हाइब्रिड फार्मूले पर गजब की स्थिति

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ऐसे में शांति धारीवाल की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया, जिसमें यह लिखा गया कि भाजपा जनता के बीच यह भ्रम फैला रही है. लेकिन, हकीकत यह है कि निकाय ने जो प्रावधान किया है उसमें पार्षदों के बाहर से किसी को मेयर, सभापति या चेयरमैन नहीं बनाकर केवल विशेष परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल करेगी. अगर उस वर्ग का कोई प्रतिनिधि उस पार्टी का जीतकर नहीं पहुंचा तो ही इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

धारीवाल ने अपने प्रेस नोट में कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उस कैटेगरी के नेता के नहीं जीतने की स्थिति में यह अधिकार दिया गया है कि वह पार्षदों के बाहर से भी नेता का चुनाव कर सके. लेकिन, इस प्रेस नोट में नीचे साफ तौर पर यह भी लिखा गया है अभी भी किसी बाहरी व्यक्ति को नगर पालिका परिषद निगम, सभापति, अध्यक्ष और महापौर चुने जाने पर कोई संवैधानिक प्रतिबंध नहीं होगा. हालांकि, अब यह बात साफ हो गई है कि अगर ऐसी कोई विशेष परिस्थिति बनती है तो पार्टी के पास ही अधिकार होगा कि वह बाहर के किसी व्यक्ति को इन पदों पर चुन सकें. ऐसे में कांग्रेस पार्टी में अगर ऐसी परिस्थिति बनती है तो खुद सचिन पायलट के पास ही कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते यह अधिकार होगा कि वह किसे चुनते हैं.

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वहीं, इस प्रेस नोट के सामने आने के बाद पायलट की ओर से भी इस पर खुशी जताई गई. उन्होंने कहा कि पार्षद चुने बगैर अगर कोई व्यक्ति सभापति, पालिका अध्यक्ष या चेयरमैन बनता है तो यह अलोकतांत्रिक होता. उन्होंने खुशी जताई कि सरकार की ओर से इस फैसले पर पुनर्विचार किया गया. इस निर्णय के बीच राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा भी बनी रही कि इस मुद्दे पर ना पायलट की जीत हुई है और ना ही धारीवाल की हार. इस मुद्दे पर निकले अंतिम निष्कर्ष को लेकर जहां सियासी चर्चाओं का बाजार गरम है वहीं, कई कयास भी लगाए जा रहे हैं.

Intro:निकाय चुनाव हाइब्रिड सिस्टम से करवाने का मामला ना विरोध करने वाले पायलट हारे ना नियम लगाने वाले धारीवाल हारे धारीवाल ने प्रेस नोट जारी कर कहा विशेष परिस्थितियों में ही चुने जाएंगे मेयर सभापति चेयरमैन बाहर से लेकिन राजनीतिक पार्टी को होगा अधिकार अगर उस वर्ग के व्यक्ति नहीं जीते तो वह अपनी तरफ से चुन सकते हैं बाहर का प्रत्याशी मतलब अब अगर किसी कैटेगरी का पार्षद नहीं मिला तो राजनीतिक दल के मुखिया के तौर पर खुद सचिन पायलट ही चुनेंगे बाहर का प्रत्याशी


Body:राजनीति में एक बात अक्सर कही जाती है कि कई परिस्थितियां ऐसी होती है जब ना तू जीते ना हम हारे कुछ ऐसा ही राजस्थान के निकाय और निगम चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर दिखाई दे रहा है दरअसल स्थानीय निकाय विभाग की ओर से स्थानीय निकायों में हाइब्रिड सिस्टम से चुनाव करवाने का निर्णय लिया जिसके तहत चुने हुए पार्षदों के बाहर से भी मेयर सभापति या चेयरमैन बनाए जा सकते थे इसका कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही खुद राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट ने विरोध कर दिया विरोध भी इतना कड़ा कि उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक तक करार दे दिया ऐसे में आज जब आचार संहिता लागू हुई उससे ठीक पहले पायलट ने फिर कहा कि संगठन ने सरकार बनाई है जो साफ तौर पर संकेत था कि संगठन की कही बात को पायलट बनवाना चाह रहे थे ऐसे में शांति धारीवाल की ओर से एक प्रेस नोट जारी किया गया जिसमें यह लिखा गया कि भाजपा यह भ्रम फैला रही है जनता के बीच लेकिन हकीकत यह है कि निकाय ने जो प्रावधान किया है उसमें पार्षदों के बाहर से किसी को मेयर सभापति या चेयरमैन नहीं बनाकर केवल विशेष परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल करेगी अगर उस वर्ग का कोई प्रतिनिधि उस पार्टी का जीतकर नहीं पहुंचा तो ही इसका इस्तेमाल किया जाएगा धारीवाल ने अपने प्रेस नोट में यह भी कह दिया की राजनीतिक पार्टियों को उस कैटेगरी के नेता के नहीं जीतने की स्थिति में यह अधिकार दिया गया है कि वह पार्षदों के बाहर से भी नेता का चुनाव कर सके लेकिन इस प्रेस नोट में नीचे साफ तौर पर यह भी लिखा गया है अभी भी किसी बाहरी व्यक्ति को नगर पालिका परिषद निगम सभापति अध्यक्ष महापौर चुने जाने पर कोई संवैधानिक प्रतिबंध नहीं होगा हालांकि अब यह बात साफ हो गई है कि अगर ऐसी कोई विशेष परिस्थिति बनती है तो पार्टी के पास ही अधिकार होगा कि वह बाहर के किसी व्यक्ति को इन पदों पर चुन सकें ऐसे में कांग्रेस पार्टी में अगर ऐसी परिस्थिति बनती है तो खुद सचिन पायलट के पास ही कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते यह अधिकार होगा कि वह किसे चुनते हैं वही इस प्रेस नोट के सामने आने के बाद पायलट की ओर से भी इस पर खुशी जताई गई और उन्होंने कहा कि पार्षद चुने बगैर अगर कोई व्यक्ति सभापति पालिका अध्यक्ष चेयरमैन बनता है तो यह लोकतांत्रिक होता उन्होंने खुशी जताई कि सरकार की ओर से इस फैसले पर पुनर्विचार किया गया ऐसे में आज एक बात बिल्कुल साफ हो गई है कि राजनीति में कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बनती है जिनमें ना कोई हारता है ना कोई जीता है कुछ ऐसा ही स्थानीय निकाय चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर भी हुआ है


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