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सदन में पारित हुआ राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक, भाजपा ने गिनाई खामियां...लगाए ये आरोप - Jaipur Latest News

राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को (Rajasthan Assembly Today) राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक पारित हुआ. हालांकि, भाजपा से जुड़े विधायक विधेयक में किए गए दोनों ही संशोधनों के खिलाफ दिखे और विधेयक को जनमत जानने की मांग करते रहे. भाजपा विधायकों का यह भी आरोप था कि अपने चहेते को कुलपति पद पर दोबारा मौका देने के लिए संशोधन विधेयक लाया गया है.

Proceedings on Rajasthan Vidhan Sabha
सदन में पारित हुआ राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक
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Published : Mar 22, 2022, 9:38 PM IST

जयपुर. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक को लेकर (National Law University Jodhpur News) सदन में हंगामा देखने को मिला. भाजपा विधायक और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि आज का दिन राजस्थान की उच्च शिक्षा के लिए काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा.

राठौड़ ने कहा कि इस कुछ लोगों को लाभ देने के लिए (Rajasthan Vidhan Sabha Proceedings) हम इस प्रकार का संशोधन लेकर आए, इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है. राठौड़ ने कहा कि संशोधन के जरिए सरकार इसके मूल अधिनियम के दो धाराओं में संशोधन कर रही है, जिसमें कुलपति की आयु सीमा और एक ही व्यक्ति को 2 टर्म कुलपति रहे जाने तक संशोधन किया जा रहा है. उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां एक भी फैकल्टी स्थाई नहीं है, सभी संविदा पर कार्यरत हैं.

लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए यह संशोधन ले आई. वहीं, पूर्व शिक्षा मंत्री को भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भी इस संशोधन पर सवाल उठाए और कहा कि राजस्थान में किसी भी विश्वविद्यालय का कुलपति का टर्म 3 साल से अधिक नहीं है. लेकिन इस विश्वविद्यालय में कुलपति का टाइम 5 साल है और अब इसे 2 टर्म देने की बात यानी 10 साल किया जा रहा है. जो अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने की कवायद है.

पढ़ें : हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक: विपक्ष का आरोप-कुलपति की पात्रता के सभी नियम रखे ताक पर

वहीं, देवनानी और राठौड़ ने यह भी कहा कि एक अन्य संशोधन के जरिए विश्वविद्यालय में रजिस्टार पद पर आईएएस और आरएएस अधिकारियों को लगाने की मंशा भी सरकार की संदेह के घेरे में लाती है. क्योंकि इसमें भी सरकार अपने चहेतों को ही फायदा देना चाहती है. राठौड़ ने इस विश्वविद्यालय की कुलपति पूनम सक्सेना का नाम लेते हुए (BJP Alleged Gehlot Government) सरकार पर उन्हें फायदा पहुंचाने की मंशा का आरोप लगाया.

वहीं, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने अभी इस संशोधन विधेयक में डस्टर पद पर आईएएस और आरएस अधिकारियों को लगाए जाने के संशोधन पर आपत्ति जताई और कहा कि हर बात में सरकार को टांग नहीं अड़ाना चाहिए और प्रस्ताव को जनमत जानने के लिए भेजने की बात कही.

हालांकि, कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने बहस में शामिल होते हुए भाजपा विधायकों के आरोपों पर पलटवार किया. साथ ही यह भी कहा कि जिस कुलपति पूनम सक्सेना को दोबारा मौका देने की बात भाजपा के विधायक कहते हैं उन्हें साल 2018 में ही दोबारा मौका मिला जब भाजपा की सरकार थी. दिव्या मदेरणा और माकपा विधायक बलवान पूनिया ने विधेयक को जनमत जानने का प्रस्ताव वापस ले लिया.

स्पीकर ने कहा- विधेयक को ठीक से समझना जरूरी : संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सदस्य इस विधेयक पर चर्चा गलत दिशा में ले जा रहे हैं. जोशी ने कहा कि संशोधन केवल कुलपति की उम्र 70 वर्ष तक और इस दौरान अधिकतम दो तब तक कुलपति को नियुक्ति देने से जुड़ी है.

पढ़ें : सदन में उठा 45 वर्षों से बंद देवनारायण मंदिर का मसला, दिलावर ने कहा- यह सरकार हिन्दू विरोधी...

वहीं, रजिस्टार पद पर आईएएस या आरएएस अधिकारियों को लगाने के पीछे सरकार की मंशा इस विश्वविद्यालय में राजस्थान के बच्चों को भी अधिक से अधिक मौका मिले, यही होगी. क्योंकि पिछले दिनों यही मामला सदन में उठा था और कुछ समय पहले तक इस विश्वविद्यालय में राजस्थान के ही बच्चों को प्राथमिकता नहीं मिल रही थी.

जयपुर. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर संशोधन विधेयक को लेकर (National Law University Jodhpur News) सदन में हंगामा देखने को मिला. भाजपा विधायक और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि आज का दिन राजस्थान की उच्च शिक्षा के लिए काला दिवस के रूप में याद किया जाएगा.

राठौड़ ने कहा कि इस कुछ लोगों को लाभ देने के लिए (Rajasthan Vidhan Sabha Proceedings) हम इस प्रकार का संशोधन लेकर आए, इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है. राठौड़ ने कहा कि संशोधन के जरिए सरकार इसके मूल अधिनियम के दो धाराओं में संशोधन कर रही है, जिसमें कुलपति की आयु सीमा और एक ही व्यक्ति को 2 टर्म कुलपति रहे जाने तक संशोधन किया जा रहा है. उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां एक भी फैकल्टी स्थाई नहीं है, सभी संविदा पर कार्यरत हैं.

लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए यह संशोधन ले आई. वहीं, पूर्व शिक्षा मंत्री को भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने भी इस संशोधन पर सवाल उठाए और कहा कि राजस्थान में किसी भी विश्वविद्यालय का कुलपति का टर्म 3 साल से अधिक नहीं है. लेकिन इस विश्वविद्यालय में कुलपति का टाइम 5 साल है और अब इसे 2 टर्म देने की बात यानी 10 साल किया जा रहा है. जो अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने की कवायद है.

पढ़ें : हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक: विपक्ष का आरोप-कुलपति की पात्रता के सभी नियम रखे ताक पर

वहीं, देवनानी और राठौड़ ने यह भी कहा कि एक अन्य संशोधन के जरिए विश्वविद्यालय में रजिस्टार पद पर आईएएस और आरएएस अधिकारियों को लगाने की मंशा भी सरकार की संदेह के घेरे में लाती है. क्योंकि इसमें भी सरकार अपने चहेतों को ही फायदा देना चाहती है. राठौड़ ने इस विश्वविद्यालय की कुलपति पूनम सक्सेना का नाम लेते हुए (BJP Alleged Gehlot Government) सरकार पर उन्हें फायदा पहुंचाने की मंशा का आरोप लगाया.

वहीं, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने अभी इस संशोधन विधेयक में डस्टर पद पर आईएएस और आरएस अधिकारियों को लगाए जाने के संशोधन पर आपत्ति जताई और कहा कि हर बात में सरकार को टांग नहीं अड़ाना चाहिए और प्रस्ताव को जनमत जानने के लिए भेजने की बात कही.

हालांकि, कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने बहस में शामिल होते हुए भाजपा विधायकों के आरोपों पर पलटवार किया. साथ ही यह भी कहा कि जिस कुलपति पूनम सक्सेना को दोबारा मौका देने की बात भाजपा के विधायक कहते हैं उन्हें साल 2018 में ही दोबारा मौका मिला जब भाजपा की सरकार थी. दिव्या मदेरणा और माकपा विधायक बलवान पूनिया ने विधेयक को जनमत जानने का प्रस्ताव वापस ले लिया.

स्पीकर ने कहा- विधेयक को ठीक से समझना जरूरी : संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि सदस्य इस विधेयक पर चर्चा गलत दिशा में ले जा रहे हैं. जोशी ने कहा कि संशोधन केवल कुलपति की उम्र 70 वर्ष तक और इस दौरान अधिकतम दो तब तक कुलपति को नियुक्ति देने से जुड़ी है.

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वहीं, रजिस्टार पद पर आईएएस या आरएएस अधिकारियों को लगाने के पीछे सरकार की मंशा इस विश्वविद्यालय में राजस्थान के बच्चों को भी अधिक से अधिक मौका मिले, यही होगी. क्योंकि पिछले दिनों यही मामला सदन में उठा था और कुछ समय पहले तक इस विश्वविद्यालय में राजस्थान के ही बच्चों को प्राथमिकता नहीं मिल रही थी.

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