जयपुर. हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम प्रशासन अब मृत पशुओं की हड्डियां बेचकर रेवेन्यू जनरेट करने की तैयारी कर रहा है. इस संबंध में हेरिटेज नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा ने करीब 60 लाख रुपए का टेंडर करने का प्रस्ताव बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजा है. वहीं ग्रेटर नगर निगम ने बीते दिनों जिस 20 लाख रुपए का टेंडर प्रस्ताव बनाया था, उसे फिलहाल निरस्त कर दिया गया है.
जयपुर के दोनों नगर निगम फिलहाल करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं. इस घाटे से उबरने के लिए जहां नए वित्तीय वर्ष से नए टैक्स लगाने की तैयारी की जा रही है. वहीं हिंगोनिया गौशाला में दफनाए गए मृत पशुओं की हड्डियों को बेचकर रेवेन्यू जनरेट करने की कवायद भी तेज की गई है.
दरअसल, हिंगोनिया गौशाला में बीते करीब 20 साल से मृत पशुओं को दफनाया जा रहा है. जिनकी हड्डियों के अवशेष वहां मौजूद हैं. हिंगोनिया गौशाला का बंटवारा दोनों निगम में 40:60 के अनुपात में हुआ है. ऐसे में हेरिटेज नगर निगम अपने 40% हिस्से के मृत पशुओं की हड्डियों को टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से निस्तारित करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि अभी इस संबंध में उच्च स्तर पर मंजूरी मिलना बाकी है.
इस संबंध में हेरिटेज नगर निगम पशु प्रबंधन उपायुक्त देवेंद्र जैन ने बताया कि उनके बंट में आने वाले 40% हिस्से का टेंडर 60 लाख में करने का प्रस्ताव भेजा गया है. जो कंपनी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेंगी उनके जरिए 60 लाख या इससे अधिक जो भी टेंडर छूटेगा, उससे निगम का रेवेन्यू ही जनरेट होगा.
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हेरिटेज नगर निगम से पहले ग्रेटर नगर निगम ने भी हिंगोनिया गौशाला में मृत पशुओं की हड्डियों का 20 लाख का टेंडर करने का प्रस्ताव बनाया था. हालांकि उसे निरस्त कर दिया गया. माना जा रहा है कि ग्रेटर नगर निगम के बंट के 60% हिस्से से तकरीबन 90 लाख से एक करोड़ का रेवेन्यू मिल सकता है.
बता दें कि मृत पशुओं की सूखी हड्डियों का बाजार मूल्य तकरीबन 14 से 15 रुपये प्रति किलो, जबकि गीली हड्डियों का मूल्य 7 से 8 रुपये है. अमूमन इन हड्डियों का पाउडर बनाकर मेडिकल सामग्री और साबुन आदि बनाने के काम में लिया जाता है. निगम द्वारा किए जाने वाले टेंडर में हड्डियों के साथ-साथ मृत पशुओं के दांत, सींग और खुर भी शामिल होंगे.