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सांसद राज्यवर्धन ने लोकसभा में बायोगैस संयंत्रों, सब्सिडी और राजसहायता से जुड़े मुद्दे उठाए

सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लोकसभा में बायोगैस संयंत्रों, सब्सिडी राजसहायता के जुड़े मुद्दे उठाए. उन्होंने पूछा कि स्थापित किए गए छोटे, मध्यम और बड़े बायोगैस संयंत्रों की राजस्थान सहित राज्य-वार कुल संख्या कितनी है.

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सांसद लोकसभा में अपनी राय रखते हुए
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Published : Sep 23, 2020, 7:23 PM IST

जयपुर. नवीन राष्ट्रीय जैविक खाद कार्यक्रम के तहत संस्थापित लघु बायोगैस संयंत्रों (1 से 25 घन मी. प्रतिदिन) की राजस्थान में कुल संख्या 72 हजार 446 है. बायोगैस विद्युत उत्पादन (ओंफग्रिड) और तापीय ऊर्जा अनुप्रयोग कार्यक्रम के तहत संस्थापित मध्यम आकार के बायोगैस संयंत्रों (30 से 2500 घन मी. प्रतिदिन से अधिक) की कुल संख्या राजस्थान में एक है. शहरी, औद्योगिक, कृषि अपशिष्ट/अवशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा संबंधी कार्यक्रम के तहत संस्थापित बड़े आकार के बायोगैस संयंत्रों (2500 घन मी. प्रतिदिन से अधिक) की कुल संख्या राजस्थान में दो है. जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने ये जानकारी दी.

नई राष्ट्रीय बोयोगैस जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी) के उक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए किसानों/डेयरी किसानों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन/सब्सिडी का ब्यौरा क्या है. किस तंत्र के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. क्या बायोगैस संयंत्रों का कार्य पूरा होने और चालू होने के बाद लाभार्थियों की पहचान करके उन्हें राजसहायता प्रदान की जाती है. यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और राजसहायता के वितरण को सुव्यवस्थित करने के संबंधी राष्ट्रीय और राज्य-वार प्रस्तावों का ब्यौरा क्या है. जैव गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए उन्हें प्रारम्भिक अग्रिम लागत आंशिक रूप से मिल सके और शेष भुगतान कार्य पूरा होने के बाद वितरित किया जा सके.

यह भी पढ़ें: सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लोकसभा में उठाए कई महत्वपूर्ण मुद्दे

कर्नल राज्यवर्धन द्वारा पूछे गए सवालों का नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि नवीन बायोगैस जैविक खाद कार्यक्रम के तहत केन्द्रीय वित्तीय सहायता 7500 रुपए से 35,000 रुपए प्रति बायोगैस संयंत्र अलग-अलग है. जो संयंत्र के आकार (1 से 25 घन मी.) राज्य और इस बात पर निर्भर करती है कि क्या लाभार्थी एससी/एसटी (अर्थात सामान्य और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) से संबंधित है.

यह भी पढ़ें: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ केंद्रीय कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

शत-प्रतिशत बायोगैस इंजनों का उपयोग करने के लिए प्रति बायोगैस संयंत्र 3000 रुपए से 4000 रुपए तक की अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है. इसके अलावा यदि संयंत्र व्यक्तिगत परिवारों के लिए सेनेटरी शौचालय से जुड़ा है, तो पशु गोबर आधारित प्रति बायोगैस संयंत्र 1600 रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है. राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा नई राष्ट्रीय बोयोगैस जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी) के अनुमोदित मानकों के तहत लाभार्थियों की पहचान की जाती है. सफलतापूर्वक चालू हो जाने के बाद संबंधित राज्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा बायोगैस संयंत्र का स्थल पर वास्तविक सत्यापन किया जाता है. उसके बाद लाभार्थी के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लागू सब्सिडी राशि का वितरण किया जाता है. वर्तमान योजना के तहत बायोगैस संयंत्र के चालू होने पर सब्सिडी का वितरण करने का प्रावधान है.

जयपुर. नवीन राष्ट्रीय जैविक खाद कार्यक्रम के तहत संस्थापित लघु बायोगैस संयंत्रों (1 से 25 घन मी. प्रतिदिन) की राजस्थान में कुल संख्या 72 हजार 446 है. बायोगैस विद्युत उत्पादन (ओंफग्रिड) और तापीय ऊर्जा अनुप्रयोग कार्यक्रम के तहत संस्थापित मध्यम आकार के बायोगैस संयंत्रों (30 से 2500 घन मी. प्रतिदिन से अधिक) की कुल संख्या राजस्थान में एक है. शहरी, औद्योगिक, कृषि अपशिष्ट/अवशिष्ट और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट से ऊर्जा संबंधी कार्यक्रम के तहत संस्थापित बड़े आकार के बायोगैस संयंत्रों (2500 घन मी. प्रतिदिन से अधिक) की कुल संख्या राजस्थान में दो है. जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने ये जानकारी दी.

नई राष्ट्रीय बोयोगैस जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी) के उक्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए किसानों/डेयरी किसानों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन/सब्सिडी का ब्यौरा क्या है. किस तंत्र के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. क्या बायोगैस संयंत्रों का कार्य पूरा होने और चालू होने के बाद लाभार्थियों की पहचान करके उन्हें राजसहायता प्रदान की जाती है. यदि हां तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और राजसहायता के वितरण को सुव्यवस्थित करने के संबंधी राष्ट्रीय और राज्य-वार प्रस्तावों का ब्यौरा क्या है. जैव गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए उन्हें प्रारम्भिक अग्रिम लागत आंशिक रूप से मिल सके और शेष भुगतान कार्य पूरा होने के बाद वितरित किया जा सके.

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कर्नल राज्यवर्धन द्वारा पूछे गए सवालों का नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि नवीन बायोगैस जैविक खाद कार्यक्रम के तहत केन्द्रीय वित्तीय सहायता 7500 रुपए से 35,000 रुपए प्रति बायोगैस संयंत्र अलग-अलग है. जो संयंत्र के आकार (1 से 25 घन मी.) राज्य और इस बात पर निर्भर करती है कि क्या लाभार्थी एससी/एसटी (अर्थात सामान्य और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) से संबंधित है.

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शत-प्रतिशत बायोगैस इंजनों का उपयोग करने के लिए प्रति बायोगैस संयंत्र 3000 रुपए से 4000 रुपए तक की अतिरिक्त सब्सिडी का प्रावधान है. इसके अलावा यदि संयंत्र व्यक्तिगत परिवारों के लिए सेनेटरी शौचालय से जुड़ा है, तो पशु गोबर आधारित प्रति बायोगैस संयंत्र 1600 रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है. राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा नई राष्ट्रीय बोयोगैस जैविक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी) के अनुमोदित मानकों के तहत लाभार्थियों की पहचान की जाती है. सफलतापूर्वक चालू हो जाने के बाद संबंधित राज्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा बायोगैस संयंत्र का स्थल पर वास्तविक सत्यापन किया जाता है. उसके बाद लाभार्थी के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लागू सब्सिडी राशि का वितरण किया जाता है. वर्तमान योजना के तहत बायोगैस संयंत्र के चालू होने पर सब्सिडी का वितरण करने का प्रावधान है.

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