जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के बीच प्रवासी लोगों को अपने-अपने राज्यों में लाने को लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. इस बीच गुजरात सांसद सीआर पाटिल ने एक बयान जारी कर राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.
पाटिल ने कहा है कि कई राज्य अपने लोगों को गुजरात से वापस ले जाने के लिए अपनी स्वीकृति देने के साथ ही संसाधन भी लगा रहे हैं, लेकिन राजस्थान सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. पाटिल का यह बयान राजस्थान भाजपा नेताओं ने मीडिया में उपलब्ध कराया है.
पाटिल ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत इस मामले में पॉलिटिक्स करते हैं, लेकिन गुजरात के सूरत में राजस्थान के कई लोग अभी है, जो राजस्थान में जाने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन गहलोत सरकार ने अब तक लिखित में इसकी परमिशन नहीं दी. बल्कि राजस्थान के एक कलेक्टर ने तो गुजरात को पत्र लिखकर यह तक कह दिया कि गुजरात के कई शहरों से एक भी आदमी को हम आने नहीं देने देंगे.
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पाटिल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है कि अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री जिस तरह अपने प्रदेश के लोगों को गुजरात से बुलाने की व्यवस्था कर रहे हैं. सीएम गहलोत भी कम से कम गुजरात के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर अपनी स्वीकृति दे दें. ताकि गुजरात में रह रहे प्रवासियों को भी विश्वास हो कि राजस्थान की सरकार उन्हें अपने बताना चाहती हैं.
गौरतलब है कि सूरत सांसद पाटिल राजस्थान के कलेक्टर के जिस पत्र का हवाला दे रहे थे, वो सिरोही कलेक्टर से जुड़ा पत्र बताया जा रहा है, लेकिन सोमवार देर रात ही कलेक्टर ने संशोधित आदेश भी निकाल दिया था, जिसमें बताया गया था कि अब राजस्थान सरकार नई गाइडलाइन के अनुसार गुजरात के सभी जिलों सरकारी कैंपों में फंसे प्रवासियों को राजस्थान में लाने की व्यवस्था कर रही है. फिलहाल, जो प्रवासी राजस्थान आना चाहते हैं, वह प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए कॉल सेंटर या ऐप पर अपना रजिस्ट्रेशन करा ले. इसके बाद उन्हें लाने की व्यवस्था समन्वय स्थापित कर की जाएगी.