जयपुर. कोविड-19 संक्रमण काल के दौरान सैनिटाइजर की मांग काफी बढ़ गई है. लिहाजा नकली या हानिकारक तत्वों से तैयार सैनिटाइजर बाजार में खपाए जा रहे हैं. हालांकि बीते 1 महीने से चिकित्सा विभाग की ओर से नकली दवाइयों और चिकित्सकीय उपकरणों की गुणवत्ता जांचने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. राहत की बात है कि अभी तक नकली सैनिटाइजर से जुड़ा मामला सामने नहीं आया है.
जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा का कहना है कि आम तौर पर डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार ही सैनिटाइजर तैयार होने चाहिएं.
सैनिटाइजर में ये होते हैं कंपोजिशन
शरीर के लिए खतरनाक
डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा का कहना है कि आमतौर पर बाजार में मिलने वाले सैनिटाइजर में डब्ल्यूएचओ की गाइड लाइन के अनुसार तत्व मौजूद नहीं होते. ऐसे में मेथेनॉल मिलाकर सस्ता सैनिटाइजर तैयार किया जाता है. जो शरीर के लिए हानिकारक है. डॉ शर्मा ने यहां तक दावा किया है कि घटिया या फिर अन्य तत्व मिले हुए सैनिटाइजर का उपयोग किया जाए तो किडनी संबंधी रोग हो सकते हैं और आंख में जाने पर व्यक्ति अंधा भी हो सकता है. ऐसे में सैनिटाइजर खरीदने से पहले उस में मिलाए जाने वाले तत्वों को देखकर ही उसकी खरीद होनी चाहिए. अच्छे ब्रांड वाले सैनिटाइजर का ही उपयोग करना चाहिए.
तत्व पूरे नहीं तो नहीं करेगा काम
आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि सैनिटाइजर बनाने के लिए जो गाइडलाइन तैयार की गई है या फिर जो तत्व उसमें मिलाए जाने हैं, कभी-कभी उस अनुपात में वे तत्व सैनिटाइजर में मौजूद नहीं होते. ऐसे में इस तरह के सैनिटाइजर काम नहीं करते. यानी किसी भी वायरस के खिलाफ यह सैनिटाइजर प्रभावी नहीं होगा. ऐसे में चिकित्सक सिर्फ उन्हीं सैनिटाइजर के उपयोग की बात कहते हैं जो डब्ल्यूएचओ गाइडलाइन के अनुसार तैयार किया गया है. या सरकार की ओर से मान्य फार्मा कंपनी से वे तैयार किए गए हों.