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विपक्ष में रहकर सवाल उठाने वाले भी भूले जरूरतमंदों की मदद करना, एक साल में 1 लाख भी नहीं कर पाए खर्च

कैबिनेट मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाले विवेकानुदान कोष की हकीकत देखने पर पता चलता है कि जनता की मदद की बात कहने वाले मंत्री अभी तक एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए. ईटीवी भारत ने इस फंड की पड़ताल की तो सामने हकीकत सामने आई. आइए जानते हैं सभी नेताओं का खाता-

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Published : Nov 14, 2019, 9:25 AM IST

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जयपुर. प्रदेश के मंत्री क्षेत्र के विकास के लिए कृत संकल्पित होने का दावा करते हैं. विकास के बड़े-बड़े दावे करते है. गरीबों की हर जगह मदद करने का वादा किया जाता है लेकिन हम आप को उन मंत्रियों की सूची बता रहे हैं, जिन्होंने विवेकानुदान कोष से मिलने वाले अनुदान को एक साल का समय पूरा होने पर भी खर्च नहीं किया.

मदद का आश्वासन देने वाले भूले जरूरत मंदों की मदद करना

कैबिनेट मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाले विवेकानुदान कोष की हकीकत देखने पर पता चलता है कि जनता की मदद की बात कहने वाले मंत्री अभी तक एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए. जबकि गहलोत सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश की गहलोत मंत्रियों ने ही इस राशि को खर्च नहीं किया, पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के भी कुछ मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें गरीब और जरूरत मंद के लिए मिलने वाली इस राशि को खर्च नहीं किया. अगर ये मंत्री इस राशि को खर्च करते तो किसी गरीब जरूरत मंद को सहायता मिलती.

क्या होता है विवेकानुदान कोष...

यह फंड सरकार 1959 से देती आ रही है. जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव अपने क्षेत्र या अन्यत्र कहीं जाए और कोई जरूरतमंद मिले तो उसमें से वो उसे वो फंड जारी कर सकते हैं. माना जाता है कि कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव जनता के बीच में रहते हैं, जगह-जगह जनसुनवाई सहित क्षेत्र में दौरे के समय उन्हें जरूरतमंद मिल जाते हैं. ऐसे में मंत्री उनसे मुंह ना मोड़े और फंड के जरिए मदद के हाथ बढ़ाए.

यह भी पढ़ें- वित्तीय कुप्रबंधन से जूझ रही है प्रदेश की कांग्रेस सरकार: अर्जुन मेघवाल

ईटीवी भारत ने इस फंड की पड़ताल की तो सामने हकीकत सामने आई. जिनके लिए ये फंड बना उन्होंने खुद ही इसकी तरफ कभी मुड़कर नहीं देखा.

किसके पास कितना फंड...

विवेकानुदान कोष के तहत मुख्यमंत्री को 50 लाख सालाना, कैबिनेट मंत्री को 2 लाख रुपए सालाना , संसदीय सचिव को 1 लाख रुपए सालाना, प्रति व्यक्ति अधिकतम 1 हजार रुपए खर्च करने का अधिकार है. लेकिन किसी भी मंत्री ने इस राशि का उपयोग नहीं किया.

वहीं सरकार ने अभी तक संसदीय सचिव नहीं बनाए हैं. इसलिए मंत्री ही अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग कर सकते थे, लेकिन अभी तक एक भी मंत्री ने अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग नहीं किया.

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान के टुकड़े होंगे और फिर बनेगा अखंड भारत: वासुदेव देवनानी

प्रदेश में 25 मंत्री हैं. जिसमें से सीएम सहित 15 कैबिनेट मंत्री , 10 राज्य मंत्री , डिप्टी सीएम सचिन पायलट , कैबिनेट मंत्री- बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल, भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, रघु शर्मा, प्रमोद भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, शाले मोहम्मद , राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र सिंह यादव और सुभाष गर्ग.

पिछली सरकार की बात की जाए तो भाजपा सरकार के आखिरी वर्ष में भी कुछ मंत्रियों ने ही विवेकानुदान कोष काम में लिया था. जिन्होंने काम में लिया वो भी विवेकानुदान कोष को पूरा खर्च नहीं कर पाए थे. सत्र 2018-19 के लिए गुलाबचंद कटारिया , अरुण चतुर्वेदी , किरण माहेश्वरी , राजेंद्र राठौड़ , कृष्णेंद्र कौर दीपा , अनिता भदेल ने रूचि दिखाई.

जयपुर. प्रदेश के मंत्री क्षेत्र के विकास के लिए कृत संकल्पित होने का दावा करते हैं. विकास के बड़े-बड़े दावे करते है. गरीबों की हर जगह मदद करने का वादा किया जाता है लेकिन हम आप को उन मंत्रियों की सूची बता रहे हैं, जिन्होंने विवेकानुदान कोष से मिलने वाले अनुदान को एक साल का समय पूरा होने पर भी खर्च नहीं किया.

मदद का आश्वासन देने वाले भूले जरूरत मंदों की मदद करना

कैबिनेट मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाले विवेकानुदान कोष की हकीकत देखने पर पता चलता है कि जनता की मदद की बात कहने वाले मंत्री अभी तक एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए. जबकि गहलोत सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है. ऐसा नहीं है कि प्रदेश की गहलोत मंत्रियों ने ही इस राशि को खर्च नहीं किया, पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के भी कुछ मंत्री ऐसे हैं, जिन्हें गरीब और जरूरत मंद के लिए मिलने वाली इस राशि को खर्च नहीं किया. अगर ये मंत्री इस राशि को खर्च करते तो किसी गरीब जरूरत मंद को सहायता मिलती.

क्या होता है विवेकानुदान कोष...

यह फंड सरकार 1959 से देती आ रही है. जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव अपने क्षेत्र या अन्यत्र कहीं जाए और कोई जरूरतमंद मिले तो उसमें से वो उसे वो फंड जारी कर सकते हैं. माना जाता है कि कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव जनता के बीच में रहते हैं, जगह-जगह जनसुनवाई सहित क्षेत्र में दौरे के समय उन्हें जरूरतमंद मिल जाते हैं. ऐसे में मंत्री उनसे मुंह ना मोड़े और फंड के जरिए मदद के हाथ बढ़ाए.

यह भी पढ़ें- वित्तीय कुप्रबंधन से जूझ रही है प्रदेश की कांग्रेस सरकार: अर्जुन मेघवाल

ईटीवी भारत ने इस फंड की पड़ताल की तो सामने हकीकत सामने आई. जिनके लिए ये फंड बना उन्होंने खुद ही इसकी तरफ कभी मुड़कर नहीं देखा.

किसके पास कितना फंड...

विवेकानुदान कोष के तहत मुख्यमंत्री को 50 लाख सालाना, कैबिनेट मंत्री को 2 लाख रुपए सालाना , संसदीय सचिव को 1 लाख रुपए सालाना, प्रति व्यक्ति अधिकतम 1 हजार रुपए खर्च करने का अधिकार है. लेकिन किसी भी मंत्री ने इस राशि का उपयोग नहीं किया.

वहीं सरकार ने अभी तक संसदीय सचिव नहीं बनाए हैं. इसलिए मंत्री ही अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग कर सकते थे, लेकिन अभी तक एक भी मंत्री ने अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग नहीं किया.

यह भी पढ़ें- पाकिस्तान के टुकड़े होंगे और फिर बनेगा अखंड भारत: वासुदेव देवनानी

प्रदेश में 25 मंत्री हैं. जिसमें से सीएम सहित 15 कैबिनेट मंत्री , 10 राज्य मंत्री , डिप्टी सीएम सचिन पायलट , कैबिनेट मंत्री- बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल, भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, रघु शर्मा, प्रमोद भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, शाले मोहम्मद , राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र सिंह यादव और सुभाष गर्ग.

पिछली सरकार की बात की जाए तो भाजपा सरकार के आखिरी वर्ष में भी कुछ मंत्रियों ने ही विवेकानुदान कोष काम में लिया था. जिन्होंने काम में लिया वो भी विवेकानुदान कोष को पूरा खर्च नहीं कर पाए थे. सत्र 2018-19 के लिए गुलाबचंद कटारिया , अरुण चतुर्वेदी , किरण माहेश्वरी , राजेंद्र राठौड़ , कृष्णेंद्र कौर दीपा , अनिता भदेल ने रूचि दिखाई.

Intro:विपक्ष में सवाल उठाने वाले भी भूले जरूरत मंदों की मदद करना , एक साल में एक लाख नही कर पाए खर्च
जयपुर -
एंकर - अक्सर प्रदेश के मंत्री क्षेत्र के विकास के लिए कृत संकल्पित होने का दवा करते है , विकास के बड़े बड़े दावे करते है , गरीबों की हर जगह मदद करने का वादा किया जाता है , लेकिन आज हम आप को उन मंत्रियों की सूची बता रहे है जिन्होंने विवेकानुदान कोष से मिलाने वाले अनुदान एक साल का समय पूरा होने पर भी खर्च नहीं किया , कैबिनेट मंत्रियों और संसदीय सचिवों को मिलने वाले विवेकानुदान कोष की हकीकत देखोगे तो पाओगे कि जनता की मदद की बात कहने वाले मंत्री अभी तक एक रुपया भी खर्च नहीं कर पाए , जबकि गहलोत सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रही है , ऐसा नहीं है कि प्रदेश की गहलोत मंत्रियों ने ही इस राशि को खर्च नहीं किया , पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के भी कुछ मंत्री ऐसे है जिन्होंने गरीब और जरूरत मंद के मिलने वाली इस राशि को खर्च नहीं किया , अगर ये मंत्री इस राशि को खर्च करते तो किसी गरीब जरूरत मंद को सहायता मिलती ,
विवेकानुदान कोष क्या होता
पहले तो आप ये समझ लिजिए की ये विवेकानुदान या वैवेविक फंड होता क्या है, यह फंड सरकार 1959 देती आ रही है , जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव अपने क्षेत्र या अन्यत्र कहीं जाए और कोई जरूरतमंद मिले तो उसमें से वो उसे वो फंड जारी कर सकते हैं, माना जाता है कि कैबिनेट मंत्री, संसदीय सचिव जनता के बीच में रहते हैं, जगह-जगह जनसुनवाई सहित क्षेत्र में दौरे के समय उन्हें जरूरतमंद मिल जाते हैं, ऐसे में मंत्री उनसे मुंह मोड़कर नहीं जा सकते, लेकिन इस फंड की हमने पड़ताल की तो सामने निकलकर आया कि जिनके लिए ये फंड बना उन्होंने खुद ही इसकी तरफ मुड़कर नहीं देखा ,
किसके पास कितना फंड
विवेकानुदान कोष के तहत मुख्यमंत्री को 50 लाख सालाना , कैबिनेट मंत्री- 2 लाख रुपए सालाना , संसदीय सचिव- 1 लाख रुपए सालाना , प्रति व्यक्ति अधिकतम 1 हजार रुपए खर्च करने का अधिकार है , लेकिन किसी भी मंत्री ने इस राशि का उपयोग नहीं किया , गहलोत सरकार में 25 मंत्री हैं , वहीं सरकार ने अभी तक संसदीय सचिव नहीं बनाए हैं , इसलिए मंत्री ही अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग कर सकते थे, लेकिन अभी तक एक भी मंत्री ने अपने विवेकानुदान कोष का उपयोग नहीं किया , जबकि कई मंत्री यह कहते मिल जाते हैं कि हमारे पास बजट नहीं है ,
प्रदेश में 25 मंत्री - जिसमें से सीएम सहित 15 कैबिनेट मंत्री , 10 राज्य मंत्री , सीएम अशोक गहलोत , डिप्टी सीएम सचिन पायलट , कैबिनेट मंत्री- बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल, भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, रघु शर्मा, प्रमोद भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, शाले मोहम्मद , राज्य मंत्री - गोविंद सिंह डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र सिंह यादव, सुभाष गर्ग , पिछली सरकार की बात की जाए तो भाजपा सरकार के आखिरी वर्ष में भी कुछ मंत्रियों ने ही विवेकानुदान कोष काम में लिया था। जिन्होेंने काम में लिया वो भी विवेकानुदान कोष को पूरा खर्च नहीं कर पाए थे।
सत्र 2018-19 के लिए इन्होंने दिखाई रूचि , गुलाबचंद कटारिया , अरुण चतुर्वेदी , किरण माहेश्वरी , राजेंद्र राठौड़ , कृष्णेंद्र कौर दीपा , अनिता भदेल
पीटीसी - जसवंत सिंह Body:VoConclusion:Vo
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