जयपुर. पश्चिमी राजस्थान के लिए टिड्डी दल का आना और फसल को नुकसान करना नया नहीं है. राजस्थान में पाकिस्तान-भारत के बॉर्डर इलाकों में टिड्डियों ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया था. वहीं, बॉर्डर क्षेत्र के किसान टिड्डी हमले को लेकर सावधान भी रहते हैं और उन्हें भगाने के लिए आवश्यक कदम भी तुरंत उठा लेते हैं.
इन सीमावर्ती जिलों के अलावा राजस्थान के बाकी जिलों के लोग केवल टिड्डियों के बारे में सुनी हुई जानकारी ही रखते थे. उन्होंने ये देखा नहीं था कि टिड्डियां किस तरीके से नुकसान करती है और कैसे बड़े झुंड में आती है. लेकिन इस बार टिड्डियां सीमावर्ती जिलों से निकलकर सैकड़ों किलोमीटर दूर शहरी क्षेत्रों तक पहुंच गई.
जयपुर में 3 दशक बाद लोगों ने देखी टिड्डियां
राजधानी जयपुर में करीब 3 दशक के बाद लोगों ने टिड्डियां देखी. पूर्वी राजस्थान के करौली से आने वाले प्रदेश के खाद्य मंत्री रमेश मीणा खुद स्वीकार करते हैं कि उन्होंने टिड्डी के बारे में पहले ऐसे सुना नहीं था कि वह पूर्वी राजस्थान में भी आ सकती है, लेकिन इस बार यह हो गया.
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मंत्री रमेश मीणा का कहना है कि जब टिड्डी आई तो उस समय खेतों में फसल काटी जा चुकी थी, अगर फसल खड़ी होती तो किसानों को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता. उन्होंने कहा कि टिड्डियों के बारे में कहा जाता है वह जिस रूट से जाती है उसी रूट से वापस लौटती है. ऐसे में पूर्वी राजस्थान में भी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह रात के समय टिड्डी दल जहां रुकता है, वहां इन्हें समाप्त करने के लिए कार्य योजना बनाएं.
विभाग से की अपील
मीणा ने विभाग से अपील की है कि वह टिड्डियों में जो परिवर्तन आ रहे हैं उनकी जांच करें. उनका कहना है कि टिड्डियों के प्रजनन क्षमता में बढ़ोतरी की बात सामने आ रही है और अगर कहीं ज्यादा देर हो गई तो मुसीबत ज्यादा हो सकती है.