जयपुर. कोरोना महामारी को लेकर देशभर में डर का माहौल बना हुआ है. लॉकडाउन चलते सभी काम-धंधे बंद होने की वजह से मजदूरों के सामने भी खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है. मजदूरों के पास खाने के लिए भोजन नहीं और जेब में पैसे नहीं हैं. ऐसे में प्रवासी मजदूर अपने घरों के लिए पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं.
राजधानी जयपुर के आमेर इलाके से मंगलवार को कई प्रवासी मजदूर कड़ी धूप में पैदल ही अपने गांव के लिए पलायन करते हुए नजर आए. यह मजदूर अपने सिर पर सामान और गोद में बच्चों को लेकर पैदल ही पलायन कर रहे हैं. राजधानी की सड़कों पर निकले यह मजदूर पैदल ही उत्तर प्रदेश जा रहे हैं. मजदूरों के पास काम धंधे नहीं रहे और जेब में पैसे भी खत्म हो गए ऐसे में खाने-पीने की भी समस्या हो रही है. इसी वजह से मजदूरों को पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव के लिए पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है. मजदूरों के मुताबिक जयपुर से यूपी का सफर करीब 700 किलोमीटर से भी ज्यादा है. जेब में पैसे नहीं है और भूखे प्यासे अपने गांव के लिए निकल पड़े हैं. मजदूरों ने कहा कि खाने पीने की व्यवस्था का कोई भी सहारा नहीं है. केवल भगवान भरोसे ही पैदल निकले हैं. इन मजदूरों को कहीं पर रास्ते में खाना मिलेगा या नहीं, इसकी भी कोई उम्मीद नहीं है.
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मजदूरों ने बताया कि कई बार प्रशासन से भी गुहार लगाई लेकिन अभी तक घर पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई. इसलिए परेशान होकर अपना सामान और बच्चों को लेकर परिवार समेत पैदल गांव जा रहे हैं. साथ ही महिलाएं भी पैदल बच्चों को गोद में लेकर पलायन कर रही है. धूप में बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है नन्हे बच्चों को गोद में लेकर निकले हैं. करीब 4 दर्जन से भी अधिक लोग सर पर सामान की पोटली और गोद में नन्हें बच्चे लेकर सरकार को कोसते हुए अपने गांव पलायन कर रहे हैं.
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बता दें कि प्रदेश भर में प्रवासी मजदूरों के पलायन करने का सिलसिला लगातार जारी है. कई जगहो से मजदूरों को ट्रेनों और बसों के जरिए अपने घर भेजा जा रहा है. विभिन्न जगह पर रहने वाले प्रवासी मजदूरों को चिन्हित कर जिला प्रशासन द्वारा उनके घर पहुंचाने का काम किया जा रहा है. हजारों मजदूरों को ट्रेन और बसों के द्वारा उत्तर प्रदेश, बिहार समेत विभिन्न जगहों पर भेजा गया है. ऐसे में जिन मजदूरों को उनके गांव जाने के लिए सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही. वह पैदल ही अपने गांव के लिए पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. प्रदेश भर के विभिन्न जगहों पर इस तरह से पैदल जाते मजदूरों के मामले सामने आ रहे हैं.