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सीबीआई अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले दलाल को सजा

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Published : Jan 16, 2020, 8:47 PM IST

सीबीआई अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले दलाल को विशेष अदालत ने दो साल की सजा सुनाई है. वहीं जयपुर को पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की सजा के साथ-साथ 50 हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया है. पढ़ें दोनों खबरें...

Jaipur Pocso curt, जयपुर पॉक्सो कोर्ट
Jaiupr CBI court

जयपुर. सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के मुकदमें में राहत देने के लिए अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले दलाल नरोत्तम लाल स्वर्णकार को दो साल की सजा सुनाई है. अदालत ने अभियुक्त पर सात लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

वहीं अदालत ने सीबीआई निदेशक और एसपी को शिकायतकर्ता के मामले में जांच अधिकारी जितेन्द्र कुमार और ट्रेप अधिकारी रामअवतार सोनी सहित अन्य की भूमिका की छह माह में जांच करने को कहा है.

पढ़ेंः नवजात की हत्या को लेकर 31 साल पहले मिली आजीवन कारावास को हाईकोर्ट ने किया रद्द

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 15 जून 2011 को टेलीकॉम प्रोजेक्ट, जयपुर में डीजीएम फतेह मीणा ने सीबीआई को रिपोर्ट दी थी. जिसमें कहा गया गया कि उसे ठेकेदार की शिकायत पर ट्रेप किया गया था. मामले में राहत दिलाने के लिए अभियुक्त सीबीआई अफसरों के नाम पर उससे रिश्वत मांग रहा है. रिपोर्ट पर सीबीआई ने अभियुक्त को सात लाख रुपए लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

पांच साल की बच्ची से ज्यादती के अभियुक्त को 10 साल की सजा
पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने पांच साल की बच्ची से ज्यादती करने वाले अभियुक्त धारासिंह बैरवा को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

पढ़ेंः घर के ही परिजन ने की 7 साल की मासूम के साथ ज्यादती

अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि पीड़िता और अभियुक्त सांगानेर सदर थाना इलाके में किराए पर रहते थे. 11 अगस्त 2015 को अभियुक्त पीड़िता को टॉफी देने का बहाना बनाकर अपने कमरे में ले गया. यहां अभियुक्त ने पीड़िता के साथ ज्यादती की.

मामले में पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कहा गया की उसका पीड़िता के पिता के साथ पूर्व में विवाद हुआ था. जिसके चलते वह उससे रंजिश रखता था. ऐसे में अभियुक्त को मामले में फंसाया गया है.

जयपुर. सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के मुकदमें में राहत देने के लिए अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले दलाल नरोत्तम लाल स्वर्णकार को दो साल की सजा सुनाई है. अदालत ने अभियुक्त पर सात लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

वहीं अदालत ने सीबीआई निदेशक और एसपी को शिकायतकर्ता के मामले में जांच अधिकारी जितेन्द्र कुमार और ट्रेप अधिकारी रामअवतार सोनी सहित अन्य की भूमिका की छह माह में जांच करने को कहा है.

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अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 15 जून 2011 को टेलीकॉम प्रोजेक्ट, जयपुर में डीजीएम फतेह मीणा ने सीबीआई को रिपोर्ट दी थी. जिसमें कहा गया गया कि उसे ठेकेदार की शिकायत पर ट्रेप किया गया था. मामले में राहत दिलाने के लिए अभियुक्त सीबीआई अफसरों के नाम पर उससे रिश्वत मांग रहा है. रिपोर्ट पर सीबीआई ने अभियुक्त को सात लाख रुपए लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

पांच साल की बच्ची से ज्यादती के अभियुक्त को 10 साल की सजा
पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 ने पांच साल की बच्ची से ज्यादती करने वाले अभियुक्त धारासिंह बैरवा को दस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

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अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि पीड़िता और अभियुक्त सांगानेर सदर थाना इलाके में किराए पर रहते थे. 11 अगस्त 2015 को अभियुक्त पीड़िता को टॉफी देने का बहाना बनाकर अपने कमरे में ले गया. यहां अभियुक्त ने पीड़िता के साथ ज्यादती की.

मामले में पीड़िता के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से कहा गया की उसका पीड़िता के पिता के साथ पूर्व में विवाद हुआ था. जिसके चलते वह उससे रंजिश रखता था. ऐसे में अभियुक्त को मामले में फंसाया गया है.

Intro:जयपुर। सीबीआई मामलों की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के मुकदमें में राहत देने के लिए अफसरों के नाम पर रिश्वत लेने वाले दलाल नरोत्तम लाल स्वर्णकार को दो साल की सजा सुनाई है। अदालत ने अभियुक्त पर सात लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। वहीं अदालत ने सीबीआई निदेशक और एसपी को शिकायतकर्ता के मामले में जांच अधिकारी जितेन्द्र कुमार और ट्रेप अधिकारी रामअवतार सोनी सहित अन्य की भूमिका की छह माह में जांच करने को कहा है।Body:अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि 15 जून 2011 को टेलीकॉम प्रोजेक्ट, जयपुर में डीजीएम फतेह मीणा ने सीबीआई को रिपोर्ट दी थी। जिसमें कहा गया गया कि उसे ठेकेदार की शिकायत पर ट्रेप किया गया था। मामले में राहत दिलाने के लिए अभियुक्त सीबीआई अफसरों के नाम पर उससे रिश्वत मांग रहा है। रिपोर्ट पर सीबीआई ने अभियुक्त को सात लाख रुपए लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। Conclusion:
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