जयपुर. भारत की बात करें तो हर साल तीन करोड़ लोग एंजाइटी यानी घबराहट के शिकार होते हैं और डिप्रेशन में आया व्यक्ति कई बार आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है.
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2005 से 2015 तक पूरी दुनिया में मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्तियों की संख्या में करीब 18 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें 50% लोग भारत और चीन से ताल्लुक रखते हैं. वर्ष 2012 की बात करें तो विश्व में आत्महत्या से जुड़े सबसे अधिक मामले भारत में सामने आए हैं और पिछले 3 सालों में डिप्रेशन से जुड़ी दवाओं का सेवन भारत में ही अत्यधिक रूप से किया जा रहा है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज की माने तो भारत में रहने वाले 20 व्यक्ति में से एक व्यक्ति किसी ना किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं. इसपर चिकित्सकों का कहना है कि कम भूख लगना, बेवजह दुखी होना, आत्मविश्वास में कमी, नशे का अत्यधिक सेवन करना और आत्महत्या का ख्याल मन में आना, यह सब मानसिक रोग से जुड़े कारण हो सकते हैं.
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अगर व्यक्ति 4 हफ्तों से अधिक इस परिस्थिति में है तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसे मामलों में तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में करीब एक करोड़ से अधिक लोग भारत में किसी न किसी मनोरोग से पीड़ित होते है. मनोरोग चिकित्सकों का कहना है कि भारत में 20 में से एक व्यक्ति कभी ना कभी किसी मनोरोग से ग्रसित हुआ है और जल्द ही इसका इलाज नहीं किया गया तो ये घातक हो सकता है.