जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की ओर से नंदी गौशालाओं के खोले जाने के सवाल उठा. भाजपा विधायक अशोक लाहोटी ने प्रदेश में नंदी गौशाला के लिए स्थापना के लिए आवंटित बजट को लेकर सवाल लगाया. जिस पर मंत्री भैया ने जवाब देते हुए साफ किया कि पंचायत स्तर पर अब तक एक भी नंदी गौशाला नहीं खोली गई है.
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जिला स्तर पर नंदी गौशाला खोलने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक पंचायत समिति स्तर तक बजट घोषणा की पालना में अब तक एक भी नंदी शाला नहीं खुली है लेकिन इस पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की जिला नंदी गौशाला की घोषणा में कमियां थी. इसके चलते वह पूरी नहीं हो पाई. इसी करण पंचायत स्तर पर नंदी गौशाला की घोषणा की.
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पंचायत स्तर पर नंदी गौशाला खोलने में हो रही देरी को लेकर उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि योजना का हाल पिछली सरकार की जिला स्तरीय नंदी शाला योजना की तरह फेल ना हो. दूसरा विलंब का कारण कोरोना वायरस के फैलने के चलते हुआ. उन्होंने कहा कि सदन को आश्वस्त करता हूं कि जल्दी से जल्दी 1 महीने के अंदर नंदी गौशाला के नए परिपत्र को जारी कर उनको स्थापित करने का काम करेंगे.
जिला स्तरीय नंदी गौशाला पर कटारिया का सवाल
मंत्री भैया प्रमोद जैन भाया ने कहा कि जिला स्तरीय नंदी गौशाला 11 जिलों में कार्य प्रारंभ होने की स्थिति पर 3 जिलों में चल रहा है और 2 जिलों में पूर्ण हो चुका है. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पहले की जिला स्तरीय नंदी गौशाला अगर अव्यवहारी थी तो पंचायत पर अव्यावहारिक नन्दी गौशाला खोल क्यों रहे हो.
ऊंट को संरक्षित करने को लेकर उठा सवाल
दूसरी ओर विधानसभा में विधायक अमीन खान ने ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के बाद आ रही परेशानी को लेकर सवाल उठाया. अमीन खान ने कहा मेरा सवाल यह है कि ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के पीछे सरकार का इरादा क्या है. यह पशुपालकों को बर्बाद करने के लिए किया है या उनके भलाई के लिए. इस पर मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि ऊंट को राज्य पशु घोषित किया गया. 16 सितंबर 2014 को और 2015 में इस पर कानून बन गया. उसके बाहर जाने पर और वध पर रोक लगी और वर्तमान समय में आधुनिक यंत्रों के कारण जो परिवहन में काम ऊंट को दिया जाता था लेकिन अब ऊंटों को लोगों ने पालना बंद कर दिया और उनको खुला छोड़ दिया है. जंगल में जो ऊंट खुले हैं. उसे लेकर मेरी सदस्यता में एक कमेटी बनी है मैं खुद भी चिंतित हूं. ऊंट को बचाने के लिए और इनके संरक्षण का काम चल रहा है.
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विधायक अमीन खान ने कहा और जिस दिन राज्य पशु घोषित हुआ, उससे आज तक ऊंटों की संख्या 50% से भी कम रह गई है. ऊंट आवारा हो गया है. उसको कोई हाथ नहीं लगाता है. हजारों ऊंट मर गए हैं. किसान के लिए सबसे बड़ी परेशानी जंगली सूअरों ने की. फिर गायों ने आवारा होकर की और अब ऊंट आवारा होने से गरीब का खेती का अब कोई बचाव का जरिया नहीं बचा है.ऊंट की वृद्धि के लिए अगर कमेटी है तो पशुपालकों को कमेटी में रखे बंगलों में बैठे हुए लोग क्या जाने कि ऊंट किस काम आता है. इसपर कटारिया ने कहा कि कमेटी जो बनी हुई है, उसमें अमीन खान को भी आमंत्रित करूंगा और पश्चिमी राजस्थान के जो साथी हैं, वह भी व्यक्तिगत तौर पर ऊंटों के संरक्षण के लिए कोई सुझाव दे सकते हैं.