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मजदूर दिवस विशेष: लॉकडाउन बना मजबूरी, घर को निकले मजदूरों में कइयों ने हारी जिंदगी - Labour Day

कोरोना के चलते लगाया गया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों के लिए महंगा साबित हुआ. कई श्रमिक ऐसे रहे जिन्होंने लॉकडाउन को चुनौती मान कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया. जब अपने मंजिल के नजदीक पहुंचने ही वाले थे, तभी जिंदगी की डोर उनके हाथ से छूट गई.

मजदूर दिवस, कोरोना में मजदूर दिवस, मजदूरों पर स्पेशल स्टोरी  Labor Day, Labor Day in Corona, Special Story on Workers
लॉकडाउन में मजदूर दिवस
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Published : May 1, 2020, 8:51 PM IST

जयपुर. देश में कोरोना संक्रमण के चलते अचानक लगाया गया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों के लिए महंगा साबित हुआ. प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन की घोषणा के बाद श्रमिकों के लिए अचानक से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में अब प्रवासी मजदूरों के पास अपने घर लौटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा.

लॉकडाउन की घोषणा के बाद सभी प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ घर जाने के लिए चल पड़े. लेकिन लॉकडाउन के चलते परिवहन का कोई भी साधन उन्हें उपलब्ध नहीं हुआ. ऐसे में अब मजदूरों ने अपने परिवार के साथ घर के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करने की ठान ली.

लॉकडाउन में मजबूर हैं मजदूर

श्रमिकों के पूरे परिवार ने अपना सामान और बच्चों को सिर पर उठाया और घर की ओर कूच कर दी. कुछ मजदूरों के परिवारों को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान राज्यों की सीमा पर पकड़ कर आश्रय स्थल भेज दिया. लेकिन कई श्रमिक ऐसे रहे जिन्होंने लॉकडाउन को चुनौती मान कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया और जब वो अपने मंजिल के नजदीक पहुंचने ही वाले थे, तभी जिंदगी की डोर उनके हाथ से छूट गई.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: मजदूर दिवस पर विशेष, गरीब का बच्चा मजबूर क्यों?

आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान अब तक 40 से ज्यादा मजदूरों की जान जा चुकी है. इनमें कुछ को घर जाने की जिद ने खा लिया तो कुछ ने खुद ही मौत को गले लगा लिया. वहीं, कई श्रमिक ऐसे हैं जिन्होंने अपने हौसले के दम पर अपना रास्ता तय किया और अपने घर पहुंचे. सिर पे परिवार की जिम्मेदारी, खत्म होते पैसे और बच्चों की भूख के आगे मजबूर प्रवासी मजदूरों ने ये कदम उठाया जिसमें कुछ सफल रहे तो कुछ विफल.

100 किलोमीटर पहले थम गई सांसे

सवाई माधोपुर का रहने वाला मुकेश बैरवा परिवार के साथ जयपुर में मजदूरी करता था. कोरोना की दहशत और लॉक डाउन के चलते उसने परिवार के साथ जयपुर से अपने घर सवाई माधोपुर के जैतपुरा गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा.

बैरवा करीब 100 किलोमीटर पैदल चला, उसके बाद वह टोंक तक निजी वाहन में सफर किया. टोंक में उसकी तबियत भी बिगड़ी. उनियारा अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में मौत को लगाया गले

उदयपुर जिले के डबोक थाना क्षेत्र में क्वॉरेंटाइन में रखे गए एक युवक का शव रविवार को सुबह फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला. जिसके बाद शासन प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई. यूपी हाथरस के विष्णु को अपने दो दोस्तों के साथ क्वॉरेंटाइन किया गया था. जो सूरत में वेटर का काम करते थे. उसके दोस्त अलग कमरे में रखे गए थे. रविवार सुबह जब दोस्त उसके कमरे में गए तो युवक फंदे से लटका मिला.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: Lockdown ने मजदूर को बनाया मजबूर, कर्ज लेकर काट रहा दिन

मुश्किलों को पार कर मंजिल तक पहुंचे

अपनों से दूर मजदूरों ने पैदल घर जाने की ठान तो ली, लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं था. ना जानें कितने किलोमीटर की यात्रा बिना खाने- पीने के सामान के साथ तय करनी थी. भूखे-प्यासे चलते मजदूरों को कभी भामाशाहों का साथ मिला तो कहीं पुलिस का सहयोग. रास्ते में कई बार रैन बसेरों में रात भी गुजारनी पड़ी, लेकिन मजदूरों के हौसलों के आगे तमाम मुश्किलें छोटी पड़ गई.

अपनों तक पहुंचने की जिद ने हर तकलीफ और संकट को कम कर दिया और जद्दोजहद के बाद आखिरकार अपनी मंजिल को छू लिया. हालांकि अब स्थितियों को देखते हुए पीएम मोदी ने हर राज्य से मजदूरों को घर भेजने के आदेश जारी कर राहत दी है.

जयपुर. देश में कोरोना संक्रमण के चलते अचानक लगाया गया लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों के लिए महंगा साबित हुआ. प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन की घोषणा के बाद श्रमिकों के लिए अचानक से रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. ऐसे में अब प्रवासी मजदूरों के पास अपने घर लौटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा.

लॉकडाउन की घोषणा के बाद सभी प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ घर जाने के लिए चल पड़े. लेकिन लॉकडाउन के चलते परिवहन का कोई भी साधन उन्हें उपलब्ध नहीं हुआ. ऐसे में अब मजदूरों ने अपने परिवार के साथ घर के लिए सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करने की ठान ली.

लॉकडाउन में मजबूर हैं मजदूर

श्रमिकों के पूरे परिवार ने अपना सामान और बच्चों को सिर पर उठाया और घर की ओर कूच कर दी. कुछ मजदूरों के परिवारों को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान राज्यों की सीमा पर पकड़ कर आश्रय स्थल भेज दिया. लेकिन कई श्रमिक ऐसे रहे जिन्होंने लॉकडाउन को चुनौती मान कर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय किया और जब वो अपने मंजिल के नजदीक पहुंचने ही वाले थे, तभी जिंदगी की डोर उनके हाथ से छूट गई.

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आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान अब तक 40 से ज्यादा मजदूरों की जान जा चुकी है. इनमें कुछ को घर जाने की जिद ने खा लिया तो कुछ ने खुद ही मौत को गले लगा लिया. वहीं, कई श्रमिक ऐसे हैं जिन्होंने अपने हौसले के दम पर अपना रास्ता तय किया और अपने घर पहुंचे. सिर पे परिवार की जिम्मेदारी, खत्म होते पैसे और बच्चों की भूख के आगे मजबूर प्रवासी मजदूरों ने ये कदम उठाया जिसमें कुछ सफल रहे तो कुछ विफल.

100 किलोमीटर पहले थम गई सांसे

सवाई माधोपुर का रहने वाला मुकेश बैरवा परिवार के साथ जयपुर में मजदूरी करता था. कोरोना की दहशत और लॉक डाउन के चलते उसने परिवार के साथ जयपुर से अपने घर सवाई माधोपुर के जैतपुरा गांव जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा.

बैरवा करीब 100 किलोमीटर पैदल चला, उसके बाद वह टोंक तक निजी वाहन में सफर किया. टोंक में उसकी तबियत भी बिगड़ी. उनियारा अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में मौत को लगाया गले

उदयपुर जिले के डबोक थाना क्षेत्र में क्वॉरेंटाइन में रखे गए एक युवक का शव रविवार को सुबह फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला. जिसके बाद शासन प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई. यूपी हाथरस के विष्णु को अपने दो दोस्तों के साथ क्वॉरेंटाइन किया गया था. जो सूरत में वेटर का काम करते थे. उसके दोस्त अलग कमरे में रखे गए थे. रविवार सुबह जब दोस्त उसके कमरे में गए तो युवक फंदे से लटका मिला.

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मुश्किलों को पार कर मंजिल तक पहुंचे

अपनों से दूर मजदूरों ने पैदल घर जाने की ठान तो ली, लेकिन रास्ता इतना आसान नहीं था. ना जानें कितने किलोमीटर की यात्रा बिना खाने- पीने के सामान के साथ तय करनी थी. भूखे-प्यासे चलते मजदूरों को कभी भामाशाहों का साथ मिला तो कहीं पुलिस का सहयोग. रास्ते में कई बार रैन बसेरों में रात भी गुजारनी पड़ी, लेकिन मजदूरों के हौसलों के आगे तमाम मुश्किलें छोटी पड़ गई.

अपनों तक पहुंचने की जिद ने हर तकलीफ और संकट को कम कर दिया और जद्दोजहद के बाद आखिरकार अपनी मंजिल को छू लिया. हालांकि अब स्थितियों को देखते हुए पीएम मोदी ने हर राज्य से मजदूरों को घर भेजने के आदेश जारी कर राहत दी है.

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