जयपुर. केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत राहत पैकेज के पांचवीं किस्त की घोषणा रविवार को कर दी. पांचवीं किस्त में सरकार द्वारा उठाए गए सात कदम में नरेगा, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित, कारोबार और कोविड- 19, कंपनी एक्ट के गैर-अपराधिकरण, इज ऑफ डूइंग बिजनेस, सार्वजनिक उपक्रम और राज्य सरकार के संसाधन को लेकर थे. इनमें टेक्नोलॉजी ड्रिवन एजुकेशन के लिए कदम उठाए गए. इसके तहत पीएम विद्या मंत्र लांच किया जाएगा.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्कूल शिक्षा के लिए दीक्षा प्रोग्राम होगा. इसमें सभी कक्षाओं के लिए E-content और क्यूआर कोड, वन नेशन वन डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा. इसके अलावा कक्षा 1 से कक्षा 12 के लिए प्रति क्लॉस एक टीवी चैनल होगा, जिसमें रेडियो पॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो का इस्तेमाल होगा. वहीं पीएम विद्या के अलावा मनोदर्पण प्रोग्राम शुरू किया जाएगा, यह छात्रों की शिक्षा और उनके परिवार को मनोवैज्ञानिक सपोर्ट के लिए होगा.
यह भी पढ़ेंः गहलोत सरकार ने जारी की लॉकडाउन 4.0 की गाइडलाइन, जानें- कहां मिली छूट और कहां रहेगी सख्ती..
लेकिन शिक्षा के जानकारों का आरोप है कि देश की 65 फीसदी आबादी गांव में निवास करती है. जहां पर अभी नेटवर्क टेक्नोलॉजी पूरी तरीके से विकसित नहीं है. नेटवर्किंग प्रॉब्लम लगातार बनी हुई है. 35 फीसदी आबादी निम्न वर्ग की है. इनके पास दो वक्त के खाने के साथ-साथ रहने की भी बड़ी दिक्कत है. ऐसे में इन बच्चों को सरकार किस तरीके से ऑनलाइन एजुकेशन से जोड़ेगी. साथ ही जिन परिवारों के पास रहने तक की समस्या है, उनके बच्चों को कैसे टीवी के जरिए एजुकेशन का पाठ पढ़ाया जाएगा. इस बात को लेकर सरकार ने पूरी तरीके से स्पष्ट नहीं किया है.
शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली मनीषा सिंह ने कहा कि सरकार हमेशा इसी तरह से घोषणा करती है. लेकिन उनका इंप्लीमेंट किस तरह से होगा, इसका कोई रोड मैप नहीं दिया जाता है. घोषणा करना और घोषणा को धरातल पर उतारना दोनों में बड़ा अंतर है. देश में लागू लॉकडाउन की वजह से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा से दूर होना पड़ा है. 50 दिन से अधिक हो गए, लेकिन सरकार के पास अभी तक इन बच्चों को शिक्षा के साथ कैसे जोड़ा जाए. इसका मैकेनिज्म नहीं बना है.
ऐसे में सरकार की तरफ से की जाने वाली घोषणा ऐसा लगता है मानो सिर्फ कहने के हिसाब से अच्छी हैं. लेकिन इनका धरातल पर उतारना और वर्तमान के परिदृश्य में सकारात्मक परिणाम आना थोड़ा मुश्किल है. हां यह जरूर है कि उनके दूरगामी परिणाम आ सकते हैं. लेकिन वर्तमान में शिक्षा के स्तर को वर्तमान की परिस्थिति के अनुसार सुधारना होगा.