जयपुर. मदरसा पैराटीचर्स लंबे समय से समायोजन की मांग कर रहे हैं. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार में भी कई बार मदरसा पैराटीचर्स ने समायोजन की मांग की, लेकिन उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई. सोमवार सुबह बड़ी संख्या में अलग-अलग जिलों से आए हुए मदरसा पैराटीचर्स मंत्री शाले मोहम्मद के घर पहुंचे और यहां उन लोगों ने शाले मोहम्मद जिंदाबाद के नारे भी लगाए. शाले मोहम्मद से मुलाकात के बाद मंत्री ने मदरसा पैराटीचर्स को समायोजन करने का आश्वासन दिया.
मदरसा पैराटीचर्स के अनुसार मंत्री ने कहा है कि पहले महिलाओं का समायोजन किया जाएगा, उसके बाद पुरुषों का समायोजन किया जाएगा. इन मदरसा पैराटीचर्स को गृह जिले से बाहर अन्य जिलों में लगाया गया है. यह मदरसा पैरा टीचर्स अपने गृह जिलों से 700 से 800 किलोमीटर दूर बाड़मेर, जालौर, जैसलमेर और जयपुर जिले में कार्यरत हैं. मदरसा पैराटीचर्स का कहना है कि एक तो उन्हें मानदेय कम मिल रहा है. दूसरा इतने कम मानदेय में अन्य जगह रहकर घर ख़र्च चलाना भी दुश्वार होने लगा है. कई मदरसा पैराटीचर के मां-बाप भी बीमार हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें अपना गृह जिला छोड़कर अन्य जिलों में नौकरी करनी पड़ रही है. कई मदरसा पैराटीचर्स गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित हैं और 7,202 रुपए के मानदेय पर वह घर खर्च नहीं चला पा रहे.
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ज्ञापन में बताया गया कि कई मदरसा पैराटीचर्स कुंवारे हैं, जिनका समायोजन नहीं होने के कारण रिश्ता भी तय नहीं हो पाता. किसी लड़की की शादी हो ही जाती है तो ससुराल से दूर मदरसे में शिक्षण कार्य करने में भी सामंजस्य बैठाना मुश्किल हो रहा है. कई मदरसा पैराटीचर्स तनाव में रहते हुए आत्महत्या भी कर चुके हैं. इससे पहले चेयरमैन मौलाना फजल हक और पूर्व चेयरमैन मेहरून्निसा टाक ने भी समायोजन किए हैं. मदरसा पैराटीचर्स ने कहा कि यदि उनका समायोजन नहीं किया जाता है तो संविदा की नौकरी से भी त्यागपत्र देना पड़ेगा.
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मदरसा पैराटीचर मदीना बी ने बताया कि काफी लंबे समय से हमें यह परेशानी हो रही है. यदि अपने माता पिता से मिलने भी जाते हैं तो एक ही बार में 1,000 से 15 सौ रुपए खर्च हो जाते हैं और इतनी कम मानदेय में घर कर चुकी नहीं चलता है. इसलिए वह अपना ट्रांसफर जिले में करवाना चाहती हैं.