जयपुर. पश्चिमी और उत्तरी राजस्थान में हजारों पशुपालकों के लिए संक्रामक गांठदार त्वचा रोग लंपी अब परेशानी का सबब बन गया है. इस बीमारी के चलते अब तक 1000 से ज्यादा मवेशी काल का ग्रास बन चुके हैं. वहीं, बीते 3 महीने में लगभग 25,000 पशुओं में यह बीमारी फैल गई है. अकेले जोधपुर जिले में ही 250 से ज्यादा गायों की इस बीमारी के चलते मौत हो गई थी.
रविवार को पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने बीमारी की गंभीरता को देखते हुए (Gehlot Government Action Plan for Lumpy Virus) एक बैठक ली और अधिकारियों को एक्शन प्लान तैयार करने के लिए कहा. सरकार ने अपने एक्शन प्लान में राजधानी जयपुर समेत प्रभावित जिलों में अब कंट्रोल रूम बनाने की बात कही है.
प्रभावित जिलों में बनेंगे कंट्रोल रूमः पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने रविवार को प्रदेश के पश्चिमी जिलों के मवेशियों में फैल रही लंपी स्किन डिजीज की स्थिति और रोकथाम के प्रयासों की समीक्षा की. उन्होंने प्रभावित जिलों के कलेक्टरों से वार्ता कर स्थिति का जायजा लिया और बीमारी को लेकर प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए. कटारिया ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, जालोर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर, नागौर और बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग गायों में फैल रहा है. उन्होंने डिजीज की रोकथाम और इलाज के लिए जरूरी दवाइयां मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों में औषधियां क्रय करने के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त बजट आवंटन करने के निर्देश भी दिए.
बैठक के बारे में पशुपालन सचिव पी. सी. किशन ने कहा कि प्रभावित जिलों में जहां पशु चिकित्सा कार्मिकों की कमी है, वहां कम प्रभावित पड़ोसी जिलों से चिकित्सा दल गठित कर भेजे जाएंगे. इसके अलावा जिले के नोडल अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. पशुओं में फैल रहे इस रोग पर लगातार नजर रखने के लिए प्रभावित जिलों के साथ-साथ जयपुर मुख्यालय पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश दिए.
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उन्होंने बताया कि सोमवार को केंद्रीय विशेषज्ञ दल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर (Central team will visit Rajasthan on 1st August) स्थिति का जायजा लेगा. शासन सचिव पी. सी. किशन के मुताबिक जोधपुर संभाग के पशुओं में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा है. हालांकि, इसमें मृत्यु दर ज्यादा नहीं है. बीमार होने वाले पशुओं में से कमजोर और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले एक से डेढ़ प्रतिशत पशुओं की मौत हो रही है. उन्होंने बताया कि प्रभावित हर जिले को आपातकालीन जरूरी दवाएं खरीदने के लिए पहले ही एक-एक लाख रुपए और पॉली क्लीनिक को 50-50 हजार रुपए जारी किए गए थे. साथ ही जिन जिलों में फंड की आवश्यकता है, उन्हें अतिरिक्त राशि दी जाएगी. ज्यादा प्रभावित जिलों में स्टेट मेडिकल टीम और पड़ोसी जिलों से टीमें भेजी जाएंगी.
फिलहाल यह है व्यवस्था : लंपी स्किन डिजीज से बचाव के लिए पशु चिकित्सक लक्षण आधारित इलाज कर रहे हैं. साथ ही पशुपालकों को स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधने, बुखार और गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से इलाज कराने की सलाह दी गई है.
पाकिस्तान के रास्ते भारत में आई ये बीमारी : जानकारों के मुताबिक अफ्रीका में पैदा हुई यह बीमारी अप्रैल में पाकिस्तान के रास्ते भारत में आई थी. पशुपालन विभाग के अनुसार शुरुआत में, जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती जिलों में संक्रमण फैला था. लेकिन ये अब जोधपुर, जालोर, नागौर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और क्षेत्र के अन्य जिलों में फैल गया है. ये बीमारी मुख्य रूप से गायों, विशेष रूप से देशी गायों को प्रभावित कर रही है. अब तक करीब 25,000 गोवंश प्रभावित हुए हैं. कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली गायों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण अन्य रोग आक्रमण करते हैं और पशु की मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि गांठ रोग का कोई इलाज या टीका नहीं है और लक्षणों के अनुसार उपचार दिया जाता है. प्राथमिक लक्षण त्वचा पर चेचक, तेज बुखार और नाक बहना है.
बेनीवाल ने लिखा सरकार को पत्र : नागौर में लंपी बीमारी के बढ़ते असर को देखते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कृषि मंत्री पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया को (Hanuman Beniwal Letter) एक पत्र लिखा है. सांसद बेनीवाल ने अपने पत्र में गायों में भयंकर रूप से फैली लंपी स्कीन डिजीज के प्रभावी रोकथाम के लिए मिशन मोड पर कार्यक्रम चलाने की मांग की. उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग में चिकित्सकों समेत अन्य श्रेणी के खाली पड़े अन्य पदों पर सरकार जल्द से जल्द भर्तियां करें.