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बाघों के संरक्षण के लिए दीर्घकालीन योजना...विशेषज्ञ समिति का गठन

राजस्थान में बाघों के संरक्षण के लिए दीर्घकालीन योजना पर काम किया जा रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.

बाघों के संरक्षण के लिए समिति गठित
बाघों के संरक्षण के लिए समिति गठित
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Published : Aug 7, 2021, 8:37 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में बाघों के संरक्षण तथा उनके बढ़ते कुनबे को देखते हुए एक दीर्घकालीन योजना तैयार करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है. इसके लिए उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी है.

इस विशेषज्ञ समिति में राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य विधायक भरतसिंह कुंदनपुर, बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के पूर्व सदस्य सचिव डॉ. राजेश गोपाल, सिमरत कौर संधू, सुनील मेहता, धीरेन्द्र गोधा, जैसल सिंह, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड इंडिया के महासचिव एवं सीईओ रवि सिंह, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के प्रतिनिधि तथा सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

पढ़ें- पर्यटन की 'हरियाली' : सरिस्का में बढ़ रही है पर्यटकों की संख्या...बाघों का सुरक्षित घर बन रहा है सरिस्का

सीएम ने विगत दिनों राज्य वन्यजीव मण्डल की बैठक में प्रदेश में बाघों के बढ़ते कुनबे को देखते हुए उनके संरक्षण के लिए दीर्घकालीन कार्ययोजना बनाने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि राज्य में बढ़ती संख्या के अनुरूप बाघों को सुरक्षित आश्रय स्थल उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार नए टाइगर रिजर्व विकसित करने की योजना पर काम कर रही है.

गहलोत ने बूंदी क्षेत्र के रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से टाइगर रिजर्व के रूप में स्वीकृति प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुंभलगढ़ अभयारण्य सहित अन्य वन क्षेत्रों में भी बाघों एवं दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए थे.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में बाघों के संरक्षण तथा उनके बढ़ते कुनबे को देखते हुए एक दीर्घकालीन योजना तैयार करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है. इसके लिए उन्होंने एक विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दी है.

इस विशेषज्ञ समिति में राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य विधायक भरतसिंह कुंदनपुर, बोर्ड के सदस्य और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के पूर्व सदस्य सचिव डॉ. राजेश गोपाल, सिमरत कौर संधू, सुनील मेहता, धीरेन्द्र गोधा, जैसल सिंह, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड इंडिया के महासचिव एवं सीईओ रवि सिंह, निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के प्रतिनिधि तथा सदस्य सचिव, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है.

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सीएम ने विगत दिनों राज्य वन्यजीव मण्डल की बैठक में प्रदेश में बाघों के बढ़ते कुनबे को देखते हुए उनके संरक्षण के लिए दीर्घकालीन कार्ययोजना बनाने के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश दिए थे. उन्होंने कहा था कि राज्य में बढ़ती संख्या के अनुरूप बाघों को सुरक्षित आश्रय स्थल उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार नए टाइगर रिजर्व विकसित करने की योजना पर काम कर रही है.

गहलोत ने बूंदी क्षेत्र के रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से टाइगर रिजर्व के रूप में स्वीकृति प्रदान करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कुंभलगढ़ अभयारण्य सहित अन्य वन क्षेत्रों में भी बाघों एवं दूसरे वन्यजीवों के संरक्षण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए थे.

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