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जयपुर ग्रामीण DSP सुनील शर्मा ने लिखी पुस्तक 'लॉकडाउन रोजनामचा' - जयपुर हिंदी न्यूज

वैश्विक महामारी कोरोना काल में फ्रंट लाइन पर खड़े होकर खाकी के वॉरियर्स ने जनता के दिलों में अलग जगह बनाई है. मुश्किल की घड़ी में पुलिसकर्मियों ने अपनी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ आमजन की भरपूर मदद की. हालांकि, उन्ही कोरोना वॉरियर्स को कई विकट परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ा और उन्हीं दर्द भरे लम्हों की चश्मीदगी RPS ऑफिसर सुनील प्रसाद शर्मा ने अपनी पुस्तक 'लॉकडाउन रोजनामचा' बयां की है, देखिए ये रिपोर्ट...

लॉकडाउन रोजनामचा बुक, Jaipur news
सुनील प्रसाद शर्मा ने लिखी लॉकडाउन रोजनामचा
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Published : Nov 23, 2020, 8:15 AM IST

जयपुर. अक्सर, आपने किसी आपराधिक घटना के बाद पुलिसकर्मियों को रोजनामचा रपट लिखते हुए देखा होगा लेकिन कोरोना महामारी के समय लगे लॉकडाउन का रोजनामचा भी एक पुलिस अधिकारी ने किया है. जयपुर ग्रामीण के DSP सुनील शर्मा ने 'लॉकडाउन रोजनामचा' नाम से एक पुस्तक लिखी है. इस उपन्यास को उन्होंने उन कर्मशीलों के नाम समर्पित किया है, जो लॉकडाउन के दौरान तकलीफों और मुश्किलों का समंदर में डूबते-उतरते रहे.

सुनील प्रसाद शर्मा ने लिखी लॉकडाउन रोजनामचा

वहीं 'लॉकडाउन रोजनामचा' पुस्तक में अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना को मात देने में जुटे रहे पुलिसकर्मियों, चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी जगह दी गई है, जो अब भी पूरी लगन, निष्ठा और दृढ़ता से डटे हैं. इस पुस्तक के लेखक व पुलिस अधिकारी सुनील शर्मा कहते है कि शुरुआती दौर में जब कोविड-19 महामारी आई थी, तब मार्च में लॉकडाउन लगाया गया. उस वक्त पूरे देश ने देखा पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ क्या हुआ और उनकी व्यथा व कथा को वर्णित करते हुए ये किताब लिखी गई है.

इस किताब के जरिए उन्होंने सरकारों व प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया. जिसका जिक्र उनकी इस किताब की टैगलाइन 'मौत मिले, पर माटी में' से जाहिर होता है. उसको लेकर उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन-1 लगाया गया और उसके एक दिन बाद पूरे देश में खासकर दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई में ये अफवाह उड़ी की सरकार ने प्रवासी लोगों के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था कर दी है.

इस झूठी अफवाह की वजह से मजदूरों का एक बहुत बड़ा वर्ग हजारों की संख्या में अपने गांव जाने के लिए निकल पड़ा परन्तु ऐसी कोई व्यवस्था थी ही नहीं, उस दरमियान लोगों के दिलों में एक ही बात अखर गई थी, कि इस महामारी में मौत तो निश्चित है लेकिन यदि मरना ही है तो अपने गांव जाकर मरेंगे. इसीलिए इस पुस्तक की टैगलाइन 'मौत मिले, पर माटी में' दी गई है.

यह भी पढ़ें. नौकरी लगाने के नाम पर साइबर ठग बना रहे बेरोजगारों को शिकार, ठगी के शिकार से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके...

हालांकि, एक पुलिस अधिकारी द्वारा बेबाकी से अपने ही पुलिस महकमे पर भी इस पुस्तक के जरिए सवाल खड़े किए गए है. जिसको लेकर कॉन्ट्रोवर्सी छिड़ सकती है. इसको लेकर DSP सुनील शर्मा ने कहा कि सवाल तो सवाल है वो किसी पर भी खड़े किए जा सकते हैं. यदि उनसे कोई गलती हुई है तो सवाल खड़े होना लाजमी है. परन्तु कोविड-19 संक्रमण के दौरान पुलिस का बहुत अच्छा मानवीय चेहरा समाज के सामने उभर कर आया और इस मानवीय चेहरे की जिम्मेदारी को वो आगे लेकर जाएंगे. साथ ही हर हाल में जनता के सुख दुख में भागीदार बनेंगे.

यह भी पढ़ें. राजस्थान में कोरोना के टूटे सारे रिकॉर्ड, 3260 नए केस आए सामने...कुल आंकड़ा 2,43,936

वहीं कोरोना रिटर्न को लेकर बढ़ते पॉजिटिव केस को लेकर उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि इस महामारी में सोशल डिस्टेंस की पालना होनी चाहिए और मास्क का उपयोग अनिवार्य है. साथ ही सबसे बड़ी बात संबंधो में बिखराव नहीं होना चाहिए क्योंकि इस समय संबंधों में जो दरार दिखाई दे रही है.

इस महामारी की वजह से वो हमारे समाज और संस्कृति के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है. इसलिए इस महामारी का डर सभी के अंदर होना चाहिए और महामारी खत्म नहीं हुई है. परंतु लोग लापरवाह हो गए है, उनके दिलों से डर चला गया है. इसलिए आवश्यक है कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें.

जयपुर. अक्सर, आपने किसी आपराधिक घटना के बाद पुलिसकर्मियों को रोजनामचा रपट लिखते हुए देखा होगा लेकिन कोरोना महामारी के समय लगे लॉकडाउन का रोजनामचा भी एक पुलिस अधिकारी ने किया है. जयपुर ग्रामीण के DSP सुनील शर्मा ने 'लॉकडाउन रोजनामचा' नाम से एक पुस्तक लिखी है. इस उपन्यास को उन्होंने उन कर्मशीलों के नाम समर्पित किया है, जो लॉकडाउन के दौरान तकलीफों और मुश्किलों का समंदर में डूबते-उतरते रहे.

सुनील प्रसाद शर्मा ने लिखी लॉकडाउन रोजनामचा

वहीं 'लॉकडाउन रोजनामचा' पुस्तक में अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोना को मात देने में जुटे रहे पुलिसकर्मियों, चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी जगह दी गई है, जो अब भी पूरी लगन, निष्ठा और दृढ़ता से डटे हैं. इस पुस्तक के लेखक व पुलिस अधिकारी सुनील शर्मा कहते है कि शुरुआती दौर में जब कोविड-19 महामारी आई थी, तब मार्च में लॉकडाउन लगाया गया. उस वक्त पूरे देश ने देखा पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ क्या हुआ और उनकी व्यथा व कथा को वर्णित करते हुए ये किताब लिखी गई है.

इस किताब के जरिए उन्होंने सरकारों व प्रशासन को भी आड़े हाथों लिया. जिसका जिक्र उनकी इस किताब की टैगलाइन 'मौत मिले, पर माटी में' से जाहिर होता है. उसको लेकर उन्होंने कहा कि जब लॉकडाउन-1 लगाया गया और उसके एक दिन बाद पूरे देश में खासकर दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, अहमदाबाद, सूरत और मुंबई में ये अफवाह उड़ी की सरकार ने प्रवासी लोगों के लिए बसों और ट्रेनों की व्यवस्था कर दी है.

इस झूठी अफवाह की वजह से मजदूरों का एक बहुत बड़ा वर्ग हजारों की संख्या में अपने गांव जाने के लिए निकल पड़ा परन्तु ऐसी कोई व्यवस्था थी ही नहीं, उस दरमियान लोगों के दिलों में एक ही बात अखर गई थी, कि इस महामारी में मौत तो निश्चित है लेकिन यदि मरना ही है तो अपने गांव जाकर मरेंगे. इसीलिए इस पुस्तक की टैगलाइन 'मौत मिले, पर माटी में' दी गई है.

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हालांकि, एक पुलिस अधिकारी द्वारा बेबाकी से अपने ही पुलिस महकमे पर भी इस पुस्तक के जरिए सवाल खड़े किए गए है. जिसको लेकर कॉन्ट्रोवर्सी छिड़ सकती है. इसको लेकर DSP सुनील शर्मा ने कहा कि सवाल तो सवाल है वो किसी पर भी खड़े किए जा सकते हैं. यदि उनसे कोई गलती हुई है तो सवाल खड़े होना लाजमी है. परन्तु कोविड-19 संक्रमण के दौरान पुलिस का बहुत अच्छा मानवीय चेहरा समाज के सामने उभर कर आया और इस मानवीय चेहरे की जिम्मेदारी को वो आगे लेकर जाएंगे. साथ ही हर हाल में जनता के सुख दुख में भागीदार बनेंगे.

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वहीं कोरोना रिटर्न को लेकर बढ़ते पॉजिटिव केस को लेकर उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि इस महामारी में सोशल डिस्टेंस की पालना होनी चाहिए और मास्क का उपयोग अनिवार्य है. साथ ही सबसे बड़ी बात संबंधो में बिखराव नहीं होना चाहिए क्योंकि इस समय संबंधों में जो दरार दिखाई दे रही है.

इस महामारी की वजह से वो हमारे समाज और संस्कृति के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है. इसलिए इस महामारी का डर सभी के अंदर होना चाहिए और महामारी खत्म नहीं हुई है. परंतु लोग लापरवाह हो गए है, उनके दिलों से डर चला गया है. इसलिए आवश्यक है कोरोना गाइडलाइंस का पालन करें.

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