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वैवाहिक उम्र होने से पहले लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते : HC

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने 21 साल की युवती के साथ लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) में रह रहे युवक और उसकी प्रेमिका को सुरक्षा दिलाने से इनकार कर दिया है. साथ ही कहा है, युवक की उम्र महज 19 साल है. ऐसे में वह न्यूनतम वैवाहिक उम्र पूरी नहीं करते हैं.

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राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला
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Published : Apr 28, 2021, 8:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 21 साल की युवती के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे युवक और उसकी प्रेमिका को सुरक्षा दिलाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा, युवक की उम्र महज 19 साल है. ऐसे में वह न्यूनतम वैवाहिक उम्र पूरी नहीं करते हैं. इसलिए वह लिव-इन-रिलेशनशिप में भी नहीं रह सकते हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश मीनाक्षी मीणा और तरुण शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया, याचिकाकर्ता लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते हैं. ऐसे में अपने परिजनों से जान का खतरा है. इसलिए उन्हें पुलिस सुरक्षा दिलाई जाए, जिसका विरोध करते हुए राजकीय अधिवक्ता शेर सिंह महला ने कहा, समाज में अभी लिव-इन-रिलेशनशिप को मान्यता नहीं है. इसके अलावा याचिकाकर्ता युवती भले ही वैधानिक रूप से शादी की उम्र पूरी कर चुकी है, लेकिन युवक 19 साल का ही है.

यह भी पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब, पूछा-ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की सप्लाई में क्यों हुआ भेदभाव

इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जब वह विवाह ही नहीं कर सकता तो लिव-इन-रिलेशनशिप में भी रहने का अधिकारी नहीं है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका खारिज कर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा दिलाने से इनकार कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 21 साल की युवती के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे युवक और उसकी प्रेमिका को सुरक्षा दिलाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने कहा, युवक की उम्र महज 19 साल है. ऐसे में वह न्यूनतम वैवाहिक उम्र पूरी नहीं करते हैं. इसलिए वह लिव-इन-रिलेशनशिप में भी नहीं रह सकते हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश मीनाक्षी मीणा और तरुण शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया, याचिकाकर्ता लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते हैं. ऐसे में अपने परिजनों से जान का खतरा है. इसलिए उन्हें पुलिस सुरक्षा दिलाई जाए, जिसका विरोध करते हुए राजकीय अधिवक्ता शेर सिंह महला ने कहा, समाज में अभी लिव-इन-रिलेशनशिप को मान्यता नहीं है. इसके अलावा याचिकाकर्ता युवती भले ही वैधानिक रूप से शादी की उम्र पूरी कर चुकी है, लेकिन युवक 19 साल का ही है.

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इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जब वह विवाह ही नहीं कर सकता तो लिव-इन-रिलेशनशिप में भी रहने का अधिकारी नहीं है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिका खारिज कर याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा दिलाने से इनकार कर दिया है.

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