जयपुर. लंबे इंतजार और उठ रहे सवालों के बीच प्रदेश की गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने 8 मार्च 2021 को लोकायुक्त (Lokayukt) पद पर पीके लोहारा (Lokayukta PK Lohara) की नियुक्ति की, तब लगा था कि अब लोक सेवकों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण होने के साथ लंबित शिकायतों (Pending Files) का निपटारा होगा. लेकिन कम स्टाफ और कोरोना की लहर (Corona Pandemic) ने सरकारी महकमों की शिकायतों की जांच पर मनो ब्रेक लगा रखा है.
लोकायुक्त की स्थिति नखदंत विहीन लोकायुक्त की तरह हो रही है, जिसमें लोकायुक्त की नियुक्ति तो हो गई, लेकिन पूरा लोकायुक्त दफ्तर खाली पड़ा है. फाइल अलमारियों से निकालेगा कौन ? हालांकि, लोकायुक्त की नियुक्ति के एक महीने बाद सचिव पद पर उमाशंकर शर्मा को भी नियुक्त किया, जिससे दो साल से धूल खा रही शिकायतों पर काम शुरू हुआ.
आंकड़े बताते हैं कि जब लोकायुक्त ने पद संभाला उस वक्त 8 हजार 228 शिकायतें लंबित थीं. जिसके बाद मार्च से अब तक 546 नई शिकायतों के बाद यह आंकड़ा 8 हजार 774 पर पहुंच गया. जिनमें से 2 हजार 34 शिकायतों को निस्तारित किया गया.
दरअसल, भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिहाज से लोकायुक्त राज्यों में एक अहम कड़ी माना जाता है. वर्तमान गहलोत सरकार के दो साल के कार्यकाल में ही अलग-अलग 40 सरकारी महकमों के खिलाफ 5,056 शिकायतें दर्ज करवाई गई थीं. इससे पहले भी पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार (Previous Vasundhara Raje Government) के कार्यकाल की तीन हजार से ज्यादा शिकायतों पर अभी भी जांच पेंडिंग चल रही हैं. इसमें खान आवंटन घोटाले जैसे मामले भी शामिल हैं.
वर्तमान में कुल 6,740 शिकायतें, आंकड़ों से समझिये...
दरअसल, लोक सेवकों के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के लिए लोकायुक्त का गठन किया गया. राजस्थान जैसे करीब 17 राज्यों में लोकायुक्त स्वतंत्र संस्था स्थापित है. प्रदेश दो साल से खाली चल रहे लोकायुक्त के पद पर प्रदेश की गहलोत सरकार ने जस्टिस पीके लोहारा को 8 मार्च को नियुक्त कर दिया. लेकिन अपनी 'पैदाइश' से पहले ही इतने झंझटों में फंसा कि त्वरित न्याय और पेंडेंसी निस्तारण पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी वजह है पूरा लोकायुक्त दफ्तर खाली पड़ा होना.
लोकायुक्त सचिव गौरीशंकर शर्मा भी मानते हैं कि कोरोना काल (Corona Pandemic) और कम स्टाफ की वजह से जिस गति के साथ शिकायतों का निस्तारण होना चाहिए था, उस गति से नहीं हो पाया. लेकिन लोकायुक्त की ओर से मिले निर्देशों पर पहले उन शिकायतों को जांच कर रहे हैं जो सबसे पुरानी हैं.
गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में एक अध्यादेश के जरिए तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया था, तब से 8 मार्च 2021 तक यह पद खाली रहा. सरकार ने जुलाई में देश में एक समानता के लिए राजस्थान लोकायुक्त संशोधन विधेयक-2019 पारित कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 साल से घटाकर 5 साल भी कर दिया था. 9 मार्च 2021 का न्यायमूर्ति पीके लोहारा ने लोकायुक्त का पदभार ग्रहण कर लिया है. सरकार की तरफ से पद पर नियुक्ति तो कर दी गई, लेकिन इसके बावजूद भी कोरोना और स्टॉफ की कमी के चलते जांचों ने गति नहीं पकड़ी.
ऐसे में बड़ा सवाल की आखिर न्याय की उम्मीद लगाए बैठे इन परिवादियों को न्याय कब मिलेगा. क्योंकि यह पहले ही सरकार की लेट लतीफी वाले सिस्टम से परेशान होकर यहां फरियाद लेकर आए, लेकिन यहां भी सिर्फ मिल रही है तो 'तारीख पर तारीख'.