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'हम लोग तो अफसरी कर रहे हैं और अफसर नेतागिरी, वो हमें बताते हैं ऐसा कर लो-वैसा कर लो'

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Published : Feb 28, 2020, 11:29 PM IST

सदन में विधायक हरीश मीणा ने सरकार को खरी-खरी सुनाई. उन्होंने कहा कि अधिकारी की जवाबदेही सरकार के प्रति होती है, अधिकारी सरकार की बात न माने यह कैसे हो सकता है.? अब तो यह लगने लगा है कि अफसर नेतागिरी करके हमें बताते हैं कि हमें क्या करना है और हम अफसरों का काम कर रहे हैं कि इसे यहां लगा दो उसे वहां लगा दो.

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सदन में विधायक हरीश मीणा ने सरकार को खरी-खरी सुनाई

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को अनुदान की मांग पर चर्चा में बोलते हुए कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने कहा कि आज जनता के जायज काम समय पर नहीं हो रहे हैं. हमें जनता ने चुन कर भेजा है, अधिकारियों की जवाबदेही सरकार के प्रति होती है. ऐसा कैसे हो सकता है कि अधिकारी सरकार की न माने.

सदन में विधायक हरीश मीणा ने सरकार को खरी-खरी सुनाई

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मंत्री परसादी लाल मीणा को मुकदमा दर्ज करवाने के लिए जनसुनवाई में जाना पड़ा. मुझे भी मुकदमा दर्ज करवाने के लिए बहुत प्रयास करने पड़े. यह जनता के साथ नाइंसाफी है, पुलिस हमारी विफलता के कारण निरंकुश हुई है. सरकारी स्कूलों के 90 प्रतिशत मैदानों पर अतिक्रमण है, इन अतिक्रमण को कौन हटाएगा. नियम बनाने से कुछ नहीं होता, उन्हें लागू करना पड़ेगा.

यह भी पढ़ेंः अनुदान मांगों पर बहस के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों पर भड़के राठौड़, कुछ यूं किया कटाक्ष

विधायक ने कहा कि कई बार तो मुझे ऐसा लगता है कि हम लोग तो अफसरी कर रहे हैं और अफसर नेतागिरी कर रहे हैं. अफसर हमें बताते हैं कि ऐसा कर लो, वैसा कर लो. व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है. फसल खराबे की गिरदावरी के आदेश दिए, लेकिन पद ही खाली है तो सर्वे कौन करेगा.

वहीं उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट सेंचुरी में बड़े-बड़े होटल हैं तो फिर उन्हें सबके लिए ही खोल दिया जाए. शेर तो वैसे भी नहीं बचे हैं तो फिर फॉरेस्ट में हम बचा ही क्या रहे हैं.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को अनुदान की मांग पर चर्चा में बोलते हुए कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने कहा कि आज जनता के जायज काम समय पर नहीं हो रहे हैं. हमें जनता ने चुन कर भेजा है, अधिकारियों की जवाबदेही सरकार के प्रति होती है. ऐसा कैसे हो सकता है कि अधिकारी सरकार की न माने.

सदन में विधायक हरीश मीणा ने सरकार को खरी-खरी सुनाई

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मंत्री परसादी लाल मीणा को मुकदमा दर्ज करवाने के लिए जनसुनवाई में जाना पड़ा. मुझे भी मुकदमा दर्ज करवाने के लिए बहुत प्रयास करने पड़े. यह जनता के साथ नाइंसाफी है, पुलिस हमारी विफलता के कारण निरंकुश हुई है. सरकारी स्कूलों के 90 प्रतिशत मैदानों पर अतिक्रमण है, इन अतिक्रमण को कौन हटाएगा. नियम बनाने से कुछ नहीं होता, उन्हें लागू करना पड़ेगा.

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विधायक ने कहा कि कई बार तो मुझे ऐसा लगता है कि हम लोग तो अफसरी कर रहे हैं और अफसर नेतागिरी कर रहे हैं. अफसर हमें बताते हैं कि ऐसा कर लो, वैसा कर लो. व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता है. फसल खराबे की गिरदावरी के आदेश दिए, लेकिन पद ही खाली है तो सर्वे कौन करेगा.

वहीं उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट सेंचुरी में बड़े-बड़े होटल हैं तो फिर उन्हें सबके लिए ही खोल दिया जाए. शेर तो वैसे भी नहीं बचे हैं तो फिर फॉरेस्ट में हम बचा ही क्या रहे हैं.

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