जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान (Prashasan Shehro Ke Sang Abhiyan) के शुरू होने से पहले यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल (UDH Minister Shanti Dhariwal) जिस धारा 69ए को जादुई बता कर 5 लाख पट्टे बांटने का आकलन कर रहे थे उसका जादू, अभियान के दौरान किसी भी संभाग में नहीं चला. 69ए के तहत 2 अक्टूबर से अब तक महज 37 हजार 678 पट्टे जारी हुए हैं.
राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत धारा 69ए को जादुई धारा बताते हुए उन सभी लोगों को पट्टा देने की प्लानिंग की जो वर्षों से वहां रह रहे हैं. लेकिन उनके पास अपनी जमीन का कोई विधिक टाइटल (Lease deed target) नहीं है. इस धारा के तहत 5 लाख पट्टे जारी होने का आकलन किया गया. लेकिन 2 अक्टूबर से लेकर अब तक धारा 69ए के तहत प्रदेश में महज 63 हज़ार 296 आवेदन ही प्राप्त हो सके हैं. इनमें भी जारी पट्टों की संख्या 37 हजार 678 ही है. जबकि 4 हजार 603 पट्टे स्वीकृत नहीं किए गए.
संभाग वार धारा 69ए की स्थिति
संभाग प्राप्त | आवेदन | जारी पट्टे | अस्वीकृत |
अजमेर | 12838 | 7775 | 399 |
बीकानेर | 5594 | 3133 | 373 |
भरतपुर | 5211 | 3525 | 191 |
जयपुर | 14325 | 7152 | 1793 |
जोधपुर | 9142 | 5210 | 512 |
कोटा | 10864 | 6786 | 1102 |
उदयपुर | 5322 | 4097 | 233 |
आपको बता दें कि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम (Rajasthan Municipal Act) 2009 की धारा 69ए के तहत बिना विधिक टाइटल के अकृषि जमीन पर रहने वाले लोग अपनी जमीन को संबंधित निकाय को सरेंडर कर निकाय से विधिक पट्टा ले सकते हैं. ये जमीन निकाय सीमा में ही होना आवश्यक है. शहरों में पुरानी बसावट में इस धारा का इस्तेमाल कर पट्टे दिए जा सकते हैं. वहीं जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority) अधिनियम की धारा 54-ई, अजमेर और जोधपुर विकास प्राधिकरण अधिनियम की धारा 50-बी और नगर सुधार अधिनियम की धारा 60-सी के अंतर्गत कृषि भूमि के स्वामित्व अधिकार को समर्पण कर पट्टा दिए जाने का प्रावधान है.
इससे पहले राज्य सरकार ने 69ए से जुड़े मामलों में गूगल मैप पर प्रॉपर्टी चिन्हित करने में आ रही समस्या को ध्यान में रखते हुए एक आदेश जारी किया था. जिसमें स्पष्ट किया गया कि 69ए के मामलों में मौका रिपोर्ट के साथ संबंधित कर्मचारी की ओर से गूगल लोकेशन अंकित कर पार्ट प्रति पत्रावली में ही जोड़ी जाए. आदेशों में सरकार ने पट्टों को गति देने के उद्देश्य से कम से कम औपचारिकताएं रखने के निर्देश दिए. ताकि पेंडिंग मामलों का इस आधार पर निस्तारण किया जा सके. लेकिन अब तक इस बदलाव का भी कोई खास फायदा नहीं मिल पाया है.