जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान में अब नाम ट्रांसफर और उप विभाजन के प्रकरणों में भी पट्टा जारी किया जाएगा. इसे आमजन को दी गई सहूलियत कहें या राज्य सरकार की पट्टों की संख्या बढ़ाने की कवायद. लेकिन नाम ट्रांसफर और उप विभाजन के प्रकरणों में पट्टा मिलने से आवेदक के पास भूखंड के मूल दस्तावेज के रूप में अपने ही नाम का पट्टा (Lease deed given in case of name transfer or sub division) होगा. जिससे बैंक या फिर किसी भी वित्तीय संस्थान से लोन लेते समय उसे मूल दस्तावेज के रूप में चैन ऑफ डॉक्यूमेंट की आवश्यकता नहीं होगी.
प्रशासन शहरों के संग अभियान में अब नाम हस्तांतरण के प्रकरणों में पूर्व में जारी किया गया पट्टा समर्पित करा फ्री होल्ड पट्टा जारी करने के प्रावधान हैं. ऐसे में अब जितने भी नाम ट्रांसफर के आवेदन आ रहे हैं, उनके आवेदकों को प्रेरित किया जा रहा है कि वो अपना मूल पट्टा समर्पित कर अपने ही नाम का नया पट्टा ले सकते (Submit old lease dead and get new one while name transfer) हैं. वहीं उप विभाजन के प्रकरणों में भी भूखंड का मूल पट्टा समर्पित कर जितने भी उपविभाजित भाग हैं, उनका अलग-अलग पट्टा ले सकते हैं.
हेरिटेज नगर निगम के उपायुक्त प्लानिंग सुरेंद्र यादव ने बताया कि अब तक नगरीय निकायों की ओर से नाम हस्तांतरण का जो पत्र जारी किया जाता रहा है, उसे भूखंड के स्वामित्व का दस्तावेज नहीं माना जाता और व्यक्ति को नेम ट्रांसफर के पत्र के साथ भूखंड के चैन ऑफ डॉक्यूमेंट भी रखने पड़ते हैं. लेकिन नेम ट्रांसफर पर पट्टा मिलने के बाद उन्हें मूल दस्तावेज के रूप में महज पट्टा (लीज डीड) ही रखना होगा और जब आवेदक के पास लैंड टाइटल का पट्टा खुद के नाम पर ही होगा, तो वो किसी भी वित्तीय संस्थान से आसानी से ऋण भी ले सकेगा. उसे कोई और दस्तावेज लगाने की आवश्यकता नहीं होगी. यही स्थिति उप विभाजन के अलग-अलग पट्टों में भी होगी.
आपको बता दें कि प्रदेश के नगरीय निकायों में नाम हस्तांतरण के अब तक 32 हजार 432 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. जिनमें से 31 हजार 181 को निस्तारित किया जा चुका है. वहीं 1 हजार 251 प्रकरण अभी भी पेंडिंग है. इसी तरह भूखंडों के उप विभाजन के 4 हजार 4 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 3 हजार 647 को निस्तारित किया जा चुका है और 357 पेंडिंग प्रकरण हैं. जिनके यदि अब पट्टे दिए जाएंगे, तो पट्टे जारी किए जाने का आंकड़ा अपने आप बढ़ जाएगा.
प्रशासन शहरों के संग अभियान जयपुर के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए वरदान साबित हुआ है. स्कूल को अभियान के दूसरे चरण में 36 साल बाद पट्टा मिला. हवामहल जोन में आयोजित शिविर के दौरान महापौर मुनेश गुर्जर ने स्कूल संचालक ज्योति शंकर भट्टाचार्य को ये पट्टा दिया. प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लगाये गये शिविरों में नगर निगम जयपुर हेरिटेज ने बुधवार को 62 पट्टे बांटे. हवामहल जोन में 25, निगम मुख्यालय में 21, किशनपोल जोन में 11 एवं सिविल लाईन जोन में 5 पट्टे वितरित किये गये. इस दौरान मौजूद रही महापौर मुनेश गुर्जर ने हवामहल जोन में पट्टे बांटते हुए कहा कि आम आदमी को राहत देने और सबके चेहरे पर खुशी लाने के लिए मुख्यमंत्री और यूडीएच मंत्री ने ज्यादा से ज्यादा पट्टे देने का आह्वान किया है. इसलिए शिविरों में ज्यादा से ज्यादा पट्टा देकर लोगों को राहत पहुंचाना उनकी पहली प्राथमिकता है.
वहीं अभियान के दूसरे चरण में नगर निगम हेरिटेज के सिविल लाईन जोन, किशनपोल और आदर्श नगर जोन में आयोजित शिविरों का पर्यवेक्षक श्याम सिंह राजपुरोहित और आयोजना उपायुक्त सुरेन्द्र सिंह यादव ने औचक निरीक्षण भी किया. इस दौरान शिविरों में उपस्थित आवेदकों की समस्याओं को सुना गया और संबंधित अधिकारियों को आवेदन पत्रों का तत्परता से निस्तारण कर पट्टे जारी करने और लंबित प्रकरणों का जल्द निस्तारण कर पट्टे जारी करने के निर्देश दिए.