जयपुर. आनंदपाल एनकाउंटर और सांवराद मामले की सीबीआई जांच में पेश की गई चार्जशीट में राजपूत समाज के नेताओं के नाम आने के बाद खड़ा हुआ विवाद अब गहरा गया है. राजपूत समाज से जुड़े पदाधिकारी और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार और पिछली भाजपा सरकार को निशाने पर ले रहे हैं. लेकिन पिछली सरकार में गृह मंत्री रहे और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इस प्रकार की परेशानियां की संभावना बतौर गृहमंत्री रहते हुए पहले ही राजपूत नेताओं के समक्ष जता दी थी. इस पूरे मामले में लगे आरोपों पर ईटीवी भारत ने की गुलाबचंद कटारिया से खास बात की.
गुलाबचंद कटारिया ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर साफ कर दिया है कि इस मामले में समाज और सरकार के बीच जो सहमति पत्र बना था. उन्हीं बिंदुओं को सीबीआई को सौंपा गया है और वह आज भी सरकारी रिकॉर्ड पर है. कटारिया ने यह भी कहा कि उन्होंने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला और आज जो आरोप राजपूत समाज के नेता प्रताप सिंह खाचरियावास लगा रहे हैं, उसका भी कोई आधार नहीं है. क्योंकि समाज के नेताओं का ही दबाव था कि मामला सीबीआई को भेजा जाए.
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उन्होंने बताया कि इसके साथ ही जिन प्रकरणों की जांच कराई जानी थी, उसको लेकर बकायदा सहमति पत्र भी बना. जिस पर राजपूत समाज के नेताओं के साथ मेरे भी हस्ताक्षर थे और उसी सहमति पत्र के बिंदुओं को जांच के लिए सीबीआई के पास भेजा गया.
सोहराबुद्दीन मामले में मैं खुद 'भुगतभोगी'
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने ये भी कहा कि वे खुद सोहराबुद्दीन मामले में सीबीआई के जांच के प्रकरण में भुगतभोगी रहे हैं. कटारिया ने कहा कि सोहराबुद्दीन मामले में 1% भी सच्चाई नहीं थी. बावजूद इसके उन्हें सीबीआई ने कई चक्कर खिलाएं और परेशान भी किया. कटारिया ने कहा कि जब राजपूत समाज के आंदोलनकारी नेता इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, तब भी वार्ता के दौरान बतौर गृहमंत्री रहते हुए मैंने उन्हें समझाया था. इसके साथ ही यह भी कहा था कि समाज जो भी चाहेगा भाजपा सरकार वही करेगी. तब समाज ने सीबीआई जांच की मांग की और सरकार ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाकर जांच सीबीआई को सौंप दी.
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सब कुछ ऑन रिकॉर्ड है
पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान यह भी कहा कि आनंदपाल और सांवराद मामले में जो सहमति पत्र बनाया गया था और जिस पर आंदोलनकारी नेताओं के हस्ताक्षर और सरकार के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर थे. ये सब ऑन रिकॉर्ड है. इसलिए उस सहमति पत्र को राजपूत समाज से जुड़े नेता एक बार फिर पढ़े और उसको समझने के बाद ही इस मामले में कुछ आगे बढ़े.
मैं इस मामले में राजपूत समाज की हर संभव मदद करने को तैयार
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि वह हमेशा सच के साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस बारे में यदि राजपूत समाज के नेता उनके पास आएंगे तो वे हर संभव मदद का प्रयास करेंगे. कटारिया ने यह भी कहा कि सीबीआई केंद्र सरकार के अधीन आती हो, लेकिन वह एक निष्पक्ष एजेंसी है और कोई भी सरकार या राजनीतिक दल इस प्रकार के मामले में चाहकर भी किसी को परेशान करने की सोच नहीं सकता.