जयपुर. राजस्थान में 20 जिलों में होने वाले 90 निकाय चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन वापसी का अंतिम दिन हैं. दोपहर 3 बजे तक अगर बगावत कर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी नाम वापस नहीं लेते हैं तो कांग्रेस हो या भाजपा की बागियों को मनाने की कवायद फेल हो जाएगी.
जानकारी के अनुसार राजस्थान में 90 निकायों में चुनाव (Rajasthan Municipal Election 2021) के लिए 3035 वार्डों के लिए 15 हजार 144 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है. ऐसे में साफ है कि प्रदेश में 20 जिलों में होने वाले निकाय चुनाव में दोनों पार्टियों के ही करीब 6000 प्रत्याशी ऐसे हैं, जो अपनी पार्टियों से बगावत कर रहे हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियां अपने बागियों को मनाने के प्रयास में लगी है. जिससे वहीं चुनाव में जीत दर्ज करें लेकिन 4 दिनों से हो रही मान मनुहार के बाद बड़ी तादाद में बागी मैदान में डटे हैं. ऐसे में पार्टियों की मान मनुहार बेकार हो गई है. अब दोनों ही पार्टियां 3 बजने का इंतजार कर रही है. जिसके बाद बागी के तौर पर चुनाव लड़ रहे नेताओं पर अनुशासन का डंडा चल सकता है. इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि वैसे तो कांग्रेस के कम ही नेता बागी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें बैठाने का प्रयास हो रहा है.
मानने वाले बागियों को राजनीतिक नियुक्तियों में मिलेगा स्थान, नहीं माने होगी कार्रवाई
राजस्थान में सत्ताधारी दल कांग्रेस है. ऐसे में इन चुनाव में हार-जीत का ज्यादा असर कांग्रेस पार्टी पर ही पड़ेगा. कांग्रेस पार्टी अपने बागियों को मनाने के लिए हर संभव प्रयास करती दिखाई दे रही है और बागी के तौर पर चुनाव लड़ रहे नेताओं को जिला स्तरीय राजनीतिक नियुक्तियां देने का आश्वासन भी दिया गया है. प्रदेश में 30000 से ज्यादा ऐसी राजनितिक नियुक्तियां है, जो जिले स्तर पर होनी है. ऐसे में जो बागी पार्टी की बात मानकर नाम वापस लेता है, उसे राजनीतिक नियुक्तियों का आश्वासन मिलेगा. संभव है कि उनके नाम उस लिस्ट में शामिल भी कर लिए जाएं, जो राजनीतिक नियुक्तियों के लिए तैयार किए जा रहे हैं.
अगर नाम नहीं लिया वापस तो भी कार्रवाई के लिए परिणामों का करेगी कांग्रेस पार्टी इंतजार
बागियों पर अनुशासन का डंडा अभी कांग्रेस चलाएगी इस पर संशय है क्योंकि चाहे निगम चुनाव हो, पंचायत चुनाव हो या 12 जिलों के निकाय चुनाव पार्टी ने बगावती तेवर अपना रहे कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई यह सोचकर नहीं की थी कि अगर बागी चुनाव जीत कर आते हैं तो उनकी जरूरत पार्टी को बोर्ड बनाने के लिए भी रहेगी. ऐसे में वह अनुशासन का डंडा चला कर नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती.
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वहीं कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य इतिहास दोहराना है, जिसमें उन्होंने 12 निकायों में हुए 50 में से 36 निकाय जीतकर बनाया था. ऐसे में बगावत कर रहे प्रत्याशियों पर कोई कार्रवाई होगी, इसे लेकर भी अभी संशय है. जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय पर कंट्रोल रूम भी स्थापित कर दिया है और सभी प्रत्याशियों से उनकी जरूरत पूछी जा रही है. वही संभाग प्रभारी और जिला प्रभारी नेताओं को स्थानीय नेताओं और विधायकों को प्रचार की जिम्मेदारी भी दे दी गई है.
इन 20 जिलों में है 90 निकायों के चुनाव
प्रदेश के झुंझुनू, झालावाड़ ,पाली, नागौर, राजसमंद, सीकर, अजमेर, बीकानेर, भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, बूंदी, डुंगरपुर, चूरू, टोंक, उदयपुर, बांसवाड़ा, जैसलमेर और जालोर में चुनाव है, जहां एक नगर निगम और नगर परिषद और 80 नगर पालिका है. साथ ही कुल 3035 वार्डों में चुनाव होने हैं.