जयपुर. गहलोत सरकार (Gehlot Government) ने 'आउट ऑफ टर्न पॉलिसी' के तहत प्रदेश के 29 मेडलिस्ट खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी का तोहफा दिया था. इसे लेकर सरकार की ओर से तीन कैटेगरी बनाई गई थी, जिसमें A और B कैटेगरी में शामिल खिलाड़ियों को नौकरी दी जा चुकी है. जल्द ही C कैटेगरी से जुड़े खिलाड़ियों को भी नौकरी दे दी जाएगी. ऐसे में खास बात यह है कि जिस खेल विभाग ने सरकार के अन्य सरकारी विभागों में खिलाड़ियों को नौकरी दी है, उसी खेल विभाग में पूर्व खिलाड़ी कोच नौकरी नहीं पा सके.
सरकार की ओर से पिछले बजट में 500 कोच भर्ती करने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी तक खिलाड़ियों के लिए कोच की नियुक्ति को लेकर किसी तरह का कोई कदम खेल विभाग की ओर से नहीं उठाया गया है. हालांकि, प्रदेश में सरकार ने 300 संविदा पर कोच लगाए थे. लेकिन दिसंबर तक इन सभी कोच को हटा दिया गया है. ऐसे में कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए इन कोच के हटने के बाद खेल विभाग में एक बार फिर कोच की कमी हो गई है.
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मामले को लेकर प्रदेश के पूर्व खिलाड़ियों का कहना है कि लंबे समय से वे लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि खेल मैदानों पर कोच नियुक्त किया जाए. लेकिन लंबे समय से प्रदेश में कोच की नियुक्ति को लेकर किसी तरह का कोई कदम खेल परिषद की ओर से नहीं उठाया गया है. यहां तक की कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए गए कोच हटा दिए गए हैं, जिन्हें अभी तक सैलरी भी नहीं मिल पाई है.
मामले को लेकर प्रदेश के खेल मंत्री अशोक चांदना का कहना है कि खेल परिषद एक ऑटोनॉमस बॉडी है. ऐसे में इसे सरकार के दायरे में नहीं लाया जा सकता. लेकिन मंत्री ने कहा कि मामले को लेकर उन्होंने खेल परिषद के अधिकारियों से चर्चा की है और जिन स्थानों पर कोच की कमी चल रही है, उन्हें जल्द ही पूरा किया जाएगा.