जयपुर. डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाई) एप्टीट्यूड टेस्ट को 2022 और आने वाले सालों के लिए बंद करने का फैसला लिया (KVPY aptitude test discontinued) है. अब से केवीपीवाई को डिपार्टमेंट के ही इंस्पायर प्रोग्राम के साथ जोड़ दिया जाएगा.
1999 में साइंस एजुकेशन और रिसर्च को प्रमोट करने के लिए किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (Kishore Vaigyanik Protsahan Yojana) की फेलोशिप को शुरू किया गया था, ताकि जो स्टूडेंट्स साइंस रिसर्च में इंटरेस्ट रखते हैं और जिनमें पोटेंशियल है, उन स्टूडेंट्स को एक प्लेटफॉर्म मिल सके और देश में साइंटिस्ट बनने की परम्परा एक बार फिर शुरू हो सके. इस फेलोशिप के सलेक्शन के लिए स्टूडेंट्स को पहले एप्टीट्यूड टेस्ट देना होता था. उसके बाद सलेक्टेड स्टूडेंट्स की इंटरव्यू परफॉरमेंस के आधार पर केवीपीवाई फेलोशिप अवार्ड की जाती थी. पिछले दो सालों से पेंडेमिक के कारण इंटरव्यू राउंड नहीं रखा गया और सिर्फ एप्टीट्यूड टेस्ट के बेस पर फेलोशिप अवार्ड की जा रही थी.
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केवीपीवाई फेलोशिप विनर को 80 हजार से लेकर 1 लाख 12 हजार रुपए साल तक की फेलोशिप और ग्रांट दी जाती थी. अब इस योजना को दूसरी साइंस रिसर्च योजना इंस्पायर के साथ जोड़ा गया है. जिसमें स्टूडेंट्स के साइंस लर्निंग और प्रैक्टिकल एबिलिटी के आधार पर इंस्पायर अवार्ड दिए जाते हैं. केवीपीवाई और कम्पटीशन एक्सपर्ट आशीष अरोड़ा के अनुसार बीते कई सालों से ये देखा जा रहा था कि केवीपीवाई की फेलोशिप मिलने के बाद भी स्टूडेंट्स साइंस रिसर्च को करियर नहीं चुन रहे थे.
प्रोफेशनल डिग्री कोर्सेज की तरफ जा रहे थे. ऐसे में केवीपीवाई का देश में साइंटिस्ट बनाने की भावना को बढ़ावा देने का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा था. वहीं, दूसरी ओर इंस्पायर अवार्ड के कई स्टूडेंट्स ने बेसिक साइंसेज को करियर चुना. यही वजह रही कि इन दोनों प्रोग्राम्स को मर्ज किया गया है.