जयपुर. पतंग उड़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कभी रीति-रिवाज और त्योहार पर परंपरा के तहत उड़ाई जाने वाली पतंग आज मनोरंजन का पर्याय बन गई है. हालांकि जयपुर में तो पतंगबाजी का इतिहास सदियों पुराना है. कहते हैं कि महाराजा मानसिंह ने जयपुर में पतंगबाजी को महोत्सव का रूप दिया और उसके बाद से मकर संक्रांति पर जयपुर में पतंगबाजी देखते ही बनती है. क्या बच्चे, क्या जवान, महिला-पुरुष सभी छतों पर नजर आते हैं. जहां डीजे की धुन पर रेवड़ियां और तिल के लड्डू खाते हुए लोग पतंगबाजी का भरपूर आनंद लेते हैं.
जयपुर पतंग के कारोबार को लेकर भी अलग पहचान रखता है. परकोटे के रामगंज इलाके के हांडीपुरा के बाजार में मकरसंक्रांति के कारण पतंग की खरीदारों की चहल पहल दिख रही है. कई प्रकार की पतंगें इस बार मार्केट में छाई हुई हैं. शहर में पतंग का यह होल सेल मार्केट है जहां से जयपुर के अलावा देश-प्रदेश के अन्य शहरों में भी पतंग भेजी जाती है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते पतंग का व्यापार भी चौपट है.
![kite market of jaipur, मकर संक्रांति पर पतंग की खरीदारी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10226776_jpr1.png)
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पहले मकर संक्रांति पर पतंग बाजार में संक्रांति के दिनों में दुकानों की रौनक देखने लायक रहती थी, वहीं अब सीमित संख्या में ग्राहक पतंग खरीदने पहुंच रहे हैं. लॉकडाउन में वैसे तो सभी त्यौहार फीके गए हैं ऐसे में मकरसंक्रांति पर भी व्यापारियों को कोई खास लाभ नहीं होता दिख रहा है. पतंग के रेट भी इस बार डाउन हैं और मुनाफा भी खास नहीं हो रहा है.
![kite selling on makar sankranti, जयपुर में पतंग कारोबार](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10226776_jpr.png)
20 रुपये से 200 रुपये तक है उपलब्ध
इस मकर संक्रांति पर भी पतंग बाजार में कई तरह की रंग-बिरंगी पतंगें आईं हैं. 2 इंच से लेकर 50 इंच तक की कलरफुल पतंग मार्केट में आई हैं. इनकी कीमत 20 रुपये से 200 रुपये तक है. वहीं वैश्विक महामारी को देखते हुए भी इस बार पतंगे आईं हैं, जो लोगों को खासा आकर्षित भी कर रहीं हैं. कई ऐसी पतंग भी आई हैं जो जागरूकता संदेश भी दे रहीं हैं.
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इनमें मास्क पतंग, सोशल डिस्टेंस पतंग, सेनेटाइजर और लॉकडाउन वाली पतंगों की इस बार खास डिमांड है. हालांकि कोरोना के चलते पतंग मार्केट में कई दुकानों पर ताले लगे हुए हैं और पतंग व्यापारियों में भी मायूसी दिख रही है. वहीं पहले के मुकाबले पतंगों के रेट भी डाउन चल रहे हैं. माल आ रहा है लेकिन बाजारों में सस्ता बिक रहा है, जिसकी वजह से व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
वैसे तो जयपुर के हांडीपुरा मार्केट में मकर संक्रांति पर ढाई लाख से ज्यादा पतंग बनती हैं. पतंग के कारोबार के लिए यह बाजार काफी प्रसिद्ध है, लेकिन कोरोना काल ने पतंगों की उड़ान पर पहरा लगा दिया. यही वजह है कि पतंग के थोक विक्रताओं के चेहरे इस बार लटके हुए हैं.