जयपुर. किसान नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए यह संसद रखी गई है. जिसमें देश की सरकार को बताएंगे कि देश का किसान भी संसद चला सकता है. जयपुर के अफल आयोजन के बाद हर जिले में भी किसान संसद बुलाई जाएगी और केन्द्र सरकार पर तीनों कानूनों को वापस लेने पर दबाव बनाया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हो रही इस किसान संसद में कई राज्यों के किसान नेता और विभिन्न किसान संगठनों से प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. खास बात ये है कि किसान संसद का आयोजन ठीक संसद सत्र की तर्ज पर होगा.
प्रश्नकाल और शून्य काल भी होगा...
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में शुरू हुई इस किसान संसद की 'कार्यवाही' ठीक संसद सत्र की तरह चलेंगी. इसमें प्रश्न काल से लेकर शून्य काल सहित संसद की तरह विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे.
जनहित से जुड़े मुद्दों पर रहेगा फोकस...
'किसान संसद' में प्रमुख रूप से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर तो चर्चा होगी ही, इसके अलावा बढ़ती महंगाई और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण सहित जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों पर भी चर्चा होगी. इन अभी मुद्दों पर किसान सांसद अपने पक्ष रखेंगे. संसद के विभिन्न सत्र करीब 8 घंटे यानी शाम 6 बजे तक चलेंगे.
विभिन्न राज्यों से जुटेंगे किसान, टिकैत नहीं आए...
किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि जयपुर में आयोजित हो रही 'किसान संसद' में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रवक्ता व किसान नेता राकेश टिकैत मौजूद नहीं रहेंगे. लेकिन उनके अलावा किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी, दर्शन पाल सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, जोगेंद्र सिंह उगरहा, गुजरात से पाटीदार नेता अल्पेश कठीरिया और दिनेश बामनिया सहित देश के विभिन्न राज्यों से किसान प्रतिनिधि 'संसद' में शामिल है.
केन्द्र सरकार को कृषि कानून वापस लेने चाहिए : सीएम गहलोत
सीएम गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम जयपुर में आयोजित किसान संसद में भाग ले रहे सभी किसानों का मैं स्वागत करता हूं. आज लोकतंत्र दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे किसान विरोध के लोकतांत्रिक नॉर्म्स के अनुसार शांतिपूर्ण तरीके से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
अनुशासन के साथ और जिस रूप से तमाम परेशानियों के बावजूद बिना उम्मीद खोए किसान कई महीनों से संघर्ष कर रहे हैं, इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. केंद्र सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए और समाधान करना चाहिए. इसके साथ कृषि कानून वापस लिए जाने चाहिए.