जयपुर. सफाई कर्मचारियों की दो यूनियन बनाने की मांग के समर्थन में सांसद किरोड़ी लाल मीणा टोंक रोड पर धरने पर बैठे. इस दौरान 108 एंबुलेंस जाम में फंसी, तो वहीं डीएलबी डायरेक्टर ने मौके पर पहुंचकर 7 दिन में चुनाव को लेकर निर्णय लेने और 1 महीने में बकाया वेतन और कर्मचारियों को नियमित करने का समाधान निकालने को लेकर आश्वस्त किया.
सफाई कर्मचारी यूनियन चुनाव कराने, 2018 में भर्ती सफाई कर्मचारियों की स्थायीकरण, बकाया वेतन भुगतान, नियमित वेतन शृंखला में पूरा वेतन देने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों के एक धड़े ने ग्रेटर नगर निगम का घेराव किया.
विधानसभा के नजदीक से पैदल मार्च निकालते हुए कर्मचारी निगम मुख्यालय के टोंक रोड स्थित मुख्य द्वार पर पहुंचे. सांसद किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर टोंक रोड पर ही धरना देकर बैठ गए. जिससे यातायात भी बाधित हुआ.
पढ़ें- राजस्थान: बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सड़कों पर उतरा BJYM, पुलिस ने भांजी लाठियां
इस दौरान किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि दोनों निगम में करीब 9500 सफाई कर्मचारियों के 9 महीने का एरियर बकाया है. 2018 में भर्ती हुए करीब 400 सफाई कर्मचारियों के स्थायीकरण का मामला और यूनियन इलेक्शन पेंडिंग चल रहे हैं. चूंकि ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम अलग-अलग हो चुके हैं, ऐसे में यूनियन के चुनाव भी अलग-अलग होने चाहिएं.
उन्होंने वार्ता के लिए पहुंचे एडिशनल कमिश्नर को ये कहकर लौटा दिया कि यूनियन इलेक्शन से कोई वित्तीय भार नहीं पड़ने वाला और मामला दो नगर निगम से जुड़ा है, ऐसे में डीएलबी के कोई वरिष्ठ अधिकारी आकर सुनवाई करे. हालांकि सफाई कर्मचारियों की वर्तमान यूनियन इलेक्शन कराए जाने को लेकर डीएलबी से आदेश प्राप्त कर चुकी है और इलेक्शन को लेकर तैयारी भी की जा रही है.
इस पर किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि ये मामला राजनीतिक है. वे नहीं चाहते कि उनकी यूनियन खत्म हो जाए. डीएलबी सत्ताधारी दल की है. जो आदेश लाए गए हैं, वो सत्ताधारी दल से जुड़ा संगठन लेकर आया है. इस मसले में सत्ताधारी दल की मनमानी नहीं चल सकती. मीणा ने कहा कि प्रशासन को कर्मचारियों की सुननी पड़ेगी. ऐसा नहीं हो सकता कि राजनीतिक आधार पर पुराने संगठन के अधिकारियों को कंटिन्यू कर दें. सरकार को दोनों निगमों में अलग और नया चुनाव कराना पड़ेगा.
निगम की सूचना पर डीएलबी डायरेक्टर दीपक नंदी मौके पर पहुंचे. सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से उन्होंने वार्ता की. साथ ही उन्हें 7 दिन में यूनियन इलेक्शन को लेकर निर्णय लेने, बकाया वेतन और नियमित करने को लेकर 1 महीने में उचित समाधान निकालने को लेकर आश्वस्त किया.
इससे पहले कर्मचारियों ने भी एक सुर में कहा कि जब निगम दो हो चुके हैं, मेयर-कमिश्नर अलग-अलग हैं, मुख्यालय अलग हैं, करोड़ों रुपए की ग्रांट, विकास के कार्य सब अलग हो चुका है, तो यूनियन एक कैसे रह सकती है. ये तो मनमर्जी है. क्या जयपुर और भरतपुर के कर्मचारियों की एक यूनियन रह सकती है. सफाई कर्मचारी इसका विरोध करते हैं.
कर्मचारियों ने बताया कि स्थायीकरण की मांग को लेकर अप्रैल में भी धरना दिया गया था. तब 10 दिन का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई. अभी भी हेरिटेज निगम में करीब 150 और ग्रेटर में करीब 250 कर्मचारियों का स्थायीकरण बाकी है.