जयपुर. पेट्रोल-डीजल पर जब से केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाई है, तब से राजस्थान में विपक्ष सरकार पर वैट कटौती के लिए दबाव बना रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर जिद पर अड़े नजर आए, लेकिन अब वे इशारा कर चुके हैं कि राजस्थान में वैट कटौती की जाएगी.
इस इशारे को उस वक्त और बल मिल गया जब एआईसीसी के संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान की जनता को अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार जनवरी में 2 प्रतिशत वैट कम कर राहत दे चुकी है, एक बार फिर राज्य सरकार जनता को राहत देगी.
कांग्रेस का जन जागरण अभियान
देश में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की ओर से 14 नवंबर से 29 नवंबर तक पेट्रोल-डीजल (petrol diesel price) और गैस की बढ़ती कीमतों (Rising price of cooking gas) और महंगाई के खिलाफ जन जागरण अभियान चलाया जाएगा. कांग्रेस के जन जागरण अभियान (Congress Jan Jagran Abhiyan) के बीच राजस्थान में देश की सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल की कीमतों के चलते यह सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि जब कांग्रेस शासित (Congress ruled state) राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें सबसे ज्यादा हैं तो फिर कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार पर कैसे दबाव बना सकती है.
राजस्थान में होगी वैट कटौती
आज राजस्थान में वैट की दरों को लेकर एआईसीसी संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने यह संकेत दिए कि राजस्थान में जल्द ही वैट की दरों में कटौती की जाएगी. संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस शासित सरकार है, वहां वैट में कटौती करते हुए पेट्रोल की दरों में 10 रुपये और डीजल की दरों में 5 रुपये की कटौती की है, छत्तीसगढ़ में पहले से ही वैट की की दरें कम हैं.
जनवरी में हुई वैट कटौती
इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान को लेकर कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार जनवरी महीने में ही 2% वैट कम कर चुकी है और जनता को राहत देने के लिए राज्य सरकार एक बार फिर वैट कटौती करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी सोचती है कि आम लोगों पर पड़ने वाले इस बोझ को राजस्थान की हमारी सरकार को और भी कम करना चाहिए और वे करेंगे भी.लेकिन इसके साथ ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लिए उन्होंने राज्यों की बजाय केंद्र सरकार (central government) को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह केवल राज्य सरकार की की ही जिम्मेदारी नहीं है.
वेणुगोपाल ने कहा कि भारत सरकार की इस पेट्रोल-डीजल की बढ़ोतरी में सबसे बड़ी भूमिका है. क्योंकि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण ही पेट्रोल डीजल के दाम लगातार बढ़े हैं. यूपीए सरकार (UPA government) के वक्त केवल 9 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूली जा रही थी, अब 33 रुपये वसूले जा रहे हैं. ऐसे में इन तर्कों से केंद्र की ओर से की जा रही पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि को उचित नहीं ठहराया जा सकता.