जयपुर. सीपीए के जिस सेमिनार का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया और उसमें पक्ष और प्रतिपक्ष के सभी विधायक शामिल हुए थे, लेकिन कार्यक्रम समापन सत्र तक विवादों में आ गया. विवाद शुरू हुआ जेएनयू प्रोफेसर डॉ. जोया हसन उस बयान से जिसमें राजनीतिक विचारधाराओं का जिक्र करते-करते उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर ही सवालिया निशान खड़ा कर दिया. जोया ने कहा कि भारत वर्तमान में हिंदुओं की ओर बढ़ रहा है और साल 2019 के चुनाव में भी राइट विंग फिनोमिना दिखा. जोया यहीं नहीं रुकीं, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि इसमें अल्पसंख्यकों के हितों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता.
जोया ने कहा कि पिछले दिनों शहरों और सड़कों के नाम भी तेजी से बदले गए, जिसका मकसद मुस्लिम इतिहास को इरेज करने का ही रहा. जोया ने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले एंटी नेशनल कहे जाने लगे हैं और वेलफेयर स्कीम के अधिक प्रचार इस प्रकार किया गया ये सब सरकार नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री दे रहे हैं. जोया के संबोधन के दौरान मंच पर स्पीकर सीपी जोशी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी बैठे थे, लेकिन जैसे ही सदन में मौजूद उप नेता राजेंद्र राठौड़, विधायक सतीश पूनिया और संजय शर्मा ने इसका विरोध किया तो स्पीकर ने भी उन्हें शांत करने की हिदायत देकर दो टूक कह दिया कि जिसे बाहर जाना हो वह जा सकता है. बोलने का अधिकार सबका है, उसे सुनें आप, लेकिन आत्मसात करना यहा नहीं करना आपका निर्णय है.
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स्पीकर का दो टूक जवाब मिलने के बाद मंच पर बैठे नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया अपनी कुर्सी से खड़े हो गए और उन्होंने सदन में मौजूद बीजेपी के तमाम विधायकों से कार्यक्रम का बहिष्कार करने का इशारा कर खुद भी सदन से बाहर उठ कर चले गए. हालांकि, भाजपा विधायकों के कार्यक्रम के बहिष्कार करने के बाद मंच पर मौजूद स्पीकर सीपी जोशी ने अन्य अतिथियों से इसके लिए क्षमा मांगी, लेकिन जिस मकसद को लेकर यह कार्यक्रम किया गया था उसमें आयोजक सफल नहीं हो पाए.